हिन्दू राष्ट्र-जागृति आंदोलन
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – भारत में श्रीरामनवमी की फेरियों पर आक्रमण करनेवालों पर कठोर कार्रवाई हो, तथा संयुक्त राष्ट्र संघ में वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग को लेकर वाराणसी स्थित शास्त्री घाट, वरुणा पुल पर हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिन्दू राष्ट्र-जागृति आंदोलन में संगठित आवाज उठाई ।
श्रीरामनवमी के उपलक्ष्य में आयोजित फेरियों पर अनेक राज्यों में कट्टरपंथियों द्वारा आक्रमण किए गए । हिन्दुओं के श्रद्धाकेंद्र श्रीरामजी के धार्मिक उत्सव पर हुए भीषण आक्रमण अत्यंत गंभीर हैं । मुंबई, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, झारखंड, देहली इत्यादि राज्यों में श्रीरामनवमी के दिन हुआ आक्रमण एक सुनियोजित षड्यंत्र है । एक ही समय पर इतने स्थानों पर हिंसक घटनाएं कैसे घटीं ? इसके पीछे किसका हाथ है ? इन सभी घटनाओं की गहन जांच करने के लिए विशेष समिति का गठन करने एवं जांच में दोषी पाए गए लोगों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग बुलंद हुई ।
इस समय हिन्दू युवा वाहिनी के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री. मनीष पांडे तथा श्री. आनंद गोस्वामी, पहाडिया व्यापार मंडल के महामंत्री श्री. अरविंद लाल, रा.स्व. संघ के श्री. चंद्रशेखर सिंह, श्री योग वेदांत सेवा समिति के श्री. विश्वनाथ सिंह, कसाबा ऑर्गेनिक, सारनाथ के श्री. अरविंद विश्वकर्मा तथा श्री. राज नारायण विश्वकर्मा, अखिल भारतीय सनातन समिति के डॉ. अजय जायसवाल, श्री. मुन्नू जायसवाल तथा श्री. छेदी जायसवाल, व्यापारी श्री. सुमित सर्राफ, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. राजन केशरी तथा अन्य उपस्थित थे । इन आक्रमणों से हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत की गई, इसके लिए धारा २९५ अ अंतर्गत अपराध प्रविष्ट कर संगठित होकर दंगे कर हिन्दुओं के लिए आतंकी वातावरण निर्माण करने के प्रकरण में, दंगे भडकाने के प्रकरण में भी दंगाईयों पर अपराध प्रविष्ट करने की मांग की गई ।
विगत कुछ वर्षों से पाकिस्तान निवासी अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर आज के समय में अमानवीय अत्याचार हो रहे हैं एवं हिन्दुओं के धार्मिक स्थानों पर आक्रमण हो रहे हैं । ग्रामीण क्षेत्रों की हिन्दू लडकियों से लेकर बडे उद्योगपतियों तक के हिन्दुओं को चुन-चुन कर लक्ष्य बनाया जा रहा है । वहां की सरकार भी ऐसी घटनाओं को परोक्ष रूप से बल दे रही है । इसलिए पाकिस्तान के हिन्दुओं की रक्षा के लिए भारत सरकार को गंभीर कदम उठाने आवश्यक हैं ।
आंदोलन में की गई मांगें
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