रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में भावपूर्ण वातावरण में संपन्न हुए विभिन्न याग !

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ८० वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में….

प्रत्यंगिरा याग के समय भावपूर्ण पद्धति से की गई पूजा की रचना

रामनाथी (गोवा) – सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ८० वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में महर्षियों की आज्ञा से रामनाथी (गोवा) के सनातन संस्था के आश्रम में यज्ञयागादि विभिन्न विधि संपन्न हुए ।

श्रीबगलामुखी याग : २४ मई २०२२ को जन्मोत्सव की अवधि में स्थित यज्ञों की शृंखला के अंतर्गत श्रीबगलामुखी याग संपन्न हुआ । इसमें महर्षियों द्वारा दिए गए बगलामुखी हवन मंत्र से करुंगली वृक्ष का चूर्ण और विभिन्न औषधीय मूलिकाओं के चूर्ण का हवन किया गया ।

श्री प्रत्यंगिरा याग : २५ मई को श्री प्रत्यंगिरा याग संपन्न हुआ । इसमें महर्षियों द्वारा दिए गए प्रत्यंगिरा देवी के मंत्र से करुंगली वृक्ष का चूर्ण और विभिन्न औषधीय मूलिकाओं के चूर्ण का हवन किया गया । यह याग इस उद्देश्य से किया गया कि ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का महामृत्युयोग टल जाए, साधकों की साधना में उत्पन्न बाधाएं दूर हो और हिन्दू राष्ट्र की शीघ्रातिशीघ्र स्थापना हो ।’

नवचंडी याग : महर्षियों की आज्ञा के अनुसार २६ और २७ मई २०२२ को नवचंडी याग किया गया । नवचंडी पंचांग पुरश्चरण पद्धति से की गई । इसका अर्थ है कि सनातन पाठशाला के पुरोहितों ने सप्तशति के अध्यायों का १० बार पाठ किया । उसके दशांश अर्थात एक पाठ की संख्या में हवन किया गया । यह हवन दशद्रव्य सहित पायस नामक हवनीय द्रव्य का उपयोग कर किया गया । इससे पूर्व नवग्रह देवताओं के लिए भी हवन किया गया था ।

सप्तशति में ७०० श्लोक हैं । इन ७०० श्लोकों से हवन किए जाने के उपरांत उसके दशांश अर्थात ७० बार नवार्ण मंत्र का उच्चारण करते हुए (थाली में जल अर्पण करना) किया गया । इस तर्पण के दशांश अर्थात ७ बार नवार्ण मंत्र का पाठ करते हुए देवी एवं यजमान पर मार्जन (प्रोक्षण) किया गया ।

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