‘लव जिहाद’ पर कैसे रोक लगानी चाहिए ?
‘लव जिहाद’ के संकट के विषय में विद्यालयों-महाविद्यालयों, महिला समूहों, व्यावसायिक केंद्रों, धार्मिक कार्यक्रमों आदि माध्यमों से समाज में जागृति लाना आवश्यक है ।
‘लव जिहाद’ के संकट के विषय में विद्यालयों-महाविद्यालयों, महिला समूहों, व्यावसायिक केंद्रों, धार्मिक कार्यक्रमों आदि माध्यमों से समाज में जागृति लाना आवश्यक है ।
बच्चों को धर्माचरण करने का आग्रह रखना ही चाहिए । धर्माचरण के कारण हिन्दू युवती अथवा महिला को ऐसे प्रतिकूल प्रसंग का सामना करने का निश्चित रूप से सामर्थ्य देगा ।
हिन्दू जनजागृति समिति गत अनेक वर्षाें से ‘लव जिहाद’ के विषय में समाज में जनजागृति कर रही है । समिति द्वारा जनजागृति करने के लिए ‘लव जिहाद’ नामक ग्रंथ प्रकाशित किया गया है ।
भारत में श्रीरामनवमी की फेरियों पर आक्रमण करनेवालों पर कठोर कार्रवाई हो, तथा संयुक्त राष्ट्र संघ में वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग को लेकर वाराणसी स्थित शास्त्री घाट, वरुणा पुल पर हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिन्दू राष्ट्र-जागृति आंदोलन में संगठित आवाज उठाई ।
अधिकांश लोगों को इस संकट के विषय में कुछ जानकारी ही नहीं । इसलिए प्रत्येक को इसका वैध मार्ग से विरोध करना चाहिए’, ऐसा मार्गदर्शन सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने किया ।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में सनानत संस्था की ओर से हिन्दू राष्ट्र- जागृति अभियान के अंतर्गत अनेक मंदिरों में हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु मनौती, प्रतिज्ञा लेना एवं शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन हुआ ।
कर्नाटक की साम्यवादी (कम्युनिस्ट) पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या प्रकरण में पिरोए गए एवं हिन्दुओं के पक्ष में लडनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ता पी. कृष्णमूर्ति पर १२ अप्रैल की रात को अज्ञातों ने गोलीबारी की । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा कर्नाटक राज्य के पुलिस महासंचालक को निवेदन प्रस्तुत |
यहां के विद्यालय सनातन धर्म विद्या भवन R-4, रघुनाथ मंदिर, अलकनंदा, कालकाजी में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा 30 EWS (Economically weaker section) विद्यार्थियों को भोजन वितरण किया गया ।
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित ज्येष्ठ प्रवचनकार पू. डॉ. अप्पासाहेब धर्माधिकारी के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट करने की मांग जातीयद्वेष के कारण ! – हिन्दू जनजागृति समिति
मूल में जब अवैध मस्जिद का निर्माण हो रहा था, तब क्या प्रशासन एवं अन्य सरकारी तंत्र सो रहे थे ?