CM Yogi Adityanath : कोई भी संत और योगी सत्ता का गुलाम नहीं हो सकता !

सका यही अर्थ है कि राजनेता सत्ता के गुलाम होते हैं और यह गुलामी करने के लिए वे जनता को स्वयं का गुलाम बनाते हैं ! ऐसे राजनेताओं से देश को मुक्त कर धर्माचरण करने वाले शासनकर्ता लाने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए !

छत्तीसगढ में गायों की रक्षा एवं संवर्धन हेतु सरकार आयोग का गठन करे ! – संत रामबालक दास महात्‍यागी

गायों की रक्षा हेतु संतों को ऐसी मांग न करने की स्थिति नहीं आनी चाहिए । छत्तीसगढ की भाजपा सरकार गोरक्षा हेतु स्वयं ही कदम उठाए, यह हिन्दुओं की भावना है !

Pilot Baba : महायोगी कपिल अद्वैत सामनाथ गिरी उर्फ पाइलट बाबा का देहत्याग

पाइलट बाबा के नाम से प्रसिद्ध महायोगी कपिल अद्वैत सामनाथ गिरी ने २० अगस्त २०२४ को देहत्याग किया । बाबा के देहत्याग के कारण ‘पाइलट बाबा धाम आश्रम’ में, साथ ही सासाराम के उनके भक्तगण में शोक छा गया है ।

तीर्थक्षेत्र और धार्मिक नगरी चित्रकूट में एक संत का घर लूटने वालों पर २ महीने पश्चात भी कार्यवाही नहीं !

हिन्दुओं को लगता है कि भाजपा के राज्य में ऐसा नहीं होना चाहिए !

बांग्लादेश के हिन्दुओं पर हो रहे आक्रमण यदि नहीं रुकते, तो संत समाज बांग्लादेश जाने के लिए तैयार ! – महामंडलेश्‍वर स्‍वामी प्रबोधानंद गिरी

भारत के साधु-संतों द्वारा केंद्र सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग !

Predictions Swamiji Kodimath : अस्वस्थता में वृद्धि, लोग मानसिक स्थिरता खो देंगे !

विश्व में रोगों की संख्या बढने की आशंका है । आयु कम होने वाली है । पुरुष एवं स्त्रियां मानसिक स्थिरता खो देंगे। आने वाले दिन इतने शुभ नहीं हैं’, स्वामीजी ने अपनी भविष्यवाणी में कहा।

‘आध्यात्मिक मानवतावाद एवं अंतरधर्मीय सुसंवाद’ के प्रवर्तक स्वामी श्री. आनंद कृष्णा का इंडोनेशिया में स्थित सात्त्विक आश्रम तथा उनके साधक !

स्वामी श्री. आनंद कृष्णा सिंधी वंश के हैं तथा इंडोनेशिया उनका जन्मस्थल है । वे इंडोनेशिया के ‘आध्यात्मिक मानवतावाद, साथ ही अंतरधर्मीय सुसंवाद’ के प्रवर्तक हैं । उन्होंने प्रचुर लेखनकार्य भी किया है ।

पू. भगवंत कुमार मेनरायजी के पार्थिव शरीर से प्रचुर मात्रा में चैतन्य प्रक्षेपित होना तथा उनके अंतिम दर्शन करनेवाले साधकों को आध्यात्मिक लाभ होना

‘संतों के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक दृष्टि से क्या लाभ होता है ?’, इसके संदर्भ में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से ‘यू.ए.एस. (यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर)’ उपकरण तथा लोलक के द्वारा शोध किया गया ।

धर्मप्रसार हेतु अधिकाधिक संत बनने आवश्यक ! – बाल सुब्रह्मण्यम्, निदेशक, मंगलतीर्थ इस्टेट एवं ब्रुकफील्ड इस्टेट, चेन्नई, तमिलनाडू

वेद, पुराणों, उपनिषदों, गीता, रामायण, महाभारत आदि धर्मग्रंथों में एक शब्द का भी परिवर्तन हुए बिना वे हम तक पहुंचे हैं । यह केवल गुरु-शिष्य परंपरा के कारण संभव हुआ है; इसलिए हमें गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान करना चाहिए ।

साधकों को संतों के सत्संग में कुछ न बोलना हो, तब भी सत्संग से होनेवाले लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें सत्संग में बैठना चाहिए !

‘संत अर्थात ईश्वर का सगुण रूप ! ‘उनका सत्संग मिलना’ साधकों का अहोभाग्य ही है । संतों के सत्संग में रहने पर उनमें विद्यमान ईश्वरीय चैतन्य का साधकों को लाभ मिलता रहता है ।