अभी तक श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने आध्यात्मिक क्षेत्र में बहुत बडा कार्य किया है तथा इसके आगे भी उनके द्वारा बहुत बडा अद्वितीय एवं दैवीय कार्य होनेवाला है ! |
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की ‘एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी’ श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के ५३ वे जन्मदिवस (२५ दिसंबर २०२३) के उपलक्ष्य में उनके चरणों में कृतज्ञतापूर्वक नमस्कार !
१. केवल २०-२१ वर्षाें में ही अध्यात्म का बहुत बडा चरण पार करनेवाले एकमेवाद्वितीय दंपति ‘गाडगीळ दंपति’ !
‘सनातन को प्राप्त एक अनमोल धरोहर है, गाडगीळ दंपति ! ये दोनों उच्चशिक्षित होते हुए भी विरक्त वृत्ति के, उच्च कोटि का भाव रखकर तथा ईश्वर के प्रति दृढ श्रद्धा से समर्पित होकर साधना करनेवाले तथा अहंभाव रहित हैं । इन दोनों की प्रकृति एवं साधना-पद्धतियां भले ही भिन्न-भिन्न हों; परंतु तब भी ये साधना-पद्धतियां एक-दूसरे के लिए पूरक सिद्ध हुई हैं तथा आज साधना में ये दोनों उच्च आध्यात्मिक पद पर विराजमान हैं । श्रीमती अंजली गाडगीळजी ‘श्रीचित्शक्ति’ तथा डॉ. मुकुल गाडगीळजी ‘सद्गुरु’, इन पदों पर विराजमान हैं । विगत २०-२१ वर्षाें में उन्होंने अध्यात्म का बहुत बडा स्तर पार किया है, जो अत्यंत प्रशंसनीय है ।
२. स्थूल एवं सूक्ष्म, इन दोनों कार्याें को उत्तम प्रकार से करनेवालीं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी !
श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की विशेषता यह है कि वे स्थूल एवं सूक्ष्म, कोई भी कार्य उत्तम प्रकार से कर सकती हैं । ऐसा एक भी विषय नहीं है, जिस पर श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी प्रभुत्व न हो । उन्होंने लगभग सभी विषयों का ज्ञान ग्रहण किया है । उनके ज्ञान की प्रवाही भाषा तथा उनके ज्ञान का स्तर देखा जाए, तो उनकी ज्ञानशक्ति की प्रतीति होती है । पृथ्वी पर कहीं पर भी उपलब्ध न होनेवाला ज्ञान उन्होंने संपूर्ण मानवजाति को उपलब्ध करा दिया है । विशेष बात यह है कि उन्हें उनकी किसी भी उपलब्धि का अहंकार नहीं है ।
३. सप्तर्षियों के आज्ञापालन की उत्कंठा रखनेवालीं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी !
सप्तर्षियों की आज्ञा से श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी की दैवीय यात्रा अविरत जारी है । अभी तक उन्होंने सैकडों स्थानों का अवलोकन किया है । कभी-कभी उनकी यात्रा बहुत कठिन होती है; परंतु ‘सप्तर्षियों का आज्ञापालन होना ही चाहिए’, इस एक ही उत्कंठा से वे अविरत यात्रा कर बहुत बडा समष्टि कार्य कर रही हैं । ‘सप्तर्षियों को क्या अपेक्षित है ?’, इसे समझकर प्रत्येक कृति भावपूर्ण पद्धति से तथा संपूर्ण श्रद्धापूर्वक करनेवालीं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी ने सप्तर्षियों की भी कृपा प्राप्त की है ।
श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी उनके दैवीय भ्रमण का लेखन करती हैं । उसमें स्थूल की अर्थात पंचज्ञानेंद्रिय, मन एवं बुद्धि के स्तर के लेखन के साथ ही जहां आवश्यक होता है, वहां सूक्ष्म के अर्थात आध्यात्मिक परीक्षण होते हैं तथा चैतन्य भी होता है । उसके कारण पाठकों को उसकी अनुभूतियां भी होती हैं ।
४. समाज के लोगों का श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी की ओर आकृष्ट होना
श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी में विद्यमान शक्तितत्त्व एवं चैतन्य में वृद्धि हो रही है तथा अब उनकी दिव्यता छिपी नहीं रहती । समाज के लोगों को भी उनमें विद्यमान शक्तिस्वरूप अनुभव होता है तथा वे श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी की ओर आकृष्ट होते हैं । ईश्वर ने सनातन को श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी जैसा अनमोल रत्न प्रदान कर मानवजाति पर बहुत बडी कृपा की है । आज वे ५३ वें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं । अभी तक श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने बहुत बडा कार्य किया है तथा इसके आगे भी उनके द्वारा बहुत बडा अद्वितीय एवं दैवीय कार्य होनेवाला है ।
श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी के सभी परिजन साधनारत हैं तथा उनकी आध्यात्मिक उन्नति भी तीव्र गति से हो रही है । ‘सप्तर्षियों की आज्ञा से तथा भगवान श्रीकृष्ण के कृपाशीर्वाद से श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के द्वारा इसी प्रकार से तीव्र गति से विश्वकार्य संपन्न हो’, यह सप्तर्षियों के चरणों में प्रार्थना है !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी (६.१२.२०२२)