श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के अमृत वचन
‘भगवान के आंतरिक सान्निध्य में रहना’, यह ज्ञान होने के लिए गुरुदेवजी की आवश्यकता होती है ।
‘भगवान के आंतरिक सान्निध्य में रहना’, यह ज्ञान होने के लिए गुरुदेवजी की आवश्यकता होती है ।
‘संस्कृति युवा संस्था’ की ओर से ५ जून को फ्रांस की संसद में होगा सम्मान !
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का ८२ वा जन्मोत्सव !
‘प्राणशक्ति बहुत अल्प होते हुए भी प.पू. डॉक्टरजी उनके आसपास होनेवाली प्रत्येक घटना का निरीक्षण करते हैं तथा उनकी नियमित प्रविष्टियां भी रखते हैं ।
‘जिस प्रकार किसी मंदिर के रथ को वहां के सेवक खींचते हैं, उसी प्रकार साधकों ने श्रीमन्नारायण का रथ खींचे’, सप्तर्षि की इस आज्ञा के अनुसार साधकों ने साक्षात भगवान का यह रथ खींचा ।
इस दिव्य रथ को साकार करते समय अनेक शुभचिंतकों ने भी स्वयंप्रेरणा से सहायता की । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने भी समय-समय पर मार्गदर्शन किया ।
इस माह के अंतिम सप्ताह में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का ८२ वां जन्मोत्सव मनाया जानेवाला है । इस निमित्त पिछले वर्ष के जन्मोत्सव के कुछ अविस्मरणीय क्षण हम इस विशेषांक में अनुभव करेंगे ।
प्रभु श्रीराम की अयोध्यानगरी की गणना ७ मोक्षनगरियों में की जाती है । उसका आध्यात्मिक महत्त्व, उसे गतवैभव प्राप्त करवाने में सम्राट विक्रमादित्य द्वारा किया गया कार्य इस लेख के द्वारा यहां दे रहे हैं, जिससे रामभक्त पाठकों की प्रभु श्रीराम के प्रति श्रद्धा बढेगी ।
‘हार्टफुलनेस’ नामक आध्यात्मिक संस्था के मार्गदर्शक दाजी (कमलेशजी पटेल) ने उद्बोधन करते हुए कहा, ‘विश्व देख रहा है कि संकुचित श्रद्धा एवं पंथ लोगों में फूट डाल रहे हैं ।
अबू धाबी के मरुस्थल (रेगिस्तान) में निर्मित एवं पश्चिम एशिया के सबसे बडे ‘बी.ए.पी.एस. हिन्दू मंदिर’ का उद्घाटन १४ फरवरी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की उपस्थिति में संपन्न हुआ ।