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नई देहली – धर्म, अध्यात्म और देश को जोडा जा सकता है। हमें यह नहीं कहना चाहिए कि यह एक धार्मिक देश है बल्कि यह हमारा आध्यात्मिक देश है । विद्यालय एवं महाविद्यालय में आप जिन विज्ञानों का अध्ययन करते हैं, वे हैं; भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान हैं। ये अत्यंत छोटी-छोटी बातें हैं। ‘विश्वविद्यालय’ के विद्यार्थियों ने एक बहुत बड़ा शब्द ‘विश्व’ स्वीकार कर लिया है; किन्तु विश्वविद्यालय में विश्व का ज्ञान नहीं दिया जाता है ।
आध्यात्मिक शिक्षा का अर्थ है, जो दृष्टि से परे है, उसके संबंध में सीखना किन्तु ये तथ्य विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में नहीं सिखाया जाता । ´टाइम्स´ ग्रुप के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक समीर जैन ने यहां बताया कि वहां पर शिक्षा केवल नौकरी-व्यवसाय के लिए दी जाती है । वे टाइम्स ग्रुप द्वारा आयोजित ७वें ‘टाइम्स लिटरेचर फेस्टिवल’ में छात्रों को संबोधित कर रहे थे ।
Times Litfest: धर्म, अध्यात्म आणि देश यांना जोडलं जाऊ शकतं, टाइम्स ग्रुपचे व्हीसी आणि एमडी समीर जैन यांचं वक्तव्यhttps://t.co/MwjweRZ0TF #TimesLitFest #TimesDelhiLitfest #SamirJain #TimesGroup pic.twitter.com/Uw5Ng13dQA
— Maharashtra Times (@mataonline) February 11, 2023
हमें दृष्टि से जो परे है वह विज्ञान सीखना होगा !
समीर जैन ने कहा कि जैसे प्रेम अदृश्य है उसी प्रकार का विज्ञान हम को सीखना होगा है। आकाश का अध्ययन करना होगा, जो शिव और शक्ति से ऒत-प्रोत है, जो अपरिवर्तनीय है। पौराणिक कथाएं यद्यपि पढी जाती हैं किन्तु उनमें इतिहासही भरा होता है। रामायण और महाभारत पढ़ने से आपको विश्व के केंद्र बिंदु का परिचय प्राप्त होता है।
अध्यात्म को स्वीकार कर भारत विश्व का गुरु बनेगा !
समीर जैन ने गुरु नानक की निर्गुण-सगुण भक्ति का उल्लेख करते हुए कहा, ‘निर्गुण आप सगुण भी सोही।’ निर्गुण और सगुण दोनों आप हैं । आप भौतिक और निराकार हैं । अध्यात्म अपनाकर भारत विश्व का गुरु बनेगा । विद्यार्थी इस निर्माण में मुख्य भूमिका निभाएंगे ।