गुरुकृपा से सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजीद्वारा की जा रही सेवाओं की व्याप्ति

सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळ का यह लेख पढकर मैं आश्चर्यचकित रह गया ! इसमें दिया ज्ञान विश्व में किसी को नहीं होगा ! भारतीय संगीत के बडे-बडे विशेषज्ञ भी यह लेख पढकर चकित रह जाएंगे !

साधना में विहंगम मार्ग से प्रगति करनेवाली एकमात्र श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी !

वर्ष २००८ से वर्ष २०२२ की अवधि में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के छायााचित्रों में आए परिवर्तनों के द्वारा उजागर हुई उनकी दैवी यात्रा !

साधको, दुर्घटनाओं से रक्षा होने हेतु प्रतिदिन नामजपादि उपचार करें !

‘सनातन का राष्ट्र एवं धर्मजागृति का कार्य जैसे-जैसे बढ रहा है, वैसे-वैसे अनिष्ट शक्तियां इस कार्य में बाधाएं उत्पन्न करने के लिए बडे स्तर पर कार्यरत हो गई हैं ।

साधको, दुर्घटना से रक्षा होने हेतु प्रतिदिन नामजप आदि उपाय करें !

‘सनातन का राष्‍ट्र एवं धर्म जागृति के कार्य जैसे जैसे बढ रहे हैं, वैसे वैसे इन कार्यों में बाधा लाने हेतु अनिष्ट शक्‍तियां बडी मात्रा में कार्यरत हुई हैं ।

सूक्ष्म आयाम को समझने की क्षमता रखना – सनातन संस्था के साधकों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता !

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने अपने गुरु प.पू. भक्तराज महाराजजी के आशीर्वाद से १.८.१९९१ को ‘सनातन भारतीय संस्कृति संस्था’ की स्थापना की । उसके उपरांत उन्होंने संस्था का नाम सरल करने हेतु २३.३.१९९९ को ‘सनातन संस्था’ की स्थापना की । अब मार्च २०२४ में सनातन संस्था के २५ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं । इस … Read more

अयोध्या के श्रीराम मंदिर में स्थापित मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई श्री रामलला की मूर्ति की प्रतीत हुई गुणविशेषताएं !

‘२२.१.२०२४ को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि   के नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में श्री रामलला की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की गई । इस मूर्ति को देखने पर मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई श्रीराम की इस मूर्ति की निम्न गुणविशेषताएं मेरे ध्यान में आईं ।

जनवरी २०२४ में अयोध्या के श्रीराम मंदिर में श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की जाएगी, उस समय वहां सूक्ष्म से होनेवाली प्रक्रिया का एक संत द्वारा किया गया परीक्षण

मंदिर के नीचे श्रीरामतत्त्व कार्यरत था ही; परंतु अनेक वर्ष तक वह (श्रीरामतत्त्व) अवरोधित था । भले ही ऐसा हो; परंतु अभी भी वहां श्रीरामतत्त्व बना हुआ है ।

‘सनातन प्रभात’ के ‘ई-पेपर’ का एक संत द्वारा बनाया सूक्ष्म चित्र !

मारक शक्ति के कणों का ‘ई-पेपर’ से वातावरण में, साथ ही उसे पढनेवाले व्यक्ति की ओर प्रक्षेपण होनेसे व्यक्ति को धर्म का महत्त्व समझ में आता है तथा वह व्यक्ति साधना, साथ ही धर्मकार्य करने हेतु प्रेरित होता है ।

सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा साधकों को व्यष्टि एवं समष्टि साधना के विषय में किया मार्गदर्शन

साधना होने के लिए कष्ट करने की तैयारी होनी चाहिए । हम केवल कर्म करते हैं; परंतु वे कर्म साधना के रूप में ही होने चाहिए । साधना के रूप में न करने से हम पीछे रहते हैं ।