प्रत्येक राज्य में हिन्दू विचारकों का संगठन होना आवश्यक ! – श्री. मोहन गौडा, कर्नाटक राज्य प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

एक संदेश पर केवल २ दिनों में ही मुसलमान उसके लिए एकत्र हो गए । हिन्दुओं को भी इसप्रकार की संपर्कव्यवस्था निर्माण करना आवश्यक है ।

वैश्‍विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव तृतीय दिन (२६ जून) : देश की सुरक्षा एवं धर्मरक्षा

तीर्थस्थलों पर स्थित प्रसाद के दुकानों को ‘ॐ प्रतिष्ठान’ की ओर से ‘ॐ प्रमाणपत्र’ दिया जानेवाला है । ॐ प्रमाणपत्र के माध्यम से हिन्दू हलाल प्रमाणपत्र को झटका दें ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव – द्वितीय दिन (२५ जून) : अनुभवकथन तथा उपासना का महत्त्व

धर्मनिष्ठ व्यक्ति कभी धर्म की हानि नहीं कर सकता तथा वह धर्म हानि खुली आंखों से देख भी नहीं सकता एवं उसे रोकने का प्रयत्न करता है ।उसे यह भान होता है कि धर्म कार्य करते समय उसके पास ईश्वरीय शक्ति है ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का दूसरा दिन (२५ जून) : राष्‍ट्र एवं धर्म की रक्षा हेतु किए गए प्रयास

हिन्दू अपनी लडकियों को उनके बचपन में ही भगवद्गीता क्यों नहीं सिखाते ? भगवद्गीता में ‘विधर्म से स्‍वधर्म श्रेष्‍ठ है’, इसकी सीख दी गई है । यदि यह शिक्षा मिली, तो हिन्दू युवतियां लव जिहाद का शिकार नहीं बनेगी ।

‘ॐ शुद्धता प्रमाणपत्र’ आवश्यक क्यों है ?

इस प्रमाणपत्र के माध्यम से ‘हिन्दू बिक्रेता के द्वारा बेचा जानेवाला उत्पाद’ हिन्दुओं के द्वारा ही बना है’, इसकी आश्वस्तता की जानेवाली है ।

पेट साफ न होने के कारण होनेवाली स्थिति तथा उसका उपाय !

आयुर्वेद में बताया गया है कि पेट ठीक हो, तो जठराग्नि सुचारू रहने की संभावना अनेक गुना बढ जाती है । अग्नि के बिगडने के अनेक कारण हैं । ‘अग्नि ठीक होने पर स्वस्थ जीवन मिलता है तथा वह ठीक न हो, तो सभी बीमारियों की संभावना होती है ।’

रक्षाबंधन का आध्यात्मिक उद्देश्य !

रक्षाबंधन के दिन बहन भाई के हाथ में राखी का धागा बांधती है । चित्त में यदि शुद्ध एवं अच्छी भावनाएं न हों, तो राखी केवल एक धागा बनकर रह जाती है । यदि अच्छी पवित्र, दृढ एवं सुंदर भावना हो, तो वही कोमल धागा बडा चमत्कार करता है ।

रक्षाबंधन के दिन बहन को चिरंतन ज्ञानामृत से युक्त सनातन के ग्रंथ भेंट कर, साथ ही राष्ट्र-धर्म के प्रति अभिमान बढानेवाले सनातन प्रभात की पाठक बनाकर अनोखा उपहार दीजिए !

रक्षाबंधन के दिन अपनी बहन को कपडे, आभूषण आदि अशाश्वत उपहार देने के स्थान पर, उपहार के रूप में चिरंतन ज्ञान का प्रसार करनेवाले सनातन की ग्रंथसंपदा में अंतर्भूत ग्रंथ दिए जा सकते हैं । उसकी भांति ही बहन को ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक का पाठक भी बनाया जा सकता है । आज के काल के अनुसार बहन को यह उपहार देना अधिक यथार्थ सिद्ध होगा ।

पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्‍ण की युद्धनीति !

‘भगवान श्रीकृष्‍ण ने उनके संपूर्ण जीवन में भिन्न-भिन्न युद्धनीतियों का उपयोग किया । इस युद्धनीति की जानकारी देनेवाला लेख यहां दे रहे हैं