‘हलाल प्रमाणपत्र’ ५० वर्ष पूर्व आरंभ हुआ । ‘हलाल तो केवल मांस से संबंधित है’, अभी भी सर्वसामान्य जनता की ऐसी ही धारणा है; परंतु विवाह समारोह में दी जानेवाली सुपारी की पुडिया, बेकिंग पावडर, खाद्यपदार्थ, प्रसिद्ध प्रतिष्ठानों के पिज्जा, बर्गर, औषधियां, सौंदर्य प्रसाधन तथा पर्यटन से लेकर शेयर (समभाग) बाजार, यहां तक हलाल प्रमाणपत्र की पहुंच है । हमारे देश में हमारा ही कोई उत्पाद बेचना हो, तो उसके लिए हलाल प्रमाणपत्र के लिए जबरदस्ती की जाती है । प्रत्येक उत्पाद के लिए पैसे वसूले जाते हैं । हमारे ही धन से वर्ष २०२३ में यह हलाल अर्थव्यवस्था १० सहस्र करोड डॉलर्स तक (८३ सहस्र करोड रुपए) पहुंच गई थी, अब उसमें और वृद्धि हुई होगी ।
कुछ मुस्लिम देशों में यदि हमारे उत्पादन बेचने हों, तो वहां हलाल प्रमाणपत्र अनिवार्य होता है; परंतु हमारे देश में हलाल प्रमाणपत्र की अनिवार्यता क्यों ? ‘हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ एवं ‘जमियत-ए-हिन्द हलाल ट्रस्ट’ नामक संगठन यह पैसा इकट्ठा करते हैं । इस प्रमाणपत्र के माध्यम से संकलित किए गए पैसों का उपयोग हमारे ही देश के विरुद्ध देशविघातक गतिविधियों के लिए किया जाता है । भारत सरकार का इसपर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है । हिन्दुओं को कभी न कभी एकजुट होकर इसका विरोध करना आवश्यक था तथा उसके विरोध में खडे रहना आवश्यक था । अब ‘ॐ प्रतिष्ठान’ के माध्यम से यह आरंभ हुआ है ।
इस प्रमाणपत्र के माध्यम से ‘हिन्दू बिक्रेता के द्वारा बेचा जानेवाला उत्पाद’ हिन्दुओं के द्वारा ही बना है’, इसकी आश्वस्तता की जानेवाली है । ‘ॐ शुद्धता प्रमाणपत्र’ कोई पैसे अर्जित करने हेतु चलाया जा रहा व्यवसाय नहीं है अथवा इस माध्यम से सरकारी व्यवस्था को चुनौती देने का भी यह प्रयास नहीं है । यह प्रयास है हिन्दुओं की व्यवसाय वृद्धि का, हिन्दुओं के ही सक्षमीकरण का, हिन्दुओं की एकजुटता का तथा हिन्दुओं के बल का !
– मंजिरी मराठे, वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक, मुंबई, महाराष्ट्र.