मंदिरों द्वारा हाथियों का उपयोग किए जाने पर केरल उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए प्रतिबंध पर सर्वाेच्च न्यायालय ने लगाई रोक
नई देहली – केरल के मंदिरों में हाथियों की शोभायात्राओं पर प्रतिबंध तथा धार्मिक अनुष्ठानों ने उनके उपयोग पर प्रतिबंध लगानेवाले केरल उच्च न्यायालय के निर्णय पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाई है । सर्वाेच्च न्यायालय ने कहा, ‘मंदिरों के कार्यक्रमों में हाथियों का उपयोग करना हमारी संस्कृति का अंश है ।’, अब सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रकरण में नोटिस दिया है ।
Elephants in temples are a part of our culture! – Supreme Court
Supreme Court stays Kerala High Court’s ban on using elephants in temples.
Foreign-funded so-called animal rights activists are trying to disrupt Hindu traditions! – Petitioner Gaja Seva Samiti
To prevent such… pic.twitter.com/lSHxslnPlq
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 19, 2025
१७ मार्च को सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश बी.वी. नागरत्न एवं न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा ने यह रोक लगाई । गज सेवा समिति नाम के एक स्वयंसेवी संगठन की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया । केरल उच्च न्यायालय ने जनवरी २०२५ में मंदिरों के कार्यक्रमों में हाथियों का उपयोग करने के विषय में आदेश दिया था ।
तथाकथित पशु अधिकार कार्यकर्ता विदेशों से चंदा लेकर हिन्दू परंपराओं को खंडित करने का प्रयास कर रहे हैं ! – याचिकाकर्ता गज सेवा समिति का आरोप
मंदिरों के कार्यक्रमों में हाथियों के उपयोग पर प्रितबंध लगाने की मांग करनेवाले तथाकथित पशुप्रेमी कार्यकर्ता २ सहस्र वर्ष पुरानी हिन्दू परंपराओं को खंडित करना चाहते हैं । ये कार्यकर्ता विदेशों से चंदा लेकर हिन्दुओं की परंपराएं बाधित कर रहे हैं । केरल में हाथियों को पवित्र माना जाता है तथा शक्ति के प्रतीक के रूप में उनकी पूजा की जाती है ।
केरल उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए प्रतिबंध
१. केरल उच्च न्यायालय ने नवंबर २०२४ में पहली बार पशु अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा प्रविष्ट याचिका पर सुनवाई करते हुए मंदिरों के कार्यक्रमों में हाथियों का उपयोग करने पर अनेक प्रतिबंध लगा दिए थे । सर्वाेच्च न्यायालय ने उस पर रोक लगाई थी; परंतु पुनः जनवरी २०२५ में उच्च न्यायालय ने इस संदर्भ में नया आदेश दिया ।
इसमें –
अ. ३१ मई २०२२ से पूर्व जो मंदिर एवं देवस्थान पंजीकृत नहीं हैं, वे हाथियों की शोभायात्रा निकाल नहीं सकेंगे ।
आ. ऐसी कोई भी धार्मिक परंपरा नहीं है, जिसमें हाथियों का उपयोग करना अनिवार्य हो । मंदिरों में उपयोग किए जानेवाले हाथी ‘नाजी शिविरों’ जैसे (नाजी शिविरों में ज्यू लोगों का उत्पीडन कर उन्हें मार दिया जाता था ।) जीवन जीते हैं ।
इ. किसी भी उत्सव में हाथियों को ३० किलोमीटर से अधिक नहीं चलाया जाएगा । उन्हें एक दिन में १२५ किलोमीटर से अधिक दूर नहीं ले जाया सकेगा । उन्हें ६ घंटों से अधिक समय तक किसी भी वाहन में नहीं रखा जा सकता ।
ई. सवेरे ९ से सायंकाल ५ बजे तक सार्वजनिक सडकों पर हाथियों की शोभायात्रा पर प्रतिबंध होगा । रात के समय में भी उनके उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा । शोभायात्राओं में भी दो हाथियों के मध्य ३ मीटर दूरी रखनी पडेगी ।
संपादकीय भूमिकाहिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं पर इस प्रकार प्रतिबंध न लगे; इसके लिए हिन्दू राष्ट्र की ही आवश्यकता है ! |