संस्कार एवं संस्कृति से ही लव जिहाद रोका जा सकेगा ! – छाया आर्. गौतम, जिलाध्यक्ष, हिन्दू महासभा, मथुरा, उत्तरप्रदेश
विद्याधिराज सभागार – हिन्दू अपनी लडकियों को उनके बचपन में ही भगवद्गीता क्यों नहीं सिखाते ? भगवद्गीता में ‘विधर्म से स्वधर्म श्रेष्ठ है’, इसकी सीख दी गई है । यदि यह शिक्षा मिली, तो हिन्दू युवतियां लव जिहाद का शिकार नहीं बनेगी । कानून से नहीं, अपितु संस्कार एवं संस्कृति से ही लव जिहाद रोका जा सकेगा । उत्तर प्रदेश में पहले लव जिहाद के विरोध में कानून बनाया गया; परंतु पुलिस के द्वारा इस कानून के अनुसार धाराएं नहीं लगाई जाती थी । लव जिहाद के एक प्रकरण में पुलिस को इस कानून की जानकारी दिए जाने के पश्चात उन्होंने इस कानून की धारा लगाईं, यह वास्तविकता है । लव जिहाद के प्रकरणों से बाहर आने हेतु हिन्दू युवतियों का समुपदेशन करना आवश्यक है । मैंने लव जिहाद में फंसी ४०-५० लडकियों का समुपदेशन किया, जो व्यर्थ नहीं हुआ । हिन्दू जनजागृति समिति के द्वारा किया जा रहा हिन्दुओं के संगठन कार्य बहुत बडा है । वर्तमान स्थिति में इस कार्य की आवश्यकता है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू महासभा की उत्तर प्रदेश की मथुरा जिलाध्यक्ष छाया र्आ. गौतम ने किया । उन्होंने ‘लव जिहाद रोकने हेतु किए गए प्रयास’, यह विषय रखा ।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी को मिला ‘भारत गौरव पुरस्कार’ उनके मानवजाति के कल्याण हेतु किए गए अद्वितीय कार्य का सम्मान ! – सद़्गुरु नंदकुमार जाधवजी, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था
रामनाथी – सनातन संस्था रजतमहोत्सव वर्ष मना रही है । सनातन संस्था धर्मकार्य का प्रसार एवं प्रचार करनेवाली संस्था है । सनातन संस्था जिज्ञासुओं को आध्यात्मिक उन्नति हेतु साधना सिखाती है । तीसाठी साधना शिकवते. सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ने २२ मार्च १९९९ को सनातन संस्था की स्थापना की । आज इस वृक्ष का वटवृक्ष में रूपांतरण हुआ है । सनातन संस्था ने संपूर्ण देश में गांव-गांव में साधनासत्संग आरंभ कर लोगों को साधना का महत्त्व बताया । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के मार्गदर्शन में सनातन संस्ता ने विभिन्न विषयों पर ग्रंथनिर्मिति की है ।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ने वर्ष १९९८ में ‘ईश्वरीय राज्य की स्थापना’ ग्रंथ प्रकाशित कर ‘हिन्दू राष्ट्र’ का विचार सामने रखा । सनातन संस्था के दिव्य कार्य की कीर्ति अब विदेशों में भी फैल गई है । भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के वैश्विक कार्य में सनातन संस्था के अद्वितीय योगदान के कारण ५ जून २०२४ को सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी को फ्रांस की सिनेट में ‘भारत गौरव’ पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया है । मानवजाति के कल्याण हेतु उनके द्वारा किए गए कार्य का यह सम्मान है ।
आज सभी लोग कथानक युद्ध में सम्मिलित हो सकते हैं ! – श्री. संतोष केचंबा, संस्थापक, राष्ट्र धर्म संगठन, कर्नाटक
विद्याधिराज सभागार : ‘नैरेटिव वॉर’ (झूठे कथानक फैलाने का युद्ध) कोई नया नहीं है । १८ वीं शताब्दी में अन्य देशों में भारत के प्रति अवधारणाएं फैलाई गई थीं । वर्तमान समय में ‘वॉट्स एप’ विश्व में सबसे बडा विश्वविद्यालय बन चुका है । वर्तमान समय में विश्व के प्रमुख प्रसारमाध्यमों का अधिपत्य नष्ट होकर सामाजिक माध्यमों का आधिपत्य बढा है । एलन मस्क (विश्वविख्यात प्रतिष्ठान ‘टेसला’ के मालिक) ने कहा है, ‘वर्तमान समय में सर्वसामान्य लोग ही कथानक तैयार (‘सेट’) कर सकते हैं । अथवा उसमें परिवर्तन कर सकते हैं । वह आपके-हमारे हशथ में है ।’ आज सर्वसामान्य लोग किसी भी संघर्ष, घटना तथा किसी भी अच्छे-बुरे प्रसंग में पहले चलितभ्रमणभाष बाहर निकालते हैं । आज सभी लोग पत्रकार बन गए हैं । कथानक युद्ध (‘नैरेटिव वॉर’) बहुत महत्त्वपूर्ण है । आज सभी लोग सनातन के साधक नहीं बनते; परंतु (धर्मकार्य करने हेतु) इस कथानक युद्ध में वे निश्चित ही सम्मिलित हो सकते हैं, ऐसा प्रतिपादन कर्नाटक के ‘राष्ट्र धर्म संगठन के संस्थापक श्री. संतोष केचंबा ने किया । वैश्विक हिन्दू महोत्सव में २५ जून के द्वितीय सत्र में ‘‘सामाजिक माध्यमों में हिन्दूविरोधी प्रसार का सामना कैसे करें ?’, इस विषय पर वे बोल रहे थे ।
Narrative war – today narratives are being set by the people. If we unite, we can control the narrative. Every Hindu karyakarta should play a role in this narrative war – @santoshken Founder, RashtraDharma
Vaishvik Hindu Rashtra Mahotsav 2024 I Goa
🛑Narrative war is a very old… pic.twitter.com/Pba7EWqyA0
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 25, 2024
स्वामी विवेकानंदजी ने अमेरिका जाकर भारत के विषय में बनाए गए झूठे कथानक तोड डाले !१८ वीं शताब्दी में भी संपूर्ण विश्व में भारत के विषय में ‘भारत में पुरानी तथा देश को पीछे ले जानेवाली पूजा-अर्चनाएं की जाती हैं । वहां अस्पृशता है तथा वहां स्त्रियों का सम्मान नहीं किया जाता’ जैसे झूठे कथानक फैलाए गए थे । एक संत अमेरिका गए तथा उन्होंने उन लोगों में जाकर ही उन सभी कथानकों का खंडन कर उनकी शक्ति का प्रदर्शन किया । वे संत दूसरे कोई नहीं, अपितु स्वामी विवेकानंदजी थे ! |
मंदिरों के माध्यम से हिन्दू एकत्रित हुए, तो निश्चित ही हिन्दू राष्ट्र आएगा ! – श्री. काशी विश्वनाथन्, सचिव, श्री अंजनेय सेवा समिति, पलक्कड, केरल
विद्याधिराज सभागार : केरल के पलक्कड किले के पास एक छोटासा अंजनेय मंदिर है । वर्ष २००६ में तत्कालिन केरल सरकार के चंगुल से हमने उस मंदिर को छुडाया । यह मंदिर पुरातत्त्व विभाग के नियंत्रण में है । यहां भक्तों की संख्या बढने से केरल की तत्कालिन सरकार ने इस मंदिर को अपने नियंत्रण में लेने का आदेश निकाला था । उस वर्ष जुलाई के महिने में एक दिन प्रातः ४ बजे ४०० हथियारबंद पुलिस मंदिर में आए । हमें इसकी आशंका थी, उसके कारण हमने हिन्दुओं का संगठन किया था । हिन्दू उस समय नामजप कर रहे थे । उससे यातायात बहुत प्रभावित हुआ । हिन्दुओं ने आंदोलन किया । दोपहर २ बजे वहां युद्धजन्य स्थिति उत्पन्न हुई थी । अंततः हिन्दू जीत गए । पुलिस को वापस जाना पडा । अभी तक २ बार न्यायालय से नोटिस मिला है; परंतु अभी भी मंदिर हिन्दुओं के नियंत्रण में ही है । हिन्दू जब धैर्य के साथ आगे बढते हैं, उस समय ईश्वर भी उनके साथ होते हैं, ऐसा प्रतिपादन पलक्कड, केरल के श्री अंजनेय सेवा समिति के श्री. काशी विश्वनाथन् ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के तृतीय सत्र में ‘मंदिरों का उत्तम व्यवस्थापन तथा उसके द्वारा हिन्दुओं के उत्थान का होनेवाला कार्य’ विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।
श्री. विश्वनाथन् ने आगे कहा, ‘‘हमारी श्री अंजनेय सेवा समिति हिन्दुओं के लिए बहुत कार्य करती है । यह समिति गरीब हिन्दुओं को अन्नदान, विवाह, शिक्षा आदि के लिए सहायता, साथ ही चिकित्सकीय सहायता करती है । विगत २० वर्षाें से हम रामायण ग्रंथ का वितरण कर रहे हैं । मंदिरों के माध्यम से यदि हिन्दू एकत्रित हुए, तो निश्चित ही हिन्दू राष्ट्र आएगा ।’’
हिन्दू धर्म को टिकाए रखनेवाले पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलने हेतु हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करें ! – १०८ निळकंठ शिवाचार्यजी महाराज, पाटण, महाराष्ट्र
विद्याधिराज सभागार – पहले हिन्दू धर्म अफगानिस्तान तक फैला हुआ था । जिन्होंने हिन्दू धर्म टिकाए रखने हेतु प्रयास किए, उन पूर्वजों को हम भूल गए हैं । उनकी आत्माओं को शांति मिलने हेतु हिन्दुओं को संगठित होकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन १०८ निलकंठ शिवाचार्यजी महाराज ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के दूसरे दिन किया ।
१०८ निळकंठ शिवाचार्यजी ने आगे कहा, ‘‘दूसरों के मतों पर विश्वास कर हिन्दू विभिन्न जातियों, संप्रदायों तथा राजनीतिक दलों में बंट गए हैं । ‘हम सभी एक हैं’, इस मंत्र को ध्यान में रखकर सभी को संगठित होना चाहिए । हिन्दू निरंतर बंटता जाए, इसके लिए षड्यंत्र रचकर प्रयास किए जाते हैं । इस षड्यंत्र को पहचानकर हिन्दुओं को केवल हिन्दू राष्ट्र हेतु प्रयास करने चाहिएं । इसके साथ ही हमारे देश में विभिन्न संप्रदाय हैं । उन सभी संप्रदायों को ‘हम केवल हिन्दू हैं’, इस बात को ध्यान में रखकर संगठित होना चाहिए । हम सभी शिवजी से उत्पन्न हुए हैं; इसलिए हम सभी का कुल एक ही है ।’’
प.पू. डॉ. आठवलेजी सनातन संस्था को हिन्दू राष्ट्र की स्थापना तक ले आए हैं ! – १०८ निलकंठ शिवाचार्यजी महाराजहिन्दू दान, पूजा, जाप तथा ध्यान को भूल चुके हैं । सनातन संस्था के संस्थापक प.पू. डॉ. आठवलेजी ने इन सभी का आचरण किया । उन्होंने अनेक आबालवृद्धों को एकत्र कर सनातन संस्था को ज्ञान एवं कर्म का समुच्चय कर विगत २५ वर्ष में वे हिन्दू राष्ट्र तक ले आए हैं । |