आत्मोद्धार से राष्ट्रोद्धार की ओर ! 

वर्तमान समय में मनुष्य के सर्वांगीण उद्धार के साथ ही राष्ट्रोद्धार हेतु अत्यंत तत्त्वनिष्ठ पत्रकारिता करनेवाला ‘सनातन प्रभात’ जैसा अन्य उदाहरण एकाध-दूसरा ही होगा ! लोकमान्य टिळक की पत्रकारिता का आदर्श सामने रखकर आरंभित ‘सनातन प्रभात’ देश के शत्रुओं, तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादियों, वामपंथियों, आधुनिकतावादियों, धर्मद्रोहियों एवं राष्ट्रद्रोहियों आदि के विरुद्ध ‘असंतोष का जनक’ सिद्ध हुआ है ! धर्मनिष्ठा, प्रखर देशभक्ति एवं कट्टर हिन्दुत्व का समर्थन, इन विशेषताओं के साथ बिना कोई समझौता किए ‘सनातन प्रभात’ की लेखनी आज उसके अंगभूत तेज से चमक रही है । व्यावसायिक समझौते के अंतर्गत मिलनेवाले विज्ञापन, लेखन तथा लोगों को प्रिय मनोरंजन को संपूर्णतः दूर रखकर राष्ट्र की दहकती स्थिति में उसका निर्णायक मार्गदर्शन करने हेतु तथा आत्मबल बढाकर राष्ट्रबल बढाने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ का लक्ष्य रखकर ‘सनातन प्रभात’ का यह झरना विगत २५ वर्षाें से अखंड बह रहा है…!

सात्त्विकता का प्रसार !

‘व्यावसायिकता’ का उद्देश्य ही न होने के कारण अन्य समाचारपत्रों तथा ‘सनातन प्रभात’ के मध्य मूलरूप से अंतर
रहा । केवल राष्ट्र एवं धर्म के विषयों को ही प्रधानता देनेवाला यह पाक्षिक पन्नों में उपलब्ध छोटासा स्थान भी व्यर्थ न जाए, इसका ध्यान रखता है । सात्त्विकता उत्पन्न होने हेतु तथा उसे संजोने हेतु भरसक प्रयास करना ‘सनातन प्रभात’ की महत्त्वपूर्ण विशेषता है । ‘जितना सात्त्विक उतना ही प्रभावकारी’, यह शास्त्र है । जितना शुद्ध उतना ही सात्त्विक ! इस शुद्धता एवं सात्त्विकता को बढाने हेतु पाक्षिक में हिन्दी शब्दों का समर्पक उपयोग, शुद्धलेखन तथा व्याकरण की अच्छे ढंग से पडताल करना, द्विरुक्ति टालना, सात्त्विक संरचना करना, रज-तमात्मक छायाचित्रों अथवा चित्रों का उपयोग न करना, प्रत्येक छायाचित्र की रचना एवं लेखन को अधिक से अधिक सात्त्विक बनाना; ऐसा किया जाता है । व्यक्तिगत जीवन का अध्यात्मीकरण कर यदि उसे सात्त्विक तथा प्रायः नैतिक बनाया गया, तो उससे सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन अपनेआप ही आदर्श बन जाता है, यह ‘सनातन प्रभात’ के सात्त्विकीकरण का सारगर्भ एवं उद्देश्य है ।

छत्रपति शिवाजी महाराज के ‘यह राज्य बने, यह श्री (ईश्वर) की इच्छा’, इस आदर्श राजतंत्र का सारांश आत्मसात कर कार्यरत, वीर सावरकरजी के ‘देह से देवता की ओर आगे बढते समय मार्ग में देश आता है तथा हम इस देश के ऋणी होते हैं’, इन विचारों से प्रेरणा लेकर अग्रसर ‘सनातन प्रभात’ का आदर्श रामराज्य का, अर्थात ही हिन्दू राष्ट्र का ध्येय कितना परिष्कृत (शुद्ध) होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है । अत्यंत निःस्वार्थ भाव से तथा निर्माेही उद्देश्य से केवल समाज को राष्ट्र एवं धर्म की प्रेरणा से जागृत करने हेतु ‘सनातन प्रभात’ विगत २५ वर्षाें से ध्येयप्राप्ति की ओर अग्रसर है । अर्थ, काम एवं धर्मनिरपेक्षता से समाज में उत्पन्न बहिर्मुख वृत्ति को अंतर्मुख वृत्ति में परिवर्तित करने हेतु, अर्थात ही धर्म एवं राष्ट्र का अधिष्ठान बनाए रखने हेतु प्रेरित करने हेतु वह कार्यरत है ।

हिन्दुत्वनिष्ठों के गले का हार !

विगत २५ वर्षों से हिन्दुत्व पर हो रहे आघातों के विरुद्ध आवाज उठाने का महत्कार्य ही हिन्दू राष्ट्र के कार्य में ‘सनातन प्रभात’ का सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान है । वर्तमान में देश के बहुसंख्यकों को ‘भारत हिन्दू राष्ट्र बने’, ऐसा लग रहा है तथा बार-बार उसका उच्चारण हो रहा है । २५ वर्ष पूर्व, जहां ‘हिन्दू राष्ट्र’ शब्द का उच्चारण करना भी बहुत ही साहसपूर्ण था, उस कांग्रेस के कार्यकाल में ‘ईश्वरीय राज्य’ की स्थापना का अर्थात ही रामराज्य का ध्येय लेकर इस समाचारपत्र की स्थापना हुई । धर्मनिरपेक्ष सरकार के कार्यकाल में अनेक व्यवस्थाओं द्वारा ‘सनातन प्रभात’ पर कुदृष्टि रखकर भी ‘सनातन प्रभात’ उससे तपकर बाहर निकला । देश में कार्यरत अनेक समाचार वाहिनियों में से एक भी वाहिनी कभी लव जिहाद के विषय में नहीं बोलती थी, उससे भी पूर्व अर्थात १८ वर्ष पूर्व से ही ‘सनातन प्रभात’ लव जिहाद के समाचार छापता आया है । लव जिहाद के प्रमाण मांगनेवालों के लिए यह करारा तमाचा है । ‘सनातन प्रभात’ ने ‘दो गुटों में …’, इस शब्द का कभी भी उपयोग नहीं किया । धर्मांधों द्वारा ‘सनातन प्रभात’ के मिरज कार्यालय पर आक्रमण कर भी ‘सनातन प्रभात’ उसे ‘हिन्दू एवं धर्मांधों के मध्य का दंगा’ कहने से कभी पीछे नहीं रहा; क्योंकि वह ईश्वरनिष्ठ होने से उसे अन्य किसी से भय नहीं है ! स्पष्टता, हिन्दुत्व के हित की प्रखर एवं अत्यंत सुस्पष्ट दिशा, यही केवल ‘सनातन प्रभात’ की विशेषता नहीं है, अपितु पाठकों को दुविधा में, संभ्रम में रखे बिना अथवा अनुत्तरित न रखकर ‘ठोस उपायात्मक मार्गदर्शन’ ‘सनातन प्रभात’ के समाचारों में समाहित संपादकीय टिप्पणियों तथा संपादकीय लेख की महत्त्वपूर्ण विशेषता रही है ।

हिन्दू राष्ट्र का ध्येय कैसे साध्य होगा ?

धर्मांतरण, गोहत्याएं,. भ्रष्टाचार, बलात्कार, हत्याएं, डाके, सभी प्रकार के जिहाद, आतंकवाद, नक्सलवाद, गरीबी, जनसंख्या विस्फोट, सुरक्षा आदि राष्ट्र के सामने की सभी समस्याओं का उत्तर एक ही है तथा वह है हिन्दू राष्ट्र !’ यह हिन्दू राष्ट्र धर्माधिष्ठित प्रायः सात्त्विक एवं नीतिमान प्रजा का राष्ट्र होने से उक्त समस्याएं वहां अत्यल्प होंगी तथा वह उत्पन्न भी हुईं, तब भी कर्तव्यदक्ष प्रशासन की ओर से दंड मिलने से वे नियंत्रित होंगी; परंतु उसके लिए राजा एवं प्रजा को साधनारत होना आवश्यक है । उससे साकार होनेवाले संपूर्ण राष्ट्र की आंतरिक शक्ति का, ज्ञान का, दैवीय कृपा का तथा चैतन्य का उत्थान ही राष्ट्र का वास्तविक विकास एवं समृद्धि है । यह साध्य होने हेतु हिन्दू राष्ट्र ही आवश्यक है, इस प्राचीनतम त्रिकाल सत्य से युक्त तत्त्व वर्तमान में ‘सनातन प्रभात’ समाजमानस पर अंकित कर रहा है !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी जैसे उच्च कोटि के अवतारी संत का ‘सनातन प्रभात’ को संस्थापक संपादक के रूप में प्राप्त होना तथा धर्म के पुनरुत्थान के कार्य हेतु ‘सनातन प्रभात’ का कार्यरत रहना अर्थात ही हिन्दू राष्ट्र के लिए समाजमानस तैयार करने का कार्य करना प्रसिद्धिमाध्यमों के इतिहास की एकमात्र घटना है । ‘सनातन प्रभात’ यह कार्य राष्ट्र एवं धर्म का कर्तव्य मानकर कर रहा है । हिन्दू धर्म एवं राष्ट्र के लिए, साथ ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उपरांत भी उसकी सफलता हेतु ‘सनातन प्रभात’ इसी प्रकार संपूर्णरूप से समर्पित रह पाए, यही ईश्वर के चरणों में प्रार्थना है !