
यू ट्यूब चैनल चलाकर करोडों रुपए कमानेवाले रणवीर इलाहाबादिया ने एक कार्यक्रम में व्यंग्य के नाम पर अत्यंत निचले स्तर पर जाकर बात की । उसके कारण भारत में वातावरण गरम है । उसकी इस कृति के कारण अनेक लोगों ने उसे ‘अनफॉलो’ कर दिया, जबकि कुछ विख्यात लोग उसके साथ भेंटवार्ता करने के लिए जानेवाले थे; उन्होंने उसके साथ भेंटवार्ता न करने का निर्णय लिया है । देश के अनेक पुलिस थानों में उसके विरोध में एफ.आई.आर. (प्राथमिकी) प्रविष्ट किए हैं । विभिन्न माध्यमों में उसपर बडे स्तर पर कडी आलोचना हो रही है । इस घटना के उपरांत सामान्य जनता, प्रसारमाध्यम, सरकार, विरोधी दल आदि सभी स्तरों से सर्वसम्मति से ‘अश्लीलता पर लगाम लगानी ही चाहिए’, यह मांग की जा रही है । भारत में कोई समस्या अथवा किसी सूत्र पर सरकार, विरोधी दल तथा जनता की सर्वसम्मति होना दुर्लभ बात है । इसलिए इसे सकारात्मक घटना मानना पडेगा । अश्लील कथन करनेवाले रणवीर इलाहाबादिया तथा समय रैना को ही लोगों के क्षोभ की फटकार पडी, ऐसा नहीं है, अपितु लोग घिनौने आशयवाले अनेक वाहिनियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं । मराठी यू ट्यूब चैनल ‘भारतीय डिजिटल पार्टी’ के अंतर्गत १४ फरवरी को प्रसारित होनेवाली ‘अतिशय निर्लज्ज कांदे पोहे’, यह कडी निरस्त की गई है । जागृत जनता केवल इतने पर ही संतुष्ट नहीं है, अपितु ‘इस वाहिनी से अश्लील सामग्री का प्रसारण होने के कारण इस चैनल पर ही प्रतिबंध लगाया जाए’, यह मांग की जा रही है । सरकार भी इस विषय में सजग है, साथ ही इस प्रकरण की चर्चा संसद में भी हुई, अतः कह सकते हैं कि शीघ्र ही इसका निर्णय होगा । पहले व्यंग्य के नाम पर जो अश्लीलता प्रसारित होती थी, उसे युवा वर्ग का समर्थन मिलता था । इस संदर्भ में युवावर्ग द्वारा बताया जाता था कि ‘ऐसे व्यंग्य वरिष्ठ नागरिकों की समझ में नहीं आएंगे ।’ उसके कारण अश्लील लेखन करनेवालों को बल मिलता था; परंतु रणवीर प्रकरण में युवावर्ग ने भी इसका विरोध कर स्पष्टतापूर्ण भूमिका अपनाई । उसके कारण रणवीर तथा उसके जैसे अश्लीलता को प्रोत्साहन देनेवालों के लिए विकट स्थिति निर्माण हो गई है ।
विरोधी भी सकारात्मक !
वर्तमान में ‘ऑनलाइन’ मंच से जो अश्लील एवं संस्कृतिशून्य लेखन प्रसारित होता है, उसपर लगाम लगाने हेतु प्रयास किए जा रहे हैं । उसके लिए कानून बनाने अथवा दंड का प्रावधान करने जैसी मांगें अब नई नहीं हैं । सरकार ने भी नियमों में कुछ विशिष्ट संशोधन किए हैं; परंतु इतना पर्याप्त नहीं है । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जो ढोल जोर-जोर से पीटा जाता है, उसके कारण अश्लीलता का प्रसारण करनेवालों को खुली छूट मिलती है; परंतु रणवीर प्रकरण में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ढोल पीटनेवाले, आधुनिकतावादी तथा स्त्रीमुक्तिवादी भी एक सुर में ऐसे लोगों पर कार्यवाही करने की मांग कर रहे हैं । इसका मुख्य कारण है रणवीर इलाहाबादिया को प्राप्त प्रसिद्धि ! ‘इस आधुनिक युग में उसकी प्रतिमा हिन्दू धर्म, भारतीय संस्कृति तथा परंपराओं का प्रसारक’ की बनी है । उसके ‘बियर बाइसेप्स’ तथा ‘टी.आर.एस.’ इन यू ट्यूब चैनलों से धर्म, संस्कृति, इतिहास, स्वास्थ्य, उद्योग आदि विभिन्न विषयों पर आधारित संबंधित व्यक्तियों से भेंटवार्ताएं की जाती हैं । उसकी संवाद कुशलता के कारण उसे अल्पावधि में ही बहुत प्रसिद्धि मिली, साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तों उसे ‘बेस्ट क्रिएटर एवॉर्ड’ भी मिला था । उससे भी आगे जाकर रणवीर द्वारा हिन्दू धर्म के विभिन्न पंथों, ध्यान-धारणा, देवता आदि विषयों पर भेंटवार्ताएं करने से रणवीर इलाहाबादिया को हिन्दू धर्म का प्रसार करनेवाले ‘ब्रैंड एंबेसडर’ के रूप में देखा जाने लगा था । रणवीर ने भी बार-बार बताया कि ‘मैं हिन्दू धर्मी हूं तथा साधना करता हूं ।’ उसके कारण मोदी, भाजपा एवं हिन्दुओं के विरोधकों द्वारा उसकी बहुत आलोचना होती थी; परंतु अब अश्लील कथन कर रणवीर ने विरोधकों को उसके विरोध की मशाल थमा दी । इस प्रकरण में भारत के साम्यवादी, दक्षिणपंथी आदि सभी एक स्वर में उसका विरोध कर रहे हैं । उसके विरोध का कारण चाहे कुछ भी हो; परंतु अब केंद्र सरकार द्वारा इस प्रकरण को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन प्रसारित होनेवाले ऐसे कार्यक्रमों पर अथवा ऐसे लेखन पर लगाम लगाने के लिए कठोर कानून बनाए जाने चाहिए ।
हिन्दुओं को कम आंकना अनुचित !
वर्तमान में हिन्दुओं में जागृति आ रही है । इसके कारण विभिन्न माध्यमों से हिन्दू धर्म , हिन्दुत्व तथा हिन्दू राष्ट्र पर बोला अथवा लिखा जा रहा है । आजकल चैनलों को भी उनका ‘टी.आर.पी.’ बढाने के लिए हिन्दुत्व अपनाना पड रहा है । उसके कारण पहले हिन्दुत्व के नाम से नाक सिकुडनेवाले लोगों ने अब हिन्दुत्व का बाजार लगाकर अपनी जेबें भरने का काम आरंभ किया है । यूट्यूब पर तो ऐसे लोगों की भरमार है । अनेक बार सामान्य हिन्दू भी विवेक एक ओर रखकर ऐसे लोगों के अधीन हो जाते हैं । रणवीर इलाहाबादिया को हो रहे विरोध से लोगों को विवेकशील बनना चाहिए । अपनी प्रतिमा हिन्दुत्व की बनाकर जिन्हें लगता है कि ‘हमने कुछ भी किया, तो जनता उसे सहन करेगी’, वे अब जाग जाएं । जनता अब ऐसे लोगों के झांसे में नहीं आएगी । रणवीर इलाहाबादिया ने आयु के केवल ३१ वें वर्ष में अपनी जो छवि बनाई थी, वह उसकी एक गंभीर चूक के कारण मिट्टी में मिल गई है । आज के युवक इस घटना से बोध ले सकते हैं कि ‘जीवन में हम कितने भी सफल हो जाएं, तब भी हमें सदैव अपने पैर जमीन पर ही रखकर आगे बढना चाहिए ।’
वर्तमान के तनावभरे वातावरण में थोडा हल्कापन प्रतीत हो तथा कुछ क्षण तनावरहित जीवन जीने के लिए लोग कुछ व्यंग्यात्मक लेखन पढना अथवा सुनना पसंद कर रहे हैं । आज के भागदौडभरे जीवन में वातावरण को थोडा हल्का-फुल्का बनाने के लिए व्यंग्य का महत्त्व है ही; परंतु व्यंग्य के नाम पर किसी ने निचले स्तर पर आकर अश्लील वक्तव्य दिए तथा किसी ने उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर जनता पर थोपने का प्रयास किया, तो उसे रोकना आवश्यक है । रणवीर इलाहाबादिया ने क्षमायाचना की है; परंतु वह ऊपरी है । तो क्या इसके लिए उसे दंड मिलेगा ?, यह आनेवाला समय ही बताएगा; परंतु जनता को अश्लीलता फैलानेवाले ऐसे लोगों के विरुद्ध कठोर कानून बनने तक शांत नहीं बैठना चाहिए !
अश्लील लेखन का प्रसार करनेवालों पर लगाम लगाने हेतु सरकार को कठोर कानून बनाकर उसका प्रभावी उपयोग करना चाहिए ! |