हो रहे किसी कष्ट के लिए प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति से एक बार उपचार ढूंढने के उपरांत प्रतिदिन उपचार न ढूंढकर १५ दिन उपरांत ही पुनः उपचार खोजें और तब तक वही उपचार करते रहें !

वर्तमान में साधक स्वयं को हो रहा कष्ट दूर करने हेतु प्रतिदिन प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति के अनुसार उपचार खोजते हैं तथा उसके अनुसार नामजप करते हैं ।

साधको, दुर्घटना से रक्षा होने हेतु प्रतिदिन नामजप आदि उपचार करो !

भिन्न प्रकार की दुर्घटनाओं से रक्षा होने हेतु साधक उपास्‍यदेवता से प्रार्थना करें एवं व्यक्तिगत नामजप के साथ ही आगे दिया नामजप करें ।

हस्तरेखा विशेषज्ञ सुनीता शुक्ला द्वारा सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी की हस्तरेखाओं का विश्लेषण !

ऋषिकेश, उत्तराखंड की हस्तरेखा विशेषज्ञ सुनीता शुक्ला द्वारा सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी की हस्तरेखाओं का किया विश्लेषण यहां दे रहे हैं

गुरुकृपा से सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा की जा रही सेवाओं की गहराइ

‘मुझे विविधांगी सेवाएं मिलने का मुख्य कारण – मेरा गुण ‘जिज्ञासा’ और मुख्यत: ‘गुरुकृपा’ है’, ऐसा लगना, आध्यात्मिक कष्टों पर नामजप आदि उपचार बताना तथा दूसरों के लिए नामजपादि उपचार करना ।’ अब इस लेख का अगला भाग दे रहे हैं ।(भाग २)

गुरुकृपा से सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजीद्वारा की जा रही सेवाओं की व्याप्ति

सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळ का यह लेख पढकर मैं आश्चर्यचकित रह गया ! इसमें दिया ज्ञान विश्व में किसी को नहीं होगा ! भारतीय संगीत के बडे-बडे विशेषज्ञ भी यह लेख पढकर चकित रह जाएंगे !

साधना में विहंगम मार्ग से प्रगति करनेवाली एकमात्र श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी !

वर्ष २००८ से वर्ष २०२२ की अवधि में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के छायााचित्रों में आए परिवर्तनों के द्वारा उजागर हुई उनकी दैवी यात्रा !

साधको, दुर्घटनाओं से रक्षा होने हेतु प्रतिदिन नामजपादि उपचार करें !

‘सनातन का राष्ट्र एवं धर्मजागृति का कार्य जैसे-जैसे बढ रहा है, वैसे-वैसे अनिष्ट शक्तियां इस कार्य में बाधाएं उत्पन्न करने के लिए बडे स्तर पर कार्यरत हो गई हैं ।

साधको, दुर्घटना से रक्षा होने हेतु प्रतिदिन नामजप आदि उपाय करें !

‘सनातन का राष्‍ट्र एवं धर्म जागृति के कार्य जैसे जैसे बढ रहे हैं, वैसे वैसे इन कार्यों में बाधा लाने हेतु अनिष्ट शक्‍तियां बडी मात्रा में कार्यरत हुई हैं ।

सूक्ष्म आयाम को समझने की क्षमता रखना – सनातन संस्था के साधकों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता !

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने अपने गुरु प.पू. भक्तराज महाराजजी के आशीर्वाद से १.८.१९९१ को ‘सनातन भारतीय संस्कृति संस्था’ की स्थापना की । उसके उपरांत उन्होंने संस्था का नाम सरल करने हेतु २३.३.१९९९ को ‘सनातन संस्था’ की स्थापना की । अब मार्च २०२४ में सनातन संस्था के २५ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं । इस … Read more