५० वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति द्वारा नियमित व्यायाम करने से, उन्हें भी उत्साह एवं उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त हो सकता है !
अधिकांश सभी वृद्धों को लगता है कि ‘निरामय जीवन जीना है एवं यथासंभव यौनावस्था का स्वास्थ्य प्राप्त हो’; परंतु उसके लिए कुछ तो करना पडेगा, इसकी ओर वे कोई ध्यान नहीं देते । केवल पेट भरकर स्वादिष्ट भोजन करने से हमें उत्साह प्राप्त नहीं होता, न ही अन्यों के उत्तम शरीर की ओर देखकर । जीवन का अर्थ है, चलना-फिरना ।