वर्तमान समय में विश्व में ५७ ‘इस्लामी देश’ हैं, जबकि १०० से अधिक ‘ईसाई देश’ हैं । यहूदियों का देश है तथा बौद्ध देश भी हैं । भारत बहुसंख्यक हिन्दुओं का देश होते हुए भी ‘हिन्दू राष्ट्र’ नहीं है । इस्लाम का जन्म १ सहस्र ४०० वर्ष पूर्व हुआ, जबकि ईसाई पंथ की स्थापना २ सहस्र वर्ष पूर्व हुई । सनातन धर्म की उत्पत्ति अनादि है; इसलिए उसकी तुलना हो ही नहीं सकती । पहले पूरे विश्व में हिन्दू धर्म ही था । उसके उपरांत इन पंथों की स्थापना हुई । तब भी वर्तमान में इन सनातन हिन्दू धर्मियों का एक भी अधिकृत देश नहीं है, जो लज्जाजनक है । इतना ही नहीं, अपितु बहुसंख्यक हिन्दुओं के इस देश को भी इस्लामी तथा ईसाई राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र अनेक शताब्दियों से चल रहा है । जिहादियों ने वर्ष २०४७ तक भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है तथा वे उस दिशा में प्रयासरत हैं । वर्तमान में भारत के ९ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक बन चुके हैं । जिन राज्यों में हिन्दू बहुसंख्यक हैं, उन राज्यों के अनेक जिलों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं । अनेक क्षेत्रों से हिन्दुओं का पलायन हो रहा है । वर्तमान में देश के उत्तर प्रदेश में संभल का विषय चर्चा में है । उस क्षेत्र में पहले, अर्थात कुछ ही दशक पूर्व हिन्दू ५९ प्रतिशत थे, वहां अब हिन्दू १५ प्रतिशत ही शेष हैं । भारत के जिन क्षेत्रों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गए हैं, वहां उन्हें धर्मांध मुसलमानों तथा ईसाईयों के कारण अल्पसंख्यक बनना पडा है, यह सत्य है । ईशान्य भारत के राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं । भारत के स्वतंत्रता के काल में वहां हिन्दू बहुसंख्यक थे, अब वहां हिन्दू नाम के लिए ही शेष हैं । मणिपुर में पिछले एक वर्ष से हिंसा चल रही है । वहां ईसाई कुकी हिन्दू मैतई को अपना लक्ष्य बना रहे हैं । इन ईसाईयों को म्यांमार से हथियारों की आपूर्ति हो रही है, तो दूसरी ओर धर्मांध मुसलमानों द्वारा देश में सर्वत्र ही हिन्दुओं पर अत्याचार किए जाने की घटनाएं प्रतिदिन सामने आ रही हैं ।
कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दू भी नाम के लिए ही रह गए हैं । कुछ दशक पूर्व वहां एक रात में हिन्दुओं को पलायन करने के लिए बाध्य किया गया । इससे ध्यान में आता है कि भले ही भारत हिन्दूबहुल देश है, तब भी वह रातोरात अल्पसंख्यक हिन्दुओं का देश हो सकता है, इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता । यह स्थिति लाने के लिए मुसलमान योजनाबद्ध ढंग से प्रयास कर रहे हैं तथा हिन्दुओं को इसका कोई भान नहीं है, यह अत्यंत दुख की बात है । भारत में हिन्दुओं के बडे-बडे संगठन तथा धार्मिक संस्थाएं हैं, साथ ही अनेक मंदिर भी हैं । ‘तब भी हिन्दुओं के संदर्भ में ऐसी घटनाएं हो रही हैं, इससे हिन्दू बिल्कुल भी अवगत नहीं हैं ।’, ऐसा कहना अनुचित नहीं होगा । इसके लिए बहुसंख्यक हिन्दू, उनके संगठन तथा उनके राजनीतिक दल भी उतने ही उत्तरदायी हैं, यह भी ध्यान में रखना होगा । इसका यदि गहन अध्ययन करें, तो यह ध्यान में आएगा । उदाहरणार्थ देश में बंगाल, केरल, तेलंगाना तथा बिहार, इन राज्यों में हिन्दू शासनकर्ता ही सत्ता में हैं; परंतु उनकी तथा वहां के नागरिकों की मानसिकता का विचार किया जाए, तो भविष्य में यदि ये राज्य मुसलमानबहुल बन गए, तो उसमें आश्चर्य कैसा ? उसमें भी लोगों को बंगाल राज्य की थोडी ही जानकारी है । बंगाल में ३३ प्रतिशत मुसलमान हैं । बंगाल के बांग्लादेश सीमावर्ती जिलों में मुसलमान बहुसंख्यक हैं, इसे ध्यान में लेना होगा । यहां की तृणमूल कांग्रेस सरकार की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वोटबैंक के लालच में इन धर्मांधों को संरक्षण देने का काम कर रही हैं । ये धर्मांध घर-घर में देसी बम बना रहे हैं । ‘ये लोग उनका उपयोग कब तथा किसके विरुद्ध करनेवाले हैं ?’, इसपर हिन्दुओं को विचार करना होगा । उनपर कार्यवाही नहीं की जाती, यह ध्यान में रखना होगा । केरल में मल्लपुरम् जिला मुसलमानबहुल है, जहां जाने से पुलिस भी डरती है । विशेष बात यह कि भारत में सहस्रों मोहल्ले हैं, जहां पुलिस आरेपियों को पकडने के लिए जाने में घबराते हैं; क्योंकि वहां के मुसलमान उनपर आक्रमण करते हैं । बंगाल सरकार के मंत्री फिरहाद हकीम ने खुलेआम ऐसा कहा है कि बहुत शीघ्र यहां मुसलमान बहुसंख्यक बननेवाले हैं । उसके उपरांत उन्हें किसी मांग के लिए मोर्चे नहीं निकालने पडेंगे । उनके इस वक्तव्य का भाजपा को छोडकर अन्य किसी राजनीतिक दल ने विरोध नहीं किया है । इससे स्पष्ट होता है कि भारत इस्लामी राष्ट्र बननेवाला है । केरल की सरकार मुसलमानों को संरक्षण देती है । बिहार में भी इससे अलग कुछ नहीं होता । राजस्थान में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब खुलेआम कन्हैयालाल की गर्दन काटकर उसका वीडियो प्रसारित किया गया । इन सभी घटनाओं तथा स्थिति को देखा जाए, तो आनेवाले कुछ ही वर्षाें तक भारत ‘धर्मनिरपेक्ष देश’ बना रहेगा तथा उसके उपरांत हिन्दू अल्पसंख्यक बन जाएंगे ।
हिन्दुओं को सरकार पर दबाव बनाना आवश्यक !
‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ का नारा स्पष्टरूप से असफल सिद्ध हुआ है । अब ‘बटेंगे तो कटेंगे’ तथा ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे हिन्दुओं ने स्वीकार किए हैं । इन नारों के कारण भाजपा को कुछ राज्यों में सत्ता प्राप्त करना संभव हुआ है, इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता । इसका अर्थ यही है कि हिन्दुओं को विकास नहीं, संरक्षण चाहिए । अब हिन्दुओं को उनके अस्तित्व का भान होने लगा है । हिन्दुओं को अपेक्षित था कि भाजपा के १० वर्ष के कार्यकाल में हिन्दुओं के लिए अधिक कार्य हो; परंतु वह उतनी मात्रा में न होने के कारण हिन्दू अप्रसन्न हैं । विधानसभा चुनावों में हिन्दुओं का संगठन दिखाई दिया । अब हिन्दुओं को विभिन्न राज्यों की सरकारों पर दबाव बनाकर देवता, देश एवं धर्म की रक्षा के लिए कार्य करवाने की आवश्यकता है । इस देश में सभी लोग योगी आदित्यनाथ की भांति स्वप्रेरणा से देवता, देश एवं धर्म के लिए कार्य करेंगे, ऐसा नहीं है । अतः हिन्दुओं को अन्य सरकारों को भी योगी आदित्यनाथ की भांति देवता, देश एवं धर्म का कार्य करने के लिए बाध्य करना चाहिए । हिन्दुओं को संगठित कर यह कार्य करना चाहिए । इसके लिए सभी संगठनों का एकत्र आना अनिवार्य है, अन्यथा ५ वर्ष उपरांत हिन्दुओं के हाथ में कुछ नहीं रहेगा तथा हिन्दुओं के पैर दलदल में और अधिक धंस जाएंगे । वर्तमान में बांग्लादेश के हिन्दुओं की जो स्थिति है, वह देश के प्रत्येक मोहल्ले में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की हो गई है । आगे जाकर यह स्थिति पूरे देश में हो जाएगी, जिसका सामना करना कठिन होगा ।
हिन्दुओ, देवता, देश एवं धर्म की रक्षा के लिए आपके द्वारा चुनी गई सरकार पर संगठित होकर दबाव बनाओ ! |