‘धर्मरक्षा के लिए कानूनी संघर्ष की दिशा’ पर अधिक्ताओं का उपस्थित हिन्दुत्ववादियों को मार्गदर्शन !
रामनाथी, १२ जून (वार्ता.) – महाराष्ट्र की कुलदेवी मानी जानेवाली श्री तुळजाभवानी मंदिर में करोडों रुपयों का भ्रष्टाचार करनेवाले निलामीधारक और शासकीय अधिकारियों पर ‘सीआईडी’ के ब्योरे (रिपोर्ट) के अनुसार शीघ्रता से अपराध प्रविष्ट कर उनपर कठोर कार्रवाई करें, ऐसी मांग हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य और मुंबई उच्च न्यायालय के अधिवक्ता (पू.) सुरेश कुलकर्णी जी ने की । वह दशम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में ‘धर्मरक्षा के लिए कानूनी संघर्ष की दिशा’ इस सत्र में उपस्थित हिन्दूत्ववादियों का मार्गदर्शन करते हुए बोल रहे थे । इस समय व्यासपीठ पर जळगाव (महाराष्ट्र) के वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील अत्रे, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के सगंठक अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर उपस्थित थे । इस प्रकरण में अधिवक्ता (पू.) कुलकर्णी जी ने स्वयं मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका डाली है ।
इस समय अधिवक्ता (पू.) सुरेश कुलकर्णी ने कहा, ‘‘शासन के नियंत्रण में श्री तुळजाभवानी मंदिर में वर्ष १९९१ से २००९ की कालावधि में दानपेटी की निलामी में ८ करोड ४५ लाख रुपयों से अधिक रुपयों का गबन ठेकेदार और शासकीय अधिकारियों ने मिलीभगत से किया । इस विषय पर ब्योरा (रिपोर्ट) २० सप्टेंबर २०१७ को गृह मंत्रालय में प्रस्तुत किया; परंतु ५ वर्ष हाने पर भी अभीतक दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है । इतना ही नहीं तो यह ब्योरा (रिपोर्ट) विधान सभा में तथा बाहर भी सार्वजनिक नहीं किया गया । सरकार दोषियों का समर्थन न करते हुए दोषियों पर तत्काल अपराध प्रविष्ट करें ।’’
हिन्दू मंदिरों का प्राचीन वैभव बनाए रखने के लिए हिन्दुत्वनिष्ठों को प्रयत्न करना आवश्यक ! – अधिवक्ता सुशील अत्रे, ज्येष्ठ अधिवक्ता, जळगाव
‘हंपी : उद्ध्वस्त मंदिरों के शहरों के पुनर्निर्माण की योजना’ विषय पर बोलते हुए जळगाव के अधिवक्ता सुशील अत्रे बोले, ‘‘भारत के लिए हिन्दू राष्ट्र ही संकल्पना नई नहीं है । इसके पूर्व अनेक हिन्दू साम्राज्य यहां हुए हैं । उनमें से ही एक है ‘विजयनगर’ का साम्राज्य ! यह विजयनगर साम्राज्य सार्वभौम और बलशाली था । हमारे ऋषिमुनियों ने इस प्रकार के हिन्दू साम्राज्य का संकल्प पहले से ही किया है; पर हिन्दुओं की अनास्था के कारण वह वैभव हम टिका कर नहीं रख सके । यह हिन्दुओं का दोष है । विजयनगर साम्राज्य के तत्कालीन राजाओं ने, उनमें भी विशेषकर कृष्णदेवराय ने अनेक मंदिरों का निर्माण किया । ऐतिहासिक प्रमाणानुसार ३०० से अधिक वैभवशाली बंदरगाह इस साम्राज्य में थे । उससे मिलने वाली आय का बडा भाग मंदिरों के निर्माण के लिए व्यय किया था; परंतु आज इन मंदिरों की अत्यंत दयनीय स्थिति है । यह मंदिर आज केंद्रीय पुरातत्व विभाग के नियंत्रण में हैं । पर इस विभाग की अत्याधिक उदासीनता के कारण और अनास्था के कारण मंदिरों में कुछ भी सुधार दिखाई नहीं देता । इन मंदिरों का पुनर्निर्माण करना है तो प्रस्थापित हिन्दू विरोधी कानून में परिवर्तन करना होगा । आधुनिक पद्धति से मंदिरों का निर्माण न करते हुए उनका मूल रूप वैसे ही टिके रहने के लिए विशेषज्ञ हिन्दुत्वनिष्ठ भविष्य में योगदान देने के लिए सिद्ध रहें ।’’
पुलिस ने अनधिकृत भोंपुओं पर कार्रवाई करने में टालमटोल की, तो न्यायालय में परिवाद करें ! – अधिवक्ता नीलेश
सांगोलकर, संगठक, हिन्दू विधिज्ञ परिषद
‘धार्मिक कारणों से अन्यों को कष्ट होता है तो यह संविधान द्वारा दिए हुए धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है ।’, सर्वाेच्च न्यायालय ने धार्मिक स्थलों पर लगे भोंपुओं के विषय में यह निर्देश दिया है । हमारे परिसर में अवैध भोंपुओं के कारण कष्ट हो तो पुलिस में परिवाद करें । हिन्दुओं के उत्सवों के समय पुलिस हिन्दुओं को तत्परता से नोटिस देती है; परंतु यही पुलिस वर्षभर लगे रहनेवाले भोपुओं के विरोध में परिवाद करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं करती । इसलिए ऐसे प्रकरण में पुलिस कार्रवाई न करे तो उनके विरोध में न्यायालय में परिवाद करें ।