पुरातत्व विभाग ने पंढरपुर में भगवान विट्ठल की मूर्ति के क्षरण के कारण रासायनिक उपचार करने के निर्देश दिए !

पंढरपुर – पंढरपुर में ‘श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति’ की बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए समिति के सह-अध्यक्ष ह.भ.प. गहिनीनाथ महाराज औसेकर ने कहा, “वारकरी लगातार श्री विट्ठल के दर्शन करते हैं, और मूर्ति का अभिषेक करते हैं, जिससे मूर्ति पर कुछ टूट-फूट होती है,” और पुरातत्व विभाग ने मंदिर समिति को निर्देश दिए हैं कि “टूट-फूट को रोकने के लिए रासायनिक उपचार किया जाना चाहिए ।” इस संबंध में पुरातत्व विभाग निर्देश जारी करेगा कि मंदिर कितने समय के लिए बंद किया जाए, तथा लिखित रिपोर्ट जारी की जाएगी । मंदिर को आधे दिन अथवा ८ घंटे के लिए बंद करना होगा । उन्होंने कहा, “मंदिर समिति में इस पर चर्चा की जाएगी और आगे निर्णय लिया जाएगा ।”

मूर्ति पर रासायनिक लेप लगाने के लिए संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाई करें !

मंदिर महासंघ, वारकरी श्री विठ्ठल की मूर्ति पर शास्त्रविरुद्ध रासायनिक लेप के प्रयोग का कड़ा विरोध करता है ! – सुनील घनवट, राष्ट्रीय संगठक, मंदिर महासंघ

बताया जा रहा है कि पुरातत्व विभाग ने महाराष्ट्र के आराध्य देवता और करोड़ों श्रद्धालुओं के आस्था स्थल पंढरपुर में भगवान विट्ठल की मूर्ति पर एक बार फिर रासायनिक लेप लगाने का निर्देश दिया है। वास्तव में, यह कार्य वर्ष २०२० में भी किया गया था। जब यह काम पूरा हुआ तो कहा गया कि ‘अगले ८ से १० साल तक उन्हें कुछ नहीं होगा।’ यदि ऐसा है, तो आपको इसे दोबारा क्यों लेप लगाना पड रहा है, जबकि इसे तो ४ वर्ष पहले ही लेप लगाया गया था ? तथ्य यह है कि लेप ४ वर्षों के भीतर लगाना पड रहा है, इसका अर्थ है कि पिछला कार्य घटिया गुणवत्ता का था । वस्तुतः किसी भी देवता की मूर्ति पर किसी भी प्रकार का रासायनिक लेप लगाना पूर्णतः अशास्त्रीय कार्य है । यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि मूल कारण को संबोधित किए बिना रासायनिक लेप जैसे सतही उपाय करने से देवता की मूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है । इसलिए, मंदिर संघ और वारकरी रासायनिक लेप लगाने के सख्त विरुद्ध हैं । वहीं, मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संगठक श्री सुनील घनवट ने मांग की कि ‘रासायनिक लेप को कम समय में वापस लगाने के लिए संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए ।’

श्री. सुनील घनवट

इस संबंध में जारी प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि…,

१. इसी प्रकार, पश्चिमी महाराष्ट्र देवस्थान प्रबंधन समिति ने वर्ष २०१५ में कोल्हापुर में श्री महालक्ष्मी देवी की मूर्ति पर वज्रलेपन की प्रक्रिया की थी । फिर, मात्र दो वर्षों के भीतर ही देवी की मूर्ति का रंग उखड़ने लगा । मूर्ति पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगे और मूर्ति लगातार खराब होती गई । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा इस रासायनिक प्रक्रिया का विरोध करने पर भी भक्तों पर यह अनैतिक रासायनिक लेप थोपा गया । इसके बाद ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि यह प्रक्रिया बार-बार दोहरानी पड़ रही है और मूर्ति का मूल स्वरूप बदला जा रहा है । हमारा प्रस्ताव यह है कि पंढरपुर में ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए ।

२. इसलिए, पंढरपुर में श्री विठ्ठल की मूर्ति पर पुनः रासायनिक लेप लगाने से पहले, हम मांग करते हैं कि मंदिर समिति को ‘पिछले लेप की रिपोर्ट घोषित करनी चाहिए, और लेप के लिए उत्तरदयी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए’। यदि मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया गया है, दाग लगाया गया है, अथवा रासायनिक लेप लगाकर उसके मूल स्वरूप में परिवर्तन किया गया है, इस आधार पर कि उसे वरक द्वारा क्षतिग्रस्त किया गया है, तो लेप लगाने से पहले यह निर्धारित किया जाना चाहिए । यदि ऐसा कोई परिवर्तन होता है तो इसके लिए पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ मंदिर समिति के प्रशासनिक अधिकारी और समिति सदस्य भी उत्तरदायी होंगे । इसलिए पंढरपुर में श्री विठ्ठल की मूर्ति पर रासायनिक लेप की प्रक्रिया शीघ्रता में नहीं की जानी चाहिए, अपितु वारकरी संप्रदाय, सभी विठ्ठल भक्तों, संतों, महंतों और धर्मगुरुओं को विश्वास में लेकर की जानी चाहिए । पिछली प्रक्रिया से क्या प्राप्त हुआ ? और यह प्रक्रिया अभी क्यों करनी होगी ? इसे लिखित रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए । यह प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से की जानी चाहिए । मंदिर महासंघ मांग कर रहा है कि इस बारे में पूरी जानकारी पहले ही जनता को उपलब्ध करा दी जाए ।