बैंक (अधिकोष) ग्राहको, सजग रहें तथा अपने अधिकारों एवं नियमों को समझ लें !

बैंक ग्राहक इन नियमों को समझकर अपने ग्राहक अधिकार अक्षुण्ण रखें, साथ ही ग्राहकों के लिए बैंकों के क्या नियम हैं, इस लेख में इसका विस्तृत विवेचन किया है; ग्राहक इसे ध्यान में रखें ।

गर्मी के मौसम में यात्रा करते समय निम्न बातों का रखें ध्यान !

आपको धूप से कितना कष्ट होता है तथा स्वयं की आयु के अनुसार आपके लिए निम्न सूचनाएं उपयुक्त सिद्ध हो सकती हैं । वर्तमान समय में हो रही धूप सभी को कुछ अधिक ही कष्ट दे रही है, यह ध्यान में लेकर यहां कुछ सरल सूचनाएं दे रहे हैं

अलंकार संबंधी सनातन की ग्रंथमाला

स्त्रियों के अलंकारों का अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन

अक्षय तृतीया का महत्त्व

अक्षय तृतीया सत्कार्याें का अक्षय फल प्रदान करती है ! इस दिन किए सभी सत्कर्म अविनाशी होते हैं  !

आदर्श कर्मयोगी तथा क्षात्रधर्म साधना के प्रतीक भगवान परशुराम !

आजीवन निष्काम कर्म करने पर शिवजी की आज्ञा से उन्होंने क्षत्रियों का निर्मूलन करना रोका । क्षत्रिय वध के पापक्षालन हेतु परशुराम ने अश्वमेध यज्ञ किया तथा उन्होंने जीती हुई संपूर्ण पृथ्वी इस यज्ञ के अध्वर्यु महर्षि कश्यप को दान में दे दी ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘अनेक पति-पत्नी पूरा जीवन लडते-झगडते रहते हैं और आगे बुढापे में उन्हें समझ में आता है कि ‘इस कष्ट का उपाय केवल साधना करना ही है ।’ उस समय ‘पूरे जीवन में कभी साधना नहीं की’, इसका पश्चाताप करने के अतिरिक्त उनके पास कोई विकल्प नहीं होता ।’

अक्षय तृतीया को तिलतर्पण किसे एवं कैसे करें ?

अक्षय तृतीया को उच्च लोक से आनेवाली सात्त्विकता ग्रहण करने हेतु पूर्वज इस दिन पृथ्वी के समीप आते हैं । मानव पर पूर्वजों का बहुत ऋण भी है । ईश्वर को अपेक्षित है ये ऋण चुकाने हेतु मानव प्रयास । इसलिए अक्षय तृतीया पर पूर्वजों को गति मिलने हेतु तिलतर्पण करना होता है ।

हिन्दू नववर्ष के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश तथा बिहार में सामूहिक ब्रह्मध्वज पूजन का आयोजन

फत्तूपुर विश्वकर्मा मंदिर के पास गोवर्धन मंदिर भदोही पर हिन्दू नवसंवत्सर (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) के उपलक्ष्य में ब्रह्मध्वज का पूजन सामूहिक रूप से किया गया ।

अक्षय तृतीया के पर्व पर ‘सत्पात्र को दान’ देकर ‘अक्षय दान’ का फल प्राप्त करें !

‘अक्षय तृतीया’ हिन्दू धर्म के साढे तीन शुभमुहूर्ताें में से एक मुहूर्त है । इस दिन की कोई भी घटिका शुभमुहूर्त ही होती है । इस दिन किया जानेवाला दान और हवन का क्षय नहीं होता; जिसका अर्थ उनका फल मिलता ही है ।

हिन्दू राष्ट्र के उद्गाता सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का अलौलिक चरित्र

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के मार्गदर्शन से देश-विदेश के विभिन्न पंथों के अनुयायी हिन्दू धर्म का महत्त्व और साधना समझते हैं, जिससे वे ‘जगद्गुरु’ माने जाते हैं । उनके जीवन चरित्र का संक्षिप्त परिचय इस लेख में प्रस्तुत किया जा रहा है ।