भीषण आपातकाल आरंभ होने से पूर्व ही सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सम्मिलित होकर शीघ्र ईश्वरीय कृपा के पात्र बनें !

१. रामराज्य में रहनेवाली प्रजा सात्त्विक थी; इसलिए उसे श्रीराम जैसे आदर्श राजा मिले । रामराज्य के समान सर्वांगसुंदर एवं आदर्श हिन्दू राष्ट्र का अनुभव करने हेतु आज के समाज का भी सात्त्विक होना अनिवार्य है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित किए जा रहे ग्रंथों में विद्यमान ज्ञान से समाज सात्त्विक (साधक) होकर वह हिन्दू राष्ट्र के लिए पोषक बननेवाला है । इससे ही हिन्दू राष्ट्र तैयार होनेवाला है ।

२. तीसरे विश्वयुद्ध, बाढ इत्यादि महाभयंकर आपातकाल से हम बचेंगे, तभी जाकर हम हिन्दू राष्ट्र देख सकेंगे ! हमने साधना की, तभी हम आपातकाल से बच सकते हैं; क्योंकि साधकों पर भगवान की कृपा होती है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित किए जा रहे ग्रंथों से सुयोग्य, आज के वैैज्ञानिक युग में रहनेवाली पीढी को सहज समझ में आनेवाली वैज्ञानिक परिभाषा में तथा काल के अनुसार आवश्यक साधना का ज्ञान मिलता है । इसलिए इन ग्रंथों का अनन्य महत्त्व है ।

३. प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति एवं रुचि के अनुसार उसे यदि अध्यात्म की शिक्षा मिली, तो उसमें साधना की रुचि शीघ्र उत्पन्न होती है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी विभिन्न विषयों पर आधारित ग्रंथों का संकलन करते हैं; इसलिए उस माध्यम से अनेक लोग अपनी-अपनी प्रकृति तथा रुचि के अनुसार साधना की ओर शीघ्र मुड सकते हैं ।

४. हिन्दू राष्ट्र तो कुछ सहस्र वर्षों तक टिका रहेगा; परंतु ग्रंथों में दिया गया ज्ञान अनंत काल तक टिका रहनेवाला है; इसलिए हिन्दू राष्ट्र शीघ्र आना आवश्यक है, उतनी ही शीघ्रता भीषण आपातकाल आरंभ होने से पूर्व इन ग्रंथों को प्रकाशित करने की है ।

इसीलिए ‘इस ग्रंथकार्य में सम्मिलित होना’ ईश्वरीय कृपा का बडा पर्व ही है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी द्वारा संकलित; परंतु अभी तक अप्रकाशित लगभग ५००० ग्रंथ हैं । इन ग्रंथों के माध्यम से उनमें समाहित ज्ञान समाज तक यथाशीघ्र पहुंचना आवश्यक है । इस ग्रंथकार्य में सम्मिलित होकर सभी इस अवसर का अधिकाधिक लाभ उठाएं !

ग्रंथसेवा के अंतर्गत संकलन, अनुवाद, संरचना, मुखपृष्ठ-निर्मिति, मुद्रण इत्यादि विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित होने की इच्छा रखनेवाले अपनी जानकारी सनातन के जिलासेवक के माध्यम से भेजें ।

संपर्क : श्रीमती भाग्यश्री सावंत,

ई-मेल : [email protected]

डाक पता : द्वारा ‘सनातन आश्रम’, रामनाथी, फोंडा, गोवा ४०३ ४०१.

– (पू.) संदीप आळशी, सनातन के ग्रंथों केसंकलनकर्ता