सूक्ष्म आयाम को समझने की क्षमता रखना – सनातन संस्था के साधकों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता !

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने अपने गुरु प.पू. भक्तराज महाराजजी के आशीर्वाद से १.८.१९९१ को ‘सनातन भारतीय संस्कृति संस्था’ की स्थापना की । उसके उपरांत उन्होंने संस्था का नाम सरल करने हेतु २३.३.१९९९ को ‘सनातन संस्था’ की स्थापना की । अब मार्च २०२४ में सनातन संस्था के २५ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं । इस … Read more

अयोध्या के श्रीराम मंदिर में स्थापित मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई श्री रामलला की मूर्ति की प्रतीत हुई गुणविशेषताएं !

‘२२.१.२०२४ को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि   के नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में श्री रामलला की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की गई । इस मूर्ति को देखने पर मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई श्रीराम की इस मूर्ति की निम्न गुणविशेषताएं मेरे ध्यान में आईं ।

जनवरी २०२४ में अयोध्या के श्रीराम मंदिर में श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की जाएगी, उस समय वहां सूक्ष्म से होनेवाली प्रक्रिया का एक संत द्वारा किया गया परीक्षण

मंदिर के नीचे श्रीरामतत्त्व कार्यरत था ही; परंतु अनेक वर्ष तक वह (श्रीरामतत्त्व) अवरोधित था । भले ही ऐसा हो; परंतु अभी भी वहां श्रीरामतत्त्व बना हुआ है ।

‘सनातन प्रभात’ के ‘ई-पेपर’ का एक संत द्वारा बनाया सूक्ष्म चित्र !

मारक शक्ति के कणों का ‘ई-पेपर’ से वातावरण में, साथ ही उसे पढनेवाले व्यक्ति की ओर प्रक्षेपण होनेसे व्यक्ति को धर्म का महत्त्व समझ में आता है तथा वह व्यक्ति साधना, साथ ही धर्मकार्य करने हेतु प्रेरित होता है ।

सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा साधकों को व्यष्टि एवं समष्टि साधना के विषय में किया मार्गदर्शन

साधना होने के लिए कष्ट करने की तैयारी होनी चाहिए । हम केवल कर्म करते हैं; परंतु वे कर्म साधना के रूप में ही होने चाहिए । साधना के रूप में न करने से हम पीछे रहते हैं ।

सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा व्यष्टि एवं समष्टि साधना के विषय में किया गया मार्गदर्शन

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी इन्होंने साधकों की व्यष्टि एवं समष्टि साधना की समस्याओं को समझा तथा उनका मार्गदर्शन किया । इस मार्गदर्शन के सूत्र यहां दिए हैं ।

साधक श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी का इसी नाम से उल्लेख करें !

सनातन के साधक सप्तर्षियों का आज्ञापालन कर यदि ‘श्रीसत्शक्ति’ एवं ‘श्रीचित्‌शक्ति’, इन शब्दों का उच्चारण करेंगे, तो जिस प्रकार ‘शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध एवं उनसे संबंधित शक्तियां एकत्र होती हैं’, इस अध्यात्म के सिद्धांत के अनुसार उन शब्दों से दैवी शक्ति कार्यरत होकर वह साधकों को मिलेगी ।

घातक संभाव्य महामारी ‘डिसीज एक्स’ पर उपचार हेतु किया जानेवाला नामजप

‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ ने दावा किया है कि पूरे जगत में ‘कोरोना’ महामारी से भी ७ गुना घातक ‘डिसीज एक्स’ नामक महामारी आनेवाली है और इससे विश्व के ५ करोड लोग अपने प्राण गंवा सकते हैं । यह महामारी पूरे विश्व में कभी भी आतंक मचा सकती है ।

आंखों में संक्रमण का अर्थ एवं उसका उपचार

‘आंखों में संक्रमण होने का निश्चित अर्थ क्या है? यह किस कारण से होता है ? उसके लक्षण क्या हैं ? इसके लिए क्या उपचार करें ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर आज हम जानेंगे एवं इससे संबंधित सावधानी रखेंगे ।

‘दोनों हथेलियों की एकत्रित मुद्रा’ कर शरीर पर से कष्टदायक शक्ति का आवरण निकालने की पद्धति !

गुरुकृपा से ही शरीर पर से आवरण निकालने की इन पद्धतियों को ढूंढ पाए । इसके लिए हम साधक श्री गुरु के श्रीचरणों में कृतज्ञता व्यक्त करते हैं ।