Sant Siyaram Baba : मध्य प्रदेश के ११० वर्ष आयु के संत सियाराम बाबा का देहत्याग !

संत सियाराम बाबा ने ११ दिसंबर को सवेरे ६ बजकर १० मिनट पर देहत्याग किया । वे कुछ दिनों से अस्वस्थ थे तथा आश्रम में ही उनका उपचार चल रहा था ।

Vrindavan Dharma Sansad : देसी गाय को ‘राष्ट्रमाता’ घोषित करने की मांग !

मूलतः धर्म संसद तथा उसमें शामिल सन्तों एवं धर्मगुरुओं को ऐसी मांग करने की आवश्यकता ही नहीं रहनी चाहिए । यह काम सरकार को स्वयं ही करना चाहिए !

Vote Jihad – Maharashtra Elections : ‘वोट जिहाद’ को हराने के लिए संतों का आवाहन !

देश में मुस्लिम मौलवी हिन्दू विरोधी सरकारों को वोट देने का आह्वान कर रहे हैं । ऐसे में हिन्दू समुदाय को भी एकजुट होकर हिंदुत्व पार्टियों के समर्थन में वोट करना चाहिए ।

हिन्दुओं को अपनी रक्षा का अधिकार चाहिए ! – Shankaracharya Swami Sadanand Saraswati

दिल्ली की धर्म संसद में द्वारका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती का बयान

Jagadguru Shri Rambhadracharya Slams Congress : ‘आवारा लोग एवं गुंडे लोगों को राजनीति करनी चाहिए ‘ ? – जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने भाषण में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा भाजपा नेता योगी आदित्यनाथ के भगवा वस्त्र की आलोचना की ।

RSS Chief Mohan Bhagwat : संतों की रक्षा का कार्य रा.स्व. संघ करता है ! – प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत

 संत तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कोई विशेष अंतर नहीं है । संत मंदिर में पूजा करते हैं, जबकि संघ के कार्यकर्ता बाहर रह कर उसकी सुरक्षा में लिप्त रहते हैं ।

अकोला के महान संत प.पू. दत्त महाराज कुलकर्णी का देहत्याग !

यहां के महान संत प.पू. दत्त महाराज कुलकर्णी ने ३ नवंबर को सायंकाल ७.५५ बजे ९४ वर्ष की अवस्था में देहत्याग किया ।

उत्तराखंड राज्य में अहिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने हेतु कानून बनाएं !

एक संत को ऐसी मांग करनी पडती है, अर्थात परिस्थिति गंभीर है । राज्य तथा केंद्र में भाजपा की सरकार होने से इस प्रकरण में गंभीरता से उचित निर्णय लेने की आवश्यकता है, अन्यथा हिंदुओं के धार्मिक स्थल पर बांग्लादेश समान परिस्थिति उत्पन्न होने की संभावना है !

Vishwaprasanna Teertha Swamiji : ‘जाति व्यवस्था बुरी है, यह कहनेवाले ही उसे पोस रहे हैं !

जाति व्यवस्था बुरी है’, ऐसा कहने वाले ही इस व्यवस्था को पोस रहे हैं । एक ओर वे कहते हैं, ‘हमारी कोई जाति नहीं है’, तो दूसरी ओर सभी क्षेत्रों में जाति व्यवस्था को पुष्ट करने का कार्य करते हैं ।

Pandit Dhirendra Krishna Shastri : ‘वासना के पुजारी’ जैसे शब्दों का उपयोग क्यों ? वासना के पादरी अथवा मौलाना क्यों नहीं ? -पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री

भारत में हिन्दू संतों, महंतों, धार्मिक गुरुओं तथा पुजारियों की फिल्मों, जनसंचार माध्यमों तथा अन्य माध्यमों से आलोचना की जाती है । इसके विपरीत, कई वासनात्मक गतिविधियों में लिप्त मौलाना अथवा पादरी के संबंध में कुछ नहीं कहा जाता है ।