सरकार ‘लव जिहाद विरोधी कानून’ बनाए एवं ‘अयोध्यानगरी’ को मद्य-मांस मुक्त किया जाए ! – डॉ. निशांत दास, सचिव, तरुण हिन्दू

झारखंड में धनबाद एवं बोकारो में हिन्दू संगठनों द्वारा ‘हिन्दू राष्ट्र-जागृति आंदोलन’ !

उत्तरकाशी (उत्तराखंड) में हुई सुरंग की दुर्घटना से क्या आध्यात्मिक स्तर पर बोध लेंगे ?

देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में १२ नवंबर को सिल्कियारा सुरंग का कुछ अंश गिरने की दुर्घटना में सुरंग में फंसे ४१ श्रमिक १७ दिन उपरांत बाहर निकले । इस घटना की गहराई में जाने पर आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ध्यान में आए कुछ सूत्र यहां दे रहे हैं ।

राष्ट्रीय सुरक्षा में भारतीय नौसेना का महत्त्वपूर्ण योगदान !

भारतीय नौसेना विश्व की ५ वें क्रम की नौसेना है । भारतीय महासागर क्षेत्र में संतुलन एवं सुरक्षा बनाए रखने का कार्य नौसेना करती है ।

‘डीपफेक’ के द्वारा स्वयं की जानकारी चोरी न हो; इसके लिए क्या सतर्कता बरतें ?

कृत्रिम बुद्धि की सहायता से छायाचित्रों एवं वीडियो में परिवर्तन कर किसी के चेहरे को अन्य व्यक्ति के शरीर पर लगाकर ‘डीपफेक’ तैयार किए जाते हैं । इस डीपफेक को पहचानना कठिन है

‘सनातन प्रभात’ की लेखनी !

पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की लेखनी के माध्यम से राष्ट्र-धर्म के हो रहे कार्य का जब-जब गौरव हुआ, तब यह लेखनी स्थिर हुई तथा कठिन काल में भी अपनी प्रखर ध्येयनिष्ठा के कारण अविचल रही !

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में समाजमानस बनानेवाला ‘सनातन प्रभात’ !

‘सनातन प्रभात’ के पाठक, वितरक, शुभचिंतक, विज्ञापनदाता, हिन्दुत्वनिष्ठ आदि सभी सनातन परिवार के एक अविभाज्य अंग ही हैं ! इस अंक के उपलक्ष्य में होनेवाला विचारों का आदान-प्रदान तो हमारे लिए संपूर्ण वर्ष के ज्ञान का संग्रह है ।

‘सनातन प्रभात’ की यात्रा के कुछ विशेष क्षणों के छायाचित्र !

दैनिक के रत्नागिरी संस्करण के प्रकाशन समारोह में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी (वर्ष १९९९)

‘सनातन प्रभात’ के ‘ई-पेपर’ का एक संत द्वारा बनाया सूक्ष्म चित्र !

मारक शक्ति के कणों का ‘ई-पेपर’ से वातावरण में, साथ ही उसे पढनेवाले व्यक्ति की ओर प्रक्षेपण होनेसे व्यक्ति को धर्म का महत्त्व समझ में आता है तथा वह व्यक्ति साधना, साथ ही धर्मकार्य करने हेतु प्रेरित होता है ।

पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मान्यवरों एवं पाठकों की प्रतिक्रियाएं !

धर्म की रक्षा, उसकी स्थापना तथा दुष्प्रवृत्तियों के विनाश हेतु ही ‘सनातन प्रभात’ का जन्म !

मकर संक्रांति मनाने की पद्धति एवं पर्वकाल में दान का महत्त्व

‘मकर संक्रांति पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पुण्यकाल रहता है । इस काल में तीर्थस्नान का विशेष महत्त्व है । गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदियों के किनारे स्थित क्षेत्र में स्नान करनेवाले को महापुण्य का लाभ मिलता है ।’