ईश्वर से सनातन को मिला एक अनमोल वरदान श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

देवताओं के दर्शन करते-करते सप्तर्षियों एवं सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी की कृपा से श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी में विद्यमान देवीतत्त्व प्रकट होने लगा है । समाज के अनेक लोग उनकी ओर आकृष्ट होते हैं । उनका ‘तेजस्वी मुखमंडल’ ही अब उनकी पहचान बन चुका है ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण !

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने गुरुकृपायोग के अनुसार साधना कर तीव्र गति से आध्यात्मिक उन्नति साध्य की । इस लेख में उनकी जन्मकुंडली में समाहित आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण किया गया है ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के माध्यम से साक्षात आदिशक्ति जगदंबा पृथ्वी पर वास कर रही हैं ! – सप्तर्षि

भक्त अपने-अपने भावानुसार, अनुभूति अनुसार, साधनामार्गानुसार भगवान का वर्णन करता है  ! भगवान का प्रत्यक्ष रूप कैसा है ?, इसका केवल वेद, उपनिषद में ही वर्णन मिलता है । उसी प्रकार अवतारों की भी महिमा है ।

पिठापुरम् (आंध्र प्रदेश) में श्री महालक्ष्मीस्वरूप श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी से मिलने के लिए साक्षात श्री दत्तगुरु का वृद्ध पुजारी के रूप में पधारना

सप्तर्षियों द्वारा जीवनाडी-पट्टिका में बताए अनुसार श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी १४.११.२०२२ को आंध्र प्रदेश में स्थित पिठापुरम् गई थीं । उस समय पिठापुरम् में हुई दैवीय लीला आगे दी है ।

अध्यात्म में उच्च स्तर पर होते हुए भी सभी में घुलमिलकर सभी को अपना बनानेवालीं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

सादगी श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की एक विशेषता है । उसके साथ उनके खुले स्वभाव एवं सुंदर आचरण का संयोग हुआ है । इसके कारण उनके सान्निध्य में सभी को आनंद मिलता है ।

साधक श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी का इसी नाम से उल्लेख करें !

सनातन के साधक सप्तर्षियों का आज्ञापालन कर यदि ‘श्रीसत्शक्ति’ एवं ‘श्रीचित्‌शक्ति’, इन शब्दों का उच्चारण करेंगे, तो जिस प्रकार ‘शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध एवं उनसे संबंधित शक्तियां एकत्र होती हैं’, इस अध्यात्म के सिद्धांत के अनुसार उन शब्दों से दैवी शक्ति कार्यरत होकर वह साधकों को मिलेगी ।

छत्रपति शिवाजी महाराज जैसी स्वदेश, स्वधर्मनिष्ठा श्री दुर्गादेवी हिन्दुओं में निर्माण करें ! – पू. संभाजीराव भिडेगुरुजी

श्री दुर्गामाता दौड के लिए सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की वंदनीय उपस्थिति का लाभ हुआ ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने तिरुपति के श्री बालाजी के दर्शन कर व्यक्त की कृतज्ञता !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का ‘ब्रह्मोत्सव’ निर्विघ्न संपन्न होने हेतु नाडीपट्टिका के माध्यम से महर्षि ने तिरुपति जाकर श्री बालाजी के दर्शन कर कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए बताया था ।

गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में सनातन के गुरुओं द्वारा संदेश

अब हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने का समय निकट आ गया है; परंतु भविष्य में संपूर्ण राष्ट्ररचना अध्यात्म पर आधारित होने हेतु आज से ही सक्रिय होना, धर्मसंस्थापना का कार्य है । श्री गुरु के इस ऐतिहासिक धर्मसंस्थापना के कार्य में दायित्व लेकर सेवा करें !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के करकमलों से श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को उत्तराधिकार पत्र प्रदान !

समारोह में धातु पर उकेरा गया उत्तराधिकार पत्र सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को प्रदान किया । सनातन की गुरुपरंपरा के ये अनमोल क्षण साधकों ने भावपूर्ण स्थिति में अनुभव किए । श्री. विनायक शानभाग ने उत्तराधिकार पत्र का वाचन किया ।