सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा विशद ‘अष्टांग साधना’, उसका क्रम एवं पंचमहाभूतों से संबंध
अष्टांग साधना में स्वभावदोष-निर्मूलन (एवं गुणसंवर्धन), अहं-निर्मूलन, नामजप, भावजागृति, सत्संग, सत्सेवा, त्याग एवं प्रीति यह ८ चरण हैं | यह साधना का क्रम सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने विशद किया है, वह विशेषतापूर्ण है