प्रख्यात ‘इंडोलॉजिस्ट’ (भारतविद), ‘भारतीय विद्या भवन’ के ‘के.एम्. मुंशी सेंटर फॉर इंडोलॉजी’ की अधिष्ठाता, दिल्ली स्थित भारतीय विद्या भवन की मुख्य आचार्य रघु वीरा प्रो. डॉ. शशिबाला इन विविध माध्यमों से भारतीय संस्कृति, यहां के प्राचीन शास्त्रों का प्रचार-प्रसार कर रही हैं । उनके कार्य की व्याप्ति एवं संक्षिप्त परिचय यहां देखते हैं ।

विशेष स्तंभ
छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिन्दवी स्वराज हेतु जिस प्रकार उनके सैनिकों एवं सेनापतियों का त्याग सर्वोच्च है, उस प्रकार आज भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिक हिन्दू धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा हेतु ‘सैनिक’ के रूप में कार्य कर रहे हैं । उनकी तथा हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु उनके संघर्ष की जानकारी देनेवाले ‘हिन्दुत्व के वीर योद्धा’ इस लेख द्वारा अन्यों को भी प्रेरणा मिलेगी ! – संपादक
‘जी २०’ के कार्यक्रम में बोलते हुए प्रा. डॉ. शशिबाला
१. प्रो. डॉ. शशिबाला द्वारा सुशोभित तथा वर्तमान में सुशोभित पद
अ. ‘सी २०’ / ‘जी २०’ की अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति की सदस्या (जी २० अर्थात १९ देशों तथा यूरोपियन यूनियन (जिसमें २७ देश हैं) के अर्थमंत्री तथा मध्यवर्ती बैंक गवर्नर का संगठन ) ।
आ. ‘रघुवीर के ९ खंडों के अंग्रेजी-संस्कृत शब्दकोश’ की संपादिका ।
इ. भूतपूर्व सदस्या : मिशन उच्चस्तरीय समिति, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा मंत्रालय ।
ई. सदस्या : सोसाइटी, मकायस, कोलकाता ।
उ. अध्यक्षा : अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक अभ्यास परिषद, भारत ।
ऊ. प्रो. रघुवीरा द्वारा स्थापित ‘भारतीय संस्कृति अंतर्राष्ट्रीय अकादमी’ की कार्यकारी सदस्या (वर्तमान निदेशक प्रो. लोकेश चंद्र हैं ) ।
ए. सलाहकार : भारतीय संस्कृति वैश्विक न्यास ।
ऐ. कार्यकारी सदस्या : भारतीय शिक्षण मंडल (विद्यालयीन शिक्षा) ।
ओ. सदस्या : अनुसंधान प्रकोष्ठ, भारतीय शिक्षा मंडल ।
औ. संस्थापक सदस्या : अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध महासंघ तथा अन्य विविध संस्थाएं ।
अं. राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान में भूतपूर्व अभ्यागत प्राध्यापिका ।
क. इंग्लैंड के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में अतिथि प्राध्यापक, रूस के उरल फेडरल विश्वविद्यालय तथा नई दिल्ली स्थित ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA)’ में सलाहकार ।

२. प्रो. डॉ. शशिबाला द्वारा किया गया कार्य
अ. वैश्विक स्तर पर भारत का सांस्कृतिक योगदान, वैश्विक दृष्टिकोण से संस्कृत, भारतीय कलाओं का इतिहास, बौद्ध धर्म एवं राजनीतिक सीमाओं के परे सांस्कृतिक संबंध दृढ़ करने के लिए उन्होंने कार्य किया है ।
आ. नई दिल्ली स्थित ‘नेशनल म्यूजियम इंस्टीट्यूट’ इस स्वतंत्र विश्वविद्यालय में १५ वर्षों तक ‘कला का इतिहास’ इस विषय पर व्याख्यान दिए हैं ।
इ. डॉ. शशिबाला ने विविध विषयों पर २५ पुस्तकें तथा ११० शोध निबंध प्रकाशित किए हैं । परिषदों का आयोजन करना, प्रदर्शनियों का आयोजन करना, विदेश में भारतीय सांस्कृतिक अवशेषों का लिखित प्रमाण रखना, सर्वत्र प्रवास कर हिन्दू संस्कृति का प्रसार करना, विविध पाठ्यक्रमों का प्रारूप तैयार कर उसे प्रस्तुत करना, दूरदर्शन पर साक्षात्कार देना ऐसे विभिन्न माध्यमों से वे कार्यरत हैं । भारतीय विद्या भवन के लिए संस्कृत में ‘समग्र विज्ञान एवं भारतीय ज्ञान परंपरा’ इस पर तैयार किए पाठ्यक्रम ‘ए.आई.सी.टी.ई.’ द्वारा (‘ऑल इंडिया कौन्सिल फॉर टेक्निकल एज्युकेशन’ द्वारा) मान्यता प्राप्त हैं ।
३. सम्मान तथा पुरस्कार
डॉ. शशिबाला को अनेक राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार मिले हैं । उन्हें मंगोलिया के राष्ट्रपति के हाथों ‘द ऑर्डर ऑफ द पोलर स्टार’ सर्वोच्च नागरिक राज्य पुरस्कार प्राप्त हुआ है ।