सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के वास्तु के संदर्भ में विचार

घर अथवा सदनिका खरीदते समय  उसमें विद्यमान स्पंदन अच्छे हों, तभी उन्हें खरीदें !

चाहे हम किसी भी साधनामार्ग से साधना करें, तब भी अखंड साधनारत रहना संभव !

ज्ञानयोगी पढे हुए ज्ञान का चिंतन कर सकता है, कर्मयोगी हो, तो वह प्राप्त परिस्थिति में भी अपेक्षारहित रह सकता है तथा हठयोगी केवल सांस पर ध्यान केंद्रित कर अखंड साधनारत रह सकता है ।

ज्ञान चाहे किसी भी माध्यम से मिले; तब भी वह ईश्वर से ही प्राप्त होने के कारण उससे सीखने में मिलनेवाला आनंद महत्त्वपूर्ण है !

‘साधना में होकर आप हंसमुख नहीं हैं, तो ‘आपकी साधना उचित ढंग से नहीं हो रही है’, ऐसा मान लें तथा प्रयास बढाएं ! –  सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी       

हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरीजी का सम्मान !

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने ‘अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद’ के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरीजी से भेंट की । इस अवसर पर सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगले ने श्री महंत रविन्द्र पुरीजी को पुष्पमाला एवं उपहार देकर सम्मानित किया ।

­व्यायाम करने के लिए आयु का कोई बंधन नहीं है !

आपकी आयु चाहे कितनी भी हो; परंतु व्यायाम का आनंद उठाने में विलंब नहीं हुआ है । अपनी स्वयं की क्षमता के अनुसार व्यायाम करना आरंभ करें तथा कोई शारीरिक कष्ट हो, तो व्यायाम का नया प्रकार आरंभ करने से पूर्व डॉक्टर से परामर्श लें !

हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ का द्वितीय रंगीन विशेषांक

प्रभु श्रीराम मंदिर इस विशेषांक में पढें अयोध्या की महिमा , संत संदेश एवं कारसेवकों के अनुभव !

भीषण आपातकाल आरंभ होने से पूर्व ही सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सम्मिलित होकर शीघ्र ईश्वरीय कृपा के पात्र बनें !

ग्रंथसेवा के अंतर्गत संकलन, अनुवाद, संरचना, मुखपृष्ठ-निर्मिति, मुद्रण इत्यादि विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित होने की इच्छा रखनेवाले अपनी जानकारी सनातन के जिलासेवक के माध्यम से भेजें ।

युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायी ग्रंथकार्य का ध्वज ऊंचा रखने हेतु ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सम्मिलित हों !

ग्रंथसेवा के अंतर्गत संकलन, भाषांतर, संरचना, मुखपृष्ठ-निर्मिति इत्यादि विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित होने के इच्छुक युवक अपनी जानकारी सनातन के जिलासेवकों के माध्यम से भेजें ।

पाठकों, शुभचिंतकों और धर्मप्रेमियों से विनम्र निवेदन तथा साधकों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचना !

पितृपक्ष में पितृलोक, पृथ्‍वीलोक के सर्वाधिक निकट आने से इस काल में पूर्वजों को समर्पित अन्‍न, जल और पिंडदान उन तक शीघ्र पहुंचता है । उससे वे संतुष्‍ट होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं ।