हिन्दू राष्ट्र में ‘राष्ट्रहित सर्वोपरि’ होगा !
‘हिन्दू राष्ट्र में जातियां नहीं होंगी । इसलिए जातीय आरक्षण मिलने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होगा । राष्ट्रहित के लिए सर्व स्थान गुणों के आधार पर भरे जाएंगे ।’
‘हिन्दू राष्ट्र में जातियां नहीं होंगी । इसलिए जातीय आरक्षण मिलने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होगा । राष्ट्रहित के लिए सर्व स्थान गुणों के आधार पर भरे जाएंगे ।’
वास्तव में सरकार को हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाले फिल्मों पर स्वयं ही प्रतिबंध लगा देना चाहिए । उसके लिए सीधे शंकराचार्याें को प्रधानता लेने की स्थिति न आए । अब तो सरकार इस बोर्ड को आधिकारिक श्रेणी प्रदान कर धर्महानि रोकने के शंकराचार्याें के कार्य में सहायता करे, यही हिन्दुओं की भावना है !
महाविद्यालय में विद्या की देवी श्री सरस्वतीदेवी की पूजा करने की अनुमति न देना, यह शिक्षा क्षेत्र का अधःपतन ही है !
भाजपा के नेता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने ‘राज्यों की जनसंख्या के आधार पर वहां के हिन्दुओं को ‘अल्पसंख्यक’ की श्रेणी मिले; इसके लिए सर्वाेच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । इस विषय में न्यायालय के निर्देश के अनुसार केंद्र सरकार ने सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से यह जानकारी मांगी थी ।
देहली के श्री. सुभाष अग्रवाल, सूचना अधिकार कार्यकर्ता ने ‘देहली वक्फ बोर्ड’ से पूछा कि अब तक विविध इमामों को कितना वेतन दिया गया है ?’, इसकी जानकारी मांगी थी; परंतु अनेक दिन बीत जाने पर भी उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई ।
मकर संक्रांति के पावन पर्व पर पूज्यपाद श्रीगोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वती महाराजजी का ११ जनवरी २०२३ के दिन गंगासागर में शुभागमन होनेवाला था ।
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने यहां के भाजपा विधायक श्री. राज सिन्हा से सद्भावना भेंट की । इस अवसर पर समिति के पूर्व एवं पूर्वाेत्तर भारत समन्वयक श्री. शंभू गवारे एवं श्री. अमरजीत प्रसाद उपस्थित थे ।
ऐसे हिन्दू विरोधी लोग प्रशासन में होंगे तो वे हिन्दू हितों की रक्षा कैसे करेंगे ?
‘इंटरनेशनल वेदांत सोसायटी’ के संस्थापक श्री श्री भगवानजी का ८२ वां जन्मोत्सव दिवस ‘व्यापी साइन्स सिटी मेन ऑडिटोरियम’ में मनाया गया ।
पिछले माह नई देहली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के (‘जेएनयू’ के) परिसर में स्थित अनेक दीवारों पर ब्राह्मणों एवं व्यापारियों के विरुद्ध घोषणाएं (नारे) लिखी गईं । यह कृत्य वामपंथी (कम्युनिस्ट) विचारधारा से संबंधित छात्रों द्वारा किए जाने का कहा जा रहा है ।