बंगाल तथा बांग्लादेश में हिन्दुओं का धर्मांतरण तथा उनके उत्पीडन की गाथा !

बलात् राज्य परिवर्तन के तुरंत उपरांत पूरे देश में अल्पसंख्यकों पर कई आक्रमण हुए । इस अत्याचार और हिंसा को वैश्विक समुदाय के सामने उजागर करना और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों का समर्थन करना समय की मांग है ।

मद्रास उच्च न्यायालय का ‘मुस्लिम व्यक्तिगत कानून’ को विचार में नहीं लिया !

मुसलमान पंथ में मुगलों के काल से ही महिलाओं पर अत्याचार किए जा रहे हैं; परंतु ये कथित आधुनिकतावादी उसके विरुद्ध कभी नहीं बोलते ।

दत्तात्रेय अवतार

विवाह, वैवाहिक संबंध, गर्भधारण, वंशवृद्धि आदि में बाधा होना, मंदबुद्धि या विकलांग संतान होना, शारीरिक रोग, व्यसनादि समस्याएं हो सकती हैं । इन समस्याओं के समाधान हेतु कष्ट की तीव्रता के अनुसार ‘श्री गुरुदेव दत्त’ (दत्तात्रेय देवता का) जप प्रतिदिन करें । 

त्याग और चैतन्य की प्रतीक हाथ में कमंडलु लिए दत्त की त्रिमुखी मूर्ति  !

‘भगवान की निर्गुण तरंगों को स्वयं में समा लेनेवाला तथा अनिष्ट शक्तियों को दूर करने के लिए एक ही पल में पूरे त्रिलोक को एक ही मंडल में खींचने की क्षमता से युक्त जल जिस कुंड में है, वह कुंड है भगवान दत्तात्रेय के हाथ में पकडा कमंडलु ।

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण !

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने गुरुकृपायोग के अनुसार साधना कर तीव्र गति से अपनी आध्यात्मिक उन्नति साध्य की । इस लेख में उनकी जन्मकुंडली में विद्यमान आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण किया गया है ।

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी तो देवीतत्त्व की अनुभूति देनेवालीं तथा ईश्वर की चैतन्यशक्ति के रूप में पृथ्वी पर अवतरित कमलपुष्प ही हैं !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी का जन्मदिवस तो धर्मसंस्थापना हेतु अवतरित ईश्वर की चैतन्यशक्ति का प्रकट दिवस ही है !

चैतन्यमय वाणी तथा प्रीति, इन गुणों के कारण अपरिचित व्यक्ति को साधना बताकर उन्हें अपना बनानेवालीं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

इस प्रसंग से मुझे सीखने के लिए मिला कि ‘गुरु किसी भी जीव का पद, उसकी नौकरी आदि नहीं देखते, अपितु वे केवल उस जीव में विद्यमान चैतन्य की ओर देखते हैं तथा अन्यों को भी प्रत्येक व्यक्ति में स्थित चैतन्य की ओर देखना सिखाते हैं ।’

अत्यंत छोटे स्थान पर बहुत ही आनंद के साथ रहकर उस स्थान को मंदिर के गर्भगृह के स्पंदन प्रदान करनेवालीं श्री महालक्ष्मीस्वरूप श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

‘हम पिछले ७ वर्षों से श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के साथ चेन्नई के सेवाकेंद्र में रह रहे थे । इस सेवाकेंद्र के विषय में तथा वहां रहते समय सीखने मिले सूत्र यहां दे रहा हूं ।

तीव्र आध्यात्मिक कष्ट होते हुए भी महर्षियों की आज्ञा के अनुसार कर्नाटक के हंपी में भगवान के दर्शन की सेवा पूर्ण करनेवालीं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी !

देह की मर्यादाएं होते हुए भी श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी अत्यंत दुर्गम स्थानों पर जाकर वहां भक्तिभाव से पूजादि अनुष्ठान करती हैं । साधकों की रक्षा हेतु सप्तर्षि जहां कहेंगे, वहां जाने के लिए वे सदैव तैयार रहती हैं ।

सनातन के ‘आगामी संकटकाल की संजीवनी’ शृंखला के ग्रन्थ : बिन्दुदाब उपचार

मनुष्य की देह के विशिष्ट बिंदु दबाने से (एक्यूप्रेशर) शरीर के चेतना-प्रवाह में आनेवाली बाधाएं दूर कर शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक पीडा कैसे दूर कर सकते हैं, इसका विवेचन करनेवाला एवं व्यावहारिक सूचना देनेवाला ग्रन्थ !