Manglaur Uttarakhand Violence : कांग्रेस के मुसलमान उम्मीदवार की जीत के बाद हिंदुओं पर हुए आक्रमण के प्रकरण में ५ मुसलमान बंदी !

मंगलौर (उत्तराखंड) विधानसभा उपचुनाव

Suvendu Adhikari : ‘सबका साथ और सबका विकास’ एवं अल्‍पसंख्‍यांक मोर्चा बंद करें !

बंगाल के भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी का कार्यकर्ताओं को आवाहन !

Shivani Raja : भारतीय वंश की शिवानी राजा ने हाथ में भगवद्गीता लेकर ली सांसदीय शपथ !

अब शिवानी राजा को हिन्दू धर्म एवं हिन्दुओं की रक्षा के लिए भी कार्य करना होगा, ऐसी अपेक्षा !

Rishi Sunak Defeated : भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की ब्रिटेन में पराजय!

भारतीय मूल के प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाने वाले ऋषि सुनक ने ब्रिटेन में हिन्दूओं के लिए कुछ नहीं किया तथा भारत विरोधी खालिस्तानियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही नहीं की। अतः भारतीयों को इनकी पराजय का दुःख नहीं होगा !

Uma Bharti : प्रत्‍येक रामभक्‍त का मत हमें ही प्राप्त हों, यह विचार अनुचित !

भाजपा की पूर्व सांसद उमा भारती ने वक्‍तव्‍य देते हुए कहा, जिन्होंने मत नहीं दिए, वे भी रामभक्‍त हैं ।

Amritpal Case : अमेरिका के खालिस्‍तान प्रेमी अधिवक्‍ता ने की वहां के उपराष्‍ट्रपति से भेंट !

खालिस्‍तान समर्थक अमृतपाल सिंह के शपथविधि के सूत्र पर की चर्चा

SANATAN PRABHAT EXCLUSIVE : लोकसभा चुनाव में नोटा के आंकडों में ४ लाख १६ सहस्त्र वोटों का अंतर !

लोकसभा मतदाताओं के कुल वोटों में से ६३ लाख ७२ हजार २२० प्रतिशत ने नोटा का चुनाव किया; अथार्थ नोटा चुनने वालों की संख्या ०.९९ प्रतिशत रही । यद्यपी , देश के ३६ राज्यों में नोटा का उपयोग करने वालों का योग ६७ लाख ८८ हजार ४९२ आता है।

NOTA vote in loksabha Election 2024 : वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनाव में ६७ लाख ८८ सहस्र ४९२ मतदाताओं ने चुना नोटा का विकल्प !

भारत में ६७ लाख से अधिक मतदाताओं द्वारा ‘नोटा’ का विकल्प चुनना, इसका अर्थ ऐसा ही है कि उम्मीदवार अपात्र है, ऐसा इतनी बडी मात्रा में मतदाताओं को लगा। राजनीतिक दल क्या इसपर गंभीरता से विचार करेंगे ?

Minority Appeasement : राजनीतिक दलों द्वारा अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण की जानकारी अब एक पाठ के रूप में !

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की ११ वीं राजनीति विज्ञान की नई पुस्तक

लोकसभा के ४६ प्रतिशत सांसदों के विरुद्ध फौजदारी अपराधों की प्रविष्टियां !

क्या ऐसे सांसद कभी जनता को सुरक्षित एवं न्याय का प्रशासन दे सकेंगे ? क्या यह लोकतंत्र का दयनीय पराभव नहीं है ?