Life Imprisonment For Love Jihadist : उत्तर प्रदेश में ‘लव जिहाद’ करने वालों को मिलेगा आजीवन कारावास का दंड !
जो उत्तर प्रदेश सरकार कर सकती है, वह अन्य राज्य क्यों नहीं कर सकते ? क्या वे सोचते हैं कि हिन्दुओं की रक्षा करना उनका कर्तव्य नहीं है ?
जो उत्तर प्रदेश सरकार कर सकती है, वह अन्य राज्य क्यों नहीं कर सकते ? क्या वे सोचते हैं कि हिन्दुओं की रक्षा करना उनका कर्तव्य नहीं है ?
लापता हुई लडकी का छल अथवा बलपूर्वक धर्मांतर हुआ हो तो महाराष्ट्र पुलिस के लिए यह लज्जाजनक ही है !
पुरा वृत्त पढे : ♦ Maharashtra Missing Girls : वर्ष २०१९ से २०२१ की कालावधि में महाराष्ट्र से १ लाख युवतियां लापता ! –
https://sanatanprabhat.org/hindi/103707.html
इजरायल के समान भारत ने जिहादी आतंकवादियों के विरोध में कार्यवाही की होती, तो अब तक भारत आतंकवाद से मुक्त हो गया होता !
‘वर्ष १९८८ में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय को ‘अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान’ घोषित किया गया । इस विश्वविद्यालय से कुछ दिन पूर्व ही चौंकानेवाला एक समाचार सामने आया है ।
अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय आदि इस्लामी विश्वविद्यालयों में हिन्दू, ईसाई आदि छात्रों को धार्मिक कृत्य करने हेतु स्वतंत्र कक्ष कभी भी दिया गया है क्या ?
५०० वर्ष मुसलमानों ने भारत को लूटा, मंदिर तोड डाले, परंतु वे हिन्दुओं का विश्वास नहीं तोड सके । आक्रामकों ने भारत को बडी मात्रा में लूट लिया, तब भी उस समय भारत की आर्थिक स्थिति विश्व में सुदृढ थी ।
ईसाई तथा इस्लामी पाखंडी हैं, जबकि वामपंथी देशद्रोही हैं । इन लोगों की विचारधारा को अस्वीकार किया जाना चाहिए । हमने उनकी झूठी कथाओं को खारीज करनेवाला ‘नैरेटिव’ तैयार करना चाहिए ।
धर्म समझ लेने हेतु भगवान ने वेदों की निर्मिति की । सोना पुराना भी हुआ, तब भी उसका मूल्य न्यून नहीं होता । उसी प्रकार वेद भले ही प्राचीन हों; परंतु उनमें विद्यमान ज्ञान कालबाह्य नहीं होता । वेदों का ज्ञान शाश्वत है, यह बतानेवाले मनु पृथ्वी के पहले व्यक्ति थे मनु राजा थे । जब पाश्चात्त्यों को कपडे पहनने का भी ज्ञान नहीं था, उस समय मनु ने ‘मनुस्मृति’ लिखी ।
अन्य धर्मी लोग उनके धर्म के विषय में प्रश्न नहीं पूछते; परंतु हिन्दू धर्माचरण करने से पूर्व प्रश्न पूछते हैं; इसलिए हमें हिन्दुओं को धर्माचरण के पीछे समाहित वैज्ञानिक कारण बताने आवश्यक हैं ।