भगवान श्रीकृष्ण की अष्टनायिकाएं
भगवान श्रीकृष्ण की अष्टनायिकाएं तथा उनके बच्चे तो एक फलाफूला गोकुल था । भगवान श्रीकृष्ण तथा उनकी अष्टनायिकाओं को कुल ८० पुत्र तथा ६ पुत्रिया थीं ।
भगवान श्रीकृष्ण की अष्टनायिकाएं तथा उनके बच्चे तो एक फलाफूला गोकुल था । भगवान श्रीकृष्ण तथा उनकी अष्टनायिकाओं को कुल ८० पुत्र तथा ६ पुत्रिया थीं ।
अन्नपूर्णा कक्ष में सेवा के कारण तन के साथ मन का भी त्याग होता है । यह सेवा कर शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति करनेवाले अनेक साधकों के उदाहरण हैं । इसलिए साधकों, भगवान द्वारा प्रदान की इस सेवा के द्वारा शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति करने के अवसर का लाभ उठाएं !
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ज्ञान के मेरु पर्वत एवं गुणों के महासागर हैं ! उनका सहज आचरण भी साधना को विविधांगी दृष्टिकोण प्रदान करता है और उससे यह समझ में आता है कि ‘उचित एवं परिपूर्ण कृति कैसे करें ?’, वे सूक्ष्म आयाम से भी साधकों को सिखाते हैं ।
२१ जुलाई २०२४ को सनातन संस्था की ओर से संपूर्ण देश में ७७ स्थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ मनाया गया । इसमें मराठी भाषा में ६४ स्थानों पर, हिन्दी भाषा में ८, तमिल भाषा में २, जबकि गुजराती एवं मलयालम भाषा में एक-एक स्थान पर गुरुपूर्णिमा महोत्सवों का आयोजन किया गया । महोत्सव के आरंभ में श्री व्यासपूजन तथा सनातन संस्था के प्रेरणास्रोत प.पू. भक्तराज महाराजजी की प्रतिमा का पूजन किया गया ।
रामनाथी के सनातन संस्था के आश्रम में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी तथा ब्रह्मसरोवर, कुरुक्षेत्र में स्थित श्री कात्यायनी देवी के मंदिर में श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की वंदनीय उपस्थिति में ‘चामुंडा होम’ संपन्न हुआ ।
२० जुलाई को श्री भक्तवात्सल्य आश्रम से गुरुपादुकाओं की पालकी निकाली गई । इस पालकी में प.पू. अनंतानंद साईशजी (प.पू. भक्तराज महाराजजी के गुरु), प.पू. भक्तराज महाराजजी एवं प.पू. रामानंद महाराजजी (प.पू. भक्तराज महाराजजी के उत्तराधिकारी) की चरण-पादुकाएं रखी गई थीं ।
कतरास की गुरुपूर्णिमा महोत्सव में संतों का मार्गदर्शन
उत्तर प्रदेश तथा बिहार के पाटलीपुत्र, समस्तीपुर एवं मुजफ्फरपुर में गुरुपूर्णिमा महोत्सव भावपूर्ण वातावरण में संपन्न
सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से देहली एवं उत्तर प्रदेश के मथुरा, नोएडा एवं फरीदाबाद (हरियाणा) में २१ जुलाई को भावपूर्ण वातावरण में गुरुपूर्णिमा महोत्सव संपन्न हुआ । महोत्सव का आरंभ श्री व्यास पूजन से हुआ । इस अवसर पर सनातन संस्था के प्रेरणास्रोत प.पू. भक्तराज महाराजजी की प्रतिमा का पूजन किया गया ।
समिति के साधकों के लिए आयोजित कार्यक्रम में श्री. लुकतुके ने समिति के कार्य से संबंधित अनुभव विशद किए । तदनंतर सद्गुरु पिंगळेजी ने यह आनंद-समाचार सभी को सुनाया ।