सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘अपनी इच्छा के अनुसार न हो, तो मानसिक तनाव बढता है और आगे अनेक मनोविकार होते हैं । इसके लिए आजकल के मनोविकार विशेषज्ञ विविध उपाय सुझाते हैं; परंतु कोई भी यह नहीं सिखाता कि स्वेच्छा नहीं रखनी चाहिए ।

हिन्दू नववर्षारंभ (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में रामराज्य स्थापित करने का संकल्प करें !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का नववर्ष के अवसर पर संदेश

विश्व की समस्याएं कट्टर धर्मांधों के कारण निर्माण हो रही हैं, श्रद्धा के कारण नहीं ! – दाजी, ‘हार्टफुलनेस’

 ‘हार्टफुलनेस’ नामक आध्यात्मिक संस्था के मार्गदर्शक दाजी (कमलेशजी पटेल) ने उद्‌बोधन करते हुए कहा, ‘विश्व देख रहा है कि संकुचित श्रद्धा एवं पंथ लोगों में फूट डाल रहे हैं ।

OTT Platforms Banned : १८ ओटीटी मंच, १९ जालस्‍थल, १० एप्‍स एवं सामाजिक माध्‍यमों पर ५७ खाते बंद किए गए !

केवल उन पर प्रतिबंध लगाकर रुकना नहीं चाहिए, अपितु उनको चलानेवालों पर अपराध प्रविष्ट कर उन्‍हें कारागृह में डालना चाहिए, तभी अन्‍यों पर नियंत्रण रहेगा !

GlobalSpiritualityMahotsav : बाह्य एवं अंतर्गत प्रदूषण दूर करने के लिए आधुनिक चिकित्सा-शास्त्र को अध्यात्मशास्त्र से जोडें !

‘विज्ञान स्थूल सूत्रों पर कार्यरत है, जबकि अध्यात्म सूक्ष्म स्तर पर, अर्थात मन-बुद्धि-चित्त इन चरणों पर कार्य करता है । विज्ञान भी धीरे धीरे सूक्ष्म स्तर पर कार्य करने लगा है; परंतु उसी समय अध्यात्म उससे भी आगे जाकर सूक्ष्मतर एवं सूक्ष्मतम स्तर तक कार्य करता है ।

संपादकीय : सभी ‘अवैध’ स्वयं ही हटाएं !

हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के साथ भाजपा विधायक नितेश राणे तथा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने इस प्रकरण में कुछ ही दिन पूर्व आंदोलन किया तथा दरगाह के ‘अतिरिक्त’ निर्माणकार्य पर अपराध भी पंजीकृत हुआ ।

कोरोना महामारी के संघर्षमय काल में जिज्ञासुओं के लिए संजीवनी प्रमाणित हुआ सनातन संस्था का ‘ऑनलाइन साधना सत्संग’ !

आध्यात्मिक साधना के अभाव में अधिकतर लोगों को जीवन में आनेवाले तनावों का सामना करते समय मनोबल एवं आत्मबल अल्प पडता है । तनाव, निराशा, नकारात्मकता, चिडचिडाहट; ऐसी अनेक लोगों की स्थिति होती है ।

अखिल मानवजाति का हित साध्य करना ही सनातन संस्था का उद्देश्य है !

सनातन संस्था विगत २५ वर्षाें से अनेक जनहितकारी उपक्रम चला रही है, जिससे समाज धर्माचरणी एवं श्रद्धावान बन रहा है । यह कार्य देखकर नास्तिकतावादी, आधुनिकतावादी, अंधविश्वास निर्मूलनवादी, हिन्दूद्वेषी, वामपंथी एवं तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादियों को सहन नहीं हो रहा है ।

हिन्दुओं की अद्वितीय कालगणना की पद्धति की अलौकिकता का वर्णन करनेवाला…नवसंवत्सरारंभ !

जैसे हिन्दुओं का कोई भी त्योहार मौज-मस्ती का विषय नहीं, अपितु मंगलता, पवित्रता, चैतन्य एवं आनंद का समारोह है, वैसे ही चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भी है ! इसकी एक और विशेषता यह है कि यह काल का प्रत्यक्ष भान कराकर जीव को अधिकाधिक अंतर्मुख बना देता है !

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर वर्षारंभ करने के प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक कारण

ज्योतिष-शास्त्र अनुसार संवत्सरारंभ के आस-पास ही सूर्य वसंतविषुव (Vernal Equinox) पर आता है एवं वसंत ऋतु आरंभ होती है अर्थात सूर्य भ्रूमध्यरेखा को पार करता है तथा दिन-रात का मान समान होता है ।