हिन्दुओं को जागृत करने के लिए उन्हें गुरुपरंपरा के साथ जोडना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे

जिसकी प्रज्ञा जागृत रहती है, वह है जागृत हिन्दू ! हिन्दुओं को जागृत करने के लिए पहले उन्हें गुरुपरंपरा के साथ जोडना चाहिए । हिन्दुओं को साधना कर स्वयं में विद्यमान दैवीय एवं आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करने की आवश्यकता है ।

(कहते हैं) ‘मंदिर यह सरकार की संपत्ति है !’

राज्य के चर्च और मस्जिदें सरकार की संपत्ति नहीं है क्या ? केवल हिन्दुओं के मंदिरों को सरकार की संपत्ति कहने वाले मुगलों के वंशज काँग्रेसियों को ध्यान में रखें और चुनाव के समय सबक सिखाएं !

उत्तराखंड सरकार द्वारा अंतत: चारधाम सहित ५१ मंदिरों का सरकारीकरण निरस्त !

अब पूरे देश में सरकारीकरण किए गए मंदिरों के विरोध में सभी पुजारी, धार्मिक संगठन और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को एकत्रित होकर आंदोलन करना चाहिए तथा देश के प्रत्येक मंदिर को सरकारीकरण से मुक्त करना चाहिए !

‘स्टैलिन’ सरकार की थोथी बातें एवं हिन्दुओं के कर्तव्य !

मद्रास उच्च न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ‘मंदिर का स्वर्ण पिघलाने संबंधी निर्णय लेने का अधिकार केवल विश्वस्तों को है ।’ इस पर राज्य सरकार ने न्यायालय को लिखित आश्वासन दिया है कि ‘विश्वस्त की नियुक्ति की जाएगी ।’

हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए कानून लाया जाए ! – विहिप की केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों से मांग

धर्मांतरण विरोधी कानून की भी मांग !

पुरोहितों ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत को दर्शन करने से रोका !

इससे यह स्पष्ट होता है, कि तीर्थ क्षेत्रों के सरकारीकरण के विरोध में हिन्दुओं की भावनाएं कितनी प्रखर हैं ! क्या केंद्र और सभी राज्य सरकारें अब मंदिरों का व्यवस्थापन भक्तों को सौंपेगी ?

मंदिरों की भूमि अधिग्रहित करनेवालों को ‘गुंडा कानून’ के अंतर्गत बेडियां पहनाएं !

मंदिरों के धन का अनुचित उपयोग करना भी एक अपराध ही है । राज्य सरकार को इस विषय में संबंधित लोगों के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट कर अभियोग चलाना चाहिए ।

मध्य प्रदेश के शंकरपुर में सरकारीकरण किए गए मंदिर की भूमि की अवैध बिक्री !

जानिए मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम ! न केवल मध्य प्रदेश में, अपितु, भारत भर में अनेक मंदिरों की भूमि को इस प्रकार हडपा जा रहा है । इस कदाचार को रोकने के लिए, मंदिरों का सरकारीकरण समाप्त होना चाहिए !

(कहते हैं) तमिलनाडू के मंदिरों का सोना बैंकों में रखकर, उससे मिलनेवाले ब्याज की राशि का उपयोग मंदिरों के मौलिक सुविधाओं के लिए किया जाएगा !’ – पी.के. सेकरबाबू

मस्जिदों और चर्च का सरकारीकरण कर, उससे प्राप्त धन का उपयोग मौलिक सुविधाओं के लिए करने का विचार धर्मनिरपेक्ष सरकारों द्वारा क्यों नहीं किया जाता ? क्या द्रमुक की सरकार इसका उत्तर देगी ?

मल्लपुरम (तमिलनाडु) में, श्री थलसायाना पेरुमल के प्राचीन मंदिर के सानिध्य में शौचालय बनाने का षड्यंत्र !

तमिलनाडु में मनमानी से मंदिरों के संबंध में निर्णय लेने वाली द्रमुक सरकार का निषेध । तमिलनाडु में हिन्दुओं को इसके विरोध में संगठित होकर संवैधानिक मार्ग से लडना चाहिए !