वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव हेतु प.पू. समर्थ श्री त्र्यंबकेश्वर चैतन्य महाराजजी एवं अन्य संतों के शुभाशीष !
सभी संतों ने हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के लिए समर्थन देते हुए इस हेतु आशीर्वाद प्रदान किया ।
सभी संतों ने हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के लिए समर्थन देते हुए इस हेतु आशीर्वाद प्रदान किया ।
जिनकी शारीरिक क्षमता है, वह देह से, बौद्धिक क्षमता है वह बुद्धि से, इस प्रकार सभी को स्वयं की क्षमता के अनुसार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए योगदान देना आवश्यक है । केवल भाषण देकर नहीं, तो प्रत्यक्ष योगदान देकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी । समाज परिवर्तनशील है ।
कर्नाटक में धारवाड के पू. परमात्माजी महाराज जी ने आवाहन किया कि, जब धर्म पर अधर्म बढ गया, तब भगवान परशुराम ने परशु धारण किया । ऐसे परशुराम को हमें अपना आदर्श मानना चाहिए । यह तपस्या करने का नहीं, युद्ध करने का समय है ।
स्वामीजी को सनातन के ग्रंथ भेंट किए गए । उन्होंने उनमें से कुछ ग्रंथ उत्सुकता से पढे और वे कहने लगे, ‘‘मैं बहुत रुचि से सनातन के ग्रंथ और पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ पढता हूं ।’’ इससे पूर्व भी विविध कार्याें के लिए स्वामीजी के आशीर्वाद मिले हैं ।