विकास के नाम पर तीर्थस्थलों को पर्यटनस्थल मत बनाइए !

प्राचीन काल में अंकोर वाट, हम्पी, आदि भव्य मंदिरों का निर्माण करनेवाले राजा-महाराजाओं ने उनका उत्तम व्यवस्थापन किया था । इन मंदिरों के माध्यम से गोशालाओं, अन्नछत्रों, धर्मशालाओं, शिक्षाकेंद्रों आदि चलाकर समाज की अमूल्य सहायता की जाती थी ।

गोवा के चर्च द्वारा हडप लिए गए मंदिरों की पुनर्स्थापना के लिए हिन्दुओं को एकत्रित होकर लडाई लडनी पडेगी ! – प्रा. सुभाष वेलिंगकर, राज्य संघचालक, भारत माता की जय संघ, गोवा

पोर्तुगीज सरकार के कार्यकाल में गोवा के छोटे-बडे २ १ सहस्र से अधिक मंदिर ध्वस्त किए गए । उनमें केवल वरेण्यपुरी (वेरणा) और श्री विजयादुर्गादेवी (शंखवाळी) ये २ मंदिर ही चर्च के आक्रमण से बच सके । अब इन मंदिरों को राज्य पुरातत्व विभाग के अंतर्गत संरक्षित वास्तुओं के रूप में घोषित किए गए हैं; परंतु ऐसा होते हुए भी विगत अनेक वर्षाें से चर्च के माध्यम से इस मंदिर की भूमि हडपने का षड्यंत्र चल रहा है ।

गोवा के विध्वंसित मंदिरों के विषय में न्यायालयीन लडाई लडने के लिए प्रमाण देने का आवाहन

राष्ट्रीयस्तर पर मुघलों, पोर्तुगीजों आदि आक्रांताओं ने केवल श्रीराममंदिर, काशी, मथुरा, कुतुबमिनार, ताजमहल और भोजशाला ही नहीं, अपितु सहस्रों अन्य मंदिर भी गिराए हैैं । भारत को स्वाधीनता मिली; परंतु हिन्दुओं के प्राचीन धार्मिक स्थल उसी प्रकार से विदेशी गुलामी में रह गए

धर्मकार्य में पैर जमाकर खडे रहना आवश्यक – अधिवक्ता भारत शर्मा, संरक्षक, धरोहर बचाओ समिति, राजस्थान

सनातन धर्म वैज्ञानिक कैसा है, यह समाज के सामने लाने के लिए हमने ‘अखिल भारतीय विज्ञान दल’की स्थापना की । इस माध्यम से हमने अनेक लोगों को सनातन धर्म के अध्ययन के लिए प्रवृत्त किया । जन्मदिवस के दिन केक न काटकर औक्षण करना, यज्ञ संस्कृति का पालन करना आदि छोटे-छोटे कृत्यों से हम समाज में सनातन धर्म की पुनः स्थापना करेंगे ।

श्री सिद्धिविनायक मंदिर के पैसों का उपयोग करनेवाले राजनीतिज्ञों और संस्थाचालकों से पैसे वापस करने के विषय में चेतावनी दीजिए ! – डॉ. अमित थडाणी, निदेशक, निरामय चिकित्सालय, मुंबई

महाराष्ट्र की अनेक संस्थाओं को श्री सिद्धिविनायक मंदिर की ओर से लाखों रुपए मिलते हैं । इसमें सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का समावेश है । इन राजनेताओं ने मंदिरों का पैसा क्यों लिया और वे उसे कब वापस देनेवाले हैं ?, इस विषय में उन्हें पूछना आवश्यक है ।

VIDEO :‘… तो भारतीय संस्कृति के उत्तराधिकारी कौन हैं ?’, इस पर हिन्दू विचार करें ! – एम्. नागेश्वर राव, पूर्व प्रभारी महानिदेशक, सीबीआई

यह देश धर्मनिरपेक्ष होने के कारण विद्यालयों में इस प्राचीन ग्रंथों की शिक्षा नहीं दी जाती । विद्यालयों में न भगवद्गीता सिखाई जाती है और न वेदों का अध्ययन किया जाता है । हिन्दुओं की इस महान संस्कृति का प्रसार नहीं हुआ, तो हिन्दू धर्म का प्रचार कैसे होगा ? और हिन्दू धर्म का प्रसार नहीं होगा, तो भारतीय संस्कृति के उत्तराधिकारी कौन होंगे ?,

दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का उत्साहपूर्ण और भावपूर्ण वातावरण में आरंभ !

‘जयतु जयतु हिन्दू राष्ट्रम्’, ‘हर हर महादेव’ के जयघोष में यहां के श्री रामनाथ देवस्थान, फोंडा, गोवा में दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का भावपूर्ण और उत्सापूर्ण वातावरण मे आरंभ हुआ । यह अधिवेशन १८ जूनतक चलनेवाला है तथा इस अधिवेशन में विभिन्न राज्यों से आए ४५० प्रतिनिधि उपस्थित हैं ।

भक्तिमय वातावरण में सपंन्न श्रीविष्णु रूप में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का चैतन्यदायी ‘रथोत्सव’ !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का जन्मोत्सव साधकों के लिए आनंद एवं भक्तिभाव का सुनहरा पर्व ही होता है ! ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी, अर्थात २२ मई २०२२ के मंगल दिन पर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का ८० वां जन्मोत्सव मनाया गया ।

ट्विटर पर Paratpar Guru ट्रेंड दिनभर उच्च स्थान पर !

एकाध विषय ट्रेंड होने लगे, तो लगभग २ – ३ घंटों तक ही वह पहले ३० क्रमांकों में रहता है; पर Paratpar Guru की-वर्ड दिनभर राष्ट्रीय ट्रेंड पर था । इससे परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के नाम पर किए गए ट्रेंड का महत्त्व ध्यान में आता है ।

फोंडा में संपन्न शोभायात्रा के समय प्राप्त अनुभव !

शोभायात्रा जब फोंडा शहर से जा रही थी, तब मजदूरी पर काम करनेवाले एक श्रमिक ने फेरी को भावपूर्ण नमस्कार किया । अन्य एक श्रमिक अपना काम छोडकर फेरी में सम्मिलित हुआ । इससे ‘भगवान को भाव प्रिय है’, इसकी प्रतीति हुई ।