वास्तु में कष्टदायक अथवा अच्छे स्पंदन प्रतीत होते हैं’,इसका अध्ययन कैसे करें ?
हमारे वास्तु के प्रत्येक कक्ष में कष्टदायक या अच्छे स्पंदन प्रतीत होते हैं, इसका अध्ययन निम्न प्रकार से करें –
हमारे वास्तु के प्रत्येक कक्ष में कष्टदायक या अच्छे स्पंदन प्रतीत होते हैं, इसका अध्ययन निम्न प्रकार से करें –
जब वह ईश्वर का नामजप लिखते हैं तो वहां संबंधित देवता का अस्तित्व उत्पन्न होता है; जिससे वह नामजप फलीभूत होता है तथा साधकों को उस नामजप का लाभ होता है ।
वर्तमान में साधक स्वयं को हो रहा कष्ट दूर करने हेतु प्रतिदिन प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति के अनुसार उपचार खोजते हैं तथा उसके अनुसार नामजप करते हैं ।
भिन्न प्रकार की दुर्घटनाओं से रक्षा होने हेतु साधक उपास्यदेवता से प्रार्थना करें एवं व्यक्तिगत नामजप के साथ ही आगे दिया नामजप करें ।
ऋषिकेश, उत्तराखंड की हस्तरेखा विशेषज्ञ सुनीता शुक्ला द्वारा सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी की हस्तरेखाओं का किया विश्लेषण यहां दे रहे हैं
‘मुझे विविधांगी सेवाएं मिलने का मुख्य कारण – मेरा गुण ‘जिज्ञासा’ और मुख्यत: ‘गुरुकृपा’ है’, ऐसा लगना, आध्यात्मिक कष्टों पर नामजप आदि उपचार बताना तथा दूसरों के लिए नामजपादि उपचार करना ।’ अब इस लेख का अगला भाग दे रहे हैं ।(भाग २)
सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळ का यह लेख पढकर मैं आश्चर्यचकित रह गया ! इसमें दिया ज्ञान विश्व में किसी को नहीं होगा ! भारतीय संगीत के बडे-बडे विशेषज्ञ भी यह लेख पढकर चकित रह जाएंगे !
वर्ष २००८ से वर्ष २०२२ की अवधि में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के छायााचित्रों में आए परिवर्तनों के द्वारा उजागर हुई उनकी दैवी यात्रा !
‘सनातन का राष्ट्र एवं धर्मजागृति का कार्य जैसे-जैसे बढ रहा है, वैसे-वैसे अनिष्ट शक्तियां इस कार्य में बाधाएं उत्पन्न करने के लिए बडे स्तर पर कार्यरत हो गई हैं ।