WB Violance : जहां हिंसा हुई वहां चुनाव न कराएं ! – कोलकाता उच्च न्यायालय

यह बंगाल की तृणमूल कांग्रेस के लिए लज्जास्पद ! लोकतंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होने वाला चुनाव ही करने जैसी स्थिति नहीं, ऐसे उच्च न्यायालय को लगता है, इससे राज्य की कानून और व्यवस्था की स्थिति ध्यान में आती है ।

वर्ष २०१६ में बंगाल में २४ सहस्त्र शिक्षकों की भर्ती !

न्यायालय को इस प्रकरण में राज्य के मुख्यमंत्री को दोषी मानकर कारागार में डालने का आदेश देना चाहिए और इस भर्ती पर हुआ व्यय उनसे वसूला जाना चाहिए !

Judge Namaz Case : अधिवक्ता के नमाज पठन का विरोध करने के कारण जिला न्यायाधीश को उच्च न्यायालय से करनी पडी क्षमायाचना !

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने इसे धार्मिक आधार पर किया भेदभाव कहा है ।

Namaz In British School : ब्रिटेन के विद्यालयों में नमाज पढने पर लगे प्रतिबंध के विरुद्ध प्रविष्ट याचिका न्यायालय निरस्त कर दी !

न्यायालय ने कहा कि विद्यालय में पढना है, तो विद्यालय के नियमों का पालन करना होगा !

Cases against MLAs & MPs : विधायकों और सांसदों के विरुद्ध विशेष न्यायालयों में २ सहस्त्र ३३१ आपराधिक प्रकरण  लंबित !

विधायकों और सांसदों के विरुद्ध हत्या, बलात्कार, आक्रमण आदि के गंभीर प्रकृति के २ सहस्त्र ३३१ आपराधिक प्रकरण विशेष न्यायालयों में लंबित हैं। इनमें उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक १,१३७ प्रकरण हैं, जबकि महाराष्ट्र में लंबित प्रकरणों की संख्या ४१९ है ।

Mumbai HC Ram Navami : रामनवमी के चलसमारोह के कारण मुंबई में कानून-व्यवस्था का प्रश्न निर्माण न हो, इस ओर ध्यान दें !

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और पुलिस को दिया आदेश !

Letter To CJI : न्याय व्यवस्था पर दबाव निर्माण कर इसे दुर्बल करने का प्रयास किया जा रहा है !

सेवानिवृत २१ न्यायमूर्तियों का मुख्यन्यायाधीश को पत्र !

Kamlesh Tiwari Murder Case : हिन्दुत्वनिष्ठ कमलेश तिवारी की हत्या के आरोपी को न्यायालय ने नहीं दी जमानत  

उच्च न्यायालय ने कहा कि मृत (तिवारी) की बड़ी क्रूरता से हत्या की गई थी । यह अत्यंत धार्मिक द्वेष का प्रकरण है ।

अधिवक्ता संजीव पुनालेकर द्वारा प्रविष्ट की याचिका पर सरकारी पक्ष को अपनी बात रखने के लिए १८ अप्रैल तक का समय !

अंनिस के डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्या प्रकरण के एक संदेहास्पद अधिवक्ता संजीव पुनालेकर ने १ अप्रैल, २०२४ के दिन सी.बी.आई. के जांच अधिकारी एस.आर. सिंह के विरोध में ‘सिंह ने शपथ लेकर न्यायालय में झूठी जानकारी दी ।

Live-In Relationship : ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ से अलग हुई महिला को भी भरण-पोषण भत्ता पाने का अधिकार ! – मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय

किसी पुरुष के साथ दीर्घकाल रही महिला को विभक्त होने पर भरपाई देनी पड़ेगी, भले ही वह वैधानिक रूप से विवाहित न हो ।