निरोगी जीवन हेतु आयुर्वेद

हवा (वायु) है; इसीलिए जीवन संभव है । हमने यदि ‘हम केवल ५ मिनट वायु के बिना रहेंगे’, ऐसा कहा, तो क्या वह संभव होगा ?

भीषण आपातकाल आरंभ होने से पूर्व ही सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सम्मिलित होकर शीघ्र ईश्वरीय कृपा के पात्र बनें !

ग्रंथसेवा के अंतर्गत संकलन, अनुवाद, संरचना, मुखपृष्ठ-निर्मिति, मुद्रण इत्यादि विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित होने की इच्छा रखनेवाले अपनी जानकारी सनातन के जिलासेवक के माध्यम से भेजें ।

बिहार में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा हिन्दू राष्ट्र संपर्क अभियान !

सनातन धर्म रक्षा सम्मेलन में हिन्दू जनजागृति समिति भी सम्मिलित

युवाओं ने जाना अध्यात्म का महत्त्व

अद्वैत यूथ क्लब व सप्तमातृका आश्रम ने नर्मदा तट पर तीन दिवसीय युवा जागरण शिविर का आयोजन किया था । शिविरार्थियों से वैदिक दिनचर्या का पालन करवाकर उन्हें सनातन धर्म-संस्कृति के महत्त्व से अवगत करवाया गया ।

गुरुकृपायोग में ‘ज्ञानयोग’ भक्तियोग के अंतर्गत आता है !

कलियुग में भक्तियोग के अनुसार साधना कर शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति करना संभव है । इसके लिए ‘गुरुकृपायोग’ भक्तियोगप्रधान है । गुरुकृपायोग के अनुसार साधना करते समय साधक को आवश्यकता के अनुसार अन्य साधनामार्ग भी सिखाए जाते हैं ।

सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा साधकों को व्यष्टि एवं समष्टि साधना के विषय में किया मार्गदर्शन

साधना होने के लिए कष्ट करने की तैयारी होनी चाहिए । हम केवल कर्म करते हैं; परंतु वे कर्म साधना के रूप में ही होने चाहिए । साधना के रूप में न करने से हम पीछे रहते हैं ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

मानव एकमात्र प्राणी है, जो केवल स्वयं के लिए जीता है । वह प्रकृति पशु-पक्षी एवं वनस्पति से निरंतर कुछ न कुछ लेता रहता है । मानव के स्वार्थ के कारण ही वह अन्य प्राणियों की तुलना में अधिक दुखी रहता है ।

सप्तर्षियों की कृपा प्राप्त करनेवालीं तथा बडी सहजता से ‘विश्वकार्य’ के स्तर तक पहुंचनेवालीं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

अभी तक श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने आध्यात्मिक क्षेत्र में बहुत बडा कार्य किया है तथा इसके आगे भी उनके द्वारा बहुत बडा अद्वितीय एवं दैवीय कार्य होनेवाला है !

‘आज हिन्दू राष्ट्र के लिए नहीं जागे, तो कल इस्लामिक राष्ट्र में रहना पडेगा !’ – डॉ. नील माधव दास, तरुण हिन्दू

भारत को हिन्दू राष्ट्र कैसे घोषित कर सकते हैं, इस पर विचारमंथन एवं कृति की रूपरेखा तैयार करने के उद्देश्य से हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा २ एवं ३ दिसंबर को ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ का आयोजन किया गया ।