पेड-पौधों को अत्यधिक पानी डालना टालें !

‘केवल पानी देने का समय हो गया; इसलिए पेड-पौधों को प्रतिदिन पानी डाल दिया, ऐसा न करते हुए पेड-पौधों एवं मिट्टी का निरीक्षण कर आवश्यकता होने पर ही पानी दें ।

पाकिस्तान टूटने की कगार पर ?

क्या पाकिस्तान में गृहयुद्ध आरंभ होगा ? तथा क्या पाकिस्तान के बाहर से ‘अफगानिस्तान तालिबान’ तथा पाकिस्तान की सीमा के अंदर ‘तेहरिक-ए-तालिबान पाकिस्तान’ एकत्र होकर पाकिस्तान को कुचल डालेंगे ? साथ ही खैबर पख्तुनख्वा, वजीरीस्तान अथवा जिसे ‘नॉर्थ वेस्ट फ्रंटीयर प्रॉविंस’ (वायव्य सीमा प्रांत) कहा जाता है, तो क्या यह प्रदेश पाकिस्तान से अलग होकर अफगानिस्तान में अंतर्भूत होगा ?’, ऐसे अनेक प्रश्न सामने आ रहे हैं ।

अखिल मनुष्यजाति को अध्यात्म जगत की नवीनतापूर्ण पहचान करानेवाले सनातन संस्था की ध्वनिचित्रीकरण से संबंधित सेवाओं में सम्मिलित होकर धर्मकार्य में अपना योगदान दें !

परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के मार्गदर्शन में सनातन के रामनाथी आश्रम में स्थापित ‘ध्वनिचित्रीकरण की सेवा’ हिन्दू धर्म एवं संस्कृति, साथ ही आध्यात्मिक शोधकार्य की अद्वितीय पहचान करानेवाला ज्ञान का भंडार है !

‘वैलेंटाइन डे’ की पश्चिमी प्रथा छोडें !

पिछले कुछ वर्षों से ‘१४ फरवरी’ को ‘वैलेंटाइन डे’ अर्थात ‘प्रेम दिवस’ के रूप में मनाते हैं । युवाओ, क्या वास्तविक प्रेम एक दिन का ही होता है ? ‘वैलेंटाइन डे’ का प्रचलन अब सर्वत्र बढ रहा है ।

साधकों को सूचना एवं पाठकों, हितचिंतकों तथा धर्मप्रेमियों से अनुरोध !

रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में सेवा एवं अन्य कारणों के लिए, साथ ही ‘सनातन प्रभात’ के गोवा-सिंधुदुर्ग संस्करण विभाग से संपर्क करने के लिए निम्नांकित क्रमांकों का उपयोग करें ।

जलने पर आयुर्वेद में प्राथमिक उपचार

‘किसी भी कारणवश जलने पर जले हुए भाग पर तुरंत ही घी लगाएं । दाह उसी क्षण थम जाता है । वैद्य लोग पैर में होनेवाले गोखरू (फुट कॉर्न) जलाकर निकालने के लिए ‘अग्निकर्म’ करते हैं ।

अशुभ काल में जन्मे शिशु की ‘जननशांति’ करना क्यों आवश्यक है ?

‘जनन अर्थात जन्म होना । नवजात (हाल ही में जन्मे) शिशु के संदर्भ में दोष-निवारण के लिए की जानेवाली विधि को ‘जननशांति’ कहते हैं । नवजात शिशु का अशुभ काल में जन्म होने से या विशिष्ट परिस्थिति में जन्म होने से दोष लगता है ।

महाशिवरात्रि के व्रत की विधि

फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी पर एकभुक्त रहें । चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल व्रत का संकल्प करें । सायंकाल नदी पर अथवा तालाब पर जाकर शास्त्रोक्त स्नान करें ।

शिवपिंडी पर बिल्वपत्र चढाने की पद्धति से संबंधित अध्यात्मशास्त्र

बिल्वपत्र, तारक शिवतत्त्व का वाहक है, तथा बिल्वपत्र का डंठल मारक शिवतत्त्व का वाहक है ।