परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का महर्षि के प्रति शिष्यभाव एवं महर्षि का परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति ‘श्रीमन्नारायण के अवतार’ में आदरभाव !

रथोत्सव के दिन सवेरे सप्तर्षियों का संदेश आया, ‘श्रीमन्नारायण स्वरूप गुरुदेवजी ने हम सभी की प्रार्थना सुन ली है । प्रकृति अनुकूल हो गई है । मेघ पूर्ण रूप से गए नहीं थे; गुरुदेवजी ने उन्हें साधकों की दृष्टि से दूर ले जाकर रखा था । रथोत्सव समाप्त होने पर ये मेघ पुन: बरसेंगे ।

मध्य प्रदेश में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों के लिए सनातन संस्था द्वारा प्रवचन

प्रवचन के समापन में कमांडेंट महोदय श्री. सूरजपाल वर्मा ने जवानों को बताए अनुसार करने के लिए प्रोत्साहित किया । १०० से अधिक जवानों ने इसका लाभ लिया और उन्हें अध्यात्मशास्त्र की जानकारी बहुत अच्छी लगी ।

सनातनकी ग्रंथमाला : परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीद्वारा आयोजित अभ्यासवर्ग

सनातनके साधक श्री. विवेक पेंडसेने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीद्वारा वर्ष १९९२ और वर्ष १९९३ में लिए अभ्यासवर्गोंके सूत्र लिख लिए थे । इस ग्रन्थमें परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीद्वारा लिए गए अभ्यासवर्गोंमें जिज्ञासुओंद्वारा पूछे गए प्रश्न और परात्पर गुरु डॉक्टरजीद्वारा दिए उत्तर अन्तर्भूत हैं ।

सूक्ष्म से मिलनेवाले ज्ञान में अथवा नाडीपट्टिका में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का उल्लेख ‘संत’ न करते हुए ‘विष्णु का अंशावतार’ होने के विविध कारण !

अन्य संप्रदायों में उनके द्वारा बताई साधना करते समय उस साधक को कुछ न कुछ बंधन पालने पडते हैं; परंतु सनातन में साधना करते समय साधना के अतिरिक्त अन्य कोई भी बंधन नहीं बताए जाते ।

ग्रंथलेखन का अद्वितीय कार्य करनेवाले एकमात्र परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी !

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु प्रयास करना कालानुसार आवश्यक समष्टि साधना ही है । इसके संदर्भ में समाज का मार्गदर्शन होने हेतु परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने ‘ईश्वरीय राज्य की स्थापना’, ‘हिन्दू राष्ट्र क्यों आवश्यक ?’, ‘हिन्दू राष्ट्र : आक्षेप एवं खण्डन’ जैसे समष्टि साधना सिखानेवाले ग्रंथों की रचना की ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद ईश्वर की प्राप्ति कैसे करें, यह अध्यात्मशास्त्र बताता है । इसके विपरीत ‘ईश्वर हैं ही नहीं’, ऐसा कुछ विज्ञानवादी अर्थात बुद्धिप्रमाणवादी चीख-चीखकर कहते हैं !

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने आगरा (उत्तर प्रदेश) के हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. राजकुमार गुप्ता से की भेंट !

हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य बहुत अच्छा एवं व्यापक है । अब समाज को जागृत कर एकसंघ करने का उचित समय आ गया है । सर्व आधुनिक चिकित्सकों का एक व्यासपीठ बनाकर यह विचार वहां प्रस्तुत करने के साथ ही क्रियाशील योजना का आयोजन करना चाहिए ।

आहार का अध्यात्मशास्त्रीय आधार समझानेवाले सनातन के ग्रंथ

आदर्श आहार एवं आहारसेवन के नियम समझने हेतु पढें सात्त्विक आहारका महत्त्व आहारके प्रकार एवं देहपर उसके प्रभाव क्या हैं ? ‘शाकाहार ही धर्मपालन’ होनेका कारण क्या है ? शाकाहारकी आलोचनाओंका खण्डन कैसे करें ? असात्त्विक आहारके दुष्परिणाम मनुष्यके लिए मांसाहार वर्जित होनेके विविध कारण संसारके सर्व धर्माेंद्वारा किया गया मद्यपानका विरोध मांस-मद्य सेवनसे होनेवाली … Read more

महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था द्वारा अध्यात्मप्रसार

     महाशिवरात्रि के दैवी अवसर पर भगवान शिव के संदर्भ में अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी सभी जिज्ञासुओं को हो, इसलिए सनातन संस्था द्वारा विविध उपक्रमों का आयोजन किया गया ।      प्रवचनों के माध्यम से महाशिवरात्रि का व्रत कैसे करें ?, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी का नामजप अधिकाधिक क्यों करें ?, शिवतत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोलियां बनाना, शिवजी … Read more

परात्पर गुरु डॉक्टरजी का साधना के विषय में मार्गदर्शन !

अध्यात्म में साधना का आरंभ अर्थात ‘अ’(A) ऐसा कुछ नहीं होता । प्रत्येक के आध्यात्मिक स्तर एवं साधनामार्ग के अनुसार उसकी साधना आरंभ होती है ।