पू. अश्विनीताई, आपमें माता
लक्ष्मी का रूप प्रतीत होता है ।
आपसे हम सब साधकों का
जन्मों-जन्माें का अटूट नाता है ।। १ ।।
आपकी आंखों से वात्सल्य का भाव छलकता है ।
आपकी वाणी में सरस्वती-सी मधुरता है ।। २ ।।
आपके सानिध्य में परम शांति का आभास होता है ।
आपके सत्संग से साधना का मार्ग सरल लगता है ।। ३ ।।
आपके दृष्टिमात्र से मेरा हृदय भावाश्रु से भरता है ।
आपको समक्ष देखके रोमरोम में
भक्ति एवं कृतज्ञता का भाव उभरता है ।। ४ ।।
आपकी छत्रछाया में हर साधक निखरता है ।
आपके प्रेम-भरे स्पर्शसे मन में
बालक होने का एहसास पुनः जाग उठता है ।। ५ ।।
आप तो प्रत्यक्ष माऊली हैं ।
हम साधकों का मन यह हर क्षण
अनुभव करता है ।। ६ ।।
आज जन्मदिन के इस शुभ अवसर पर,
आज ही नहीं, हर बार ।
चाहे कितने भी जन्म हों मेरा शीश
आपके श्री चरणोंमें बार-बार झुकता है ।। ७ ।।
टीप – सनातनच्या ६९ व्या संत पू. (सौ.) अश्विनी पवार
– कु. शुभदा वसंतराव आचार्य, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल. (२०.११.२०२२)