जिस प्रकार जनहित और राष्ट्रहित से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए जनप्रतिनिधियों की संसद का अस्तित्व है, उसी प्रकार से धर्महित के विषय पर चर्चा करने के लिए धर्मप्रतिनिधियों की यह हिन्दू राष्ट्र संसद है । इस संसद में पारित होनेवाले प्रस्ताव जनप्रतिनिधियों को भेजे जाएंगे । उस आधार पर संसद में इस विषय पर चर्चा हो सकेगी । तात्पर्य यह कि यह संसद केवल प्रतिकात्मक है । इस संसद के द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों पर भविष्य में भारतीय संसद में चर्चा हो सकेगी ।
१. हिन्दू राष्ट्र संसद की आचारसंहिता !
इस संसद में सम्मिलित होने के लिए आवश्यक शिष्टाचार और नियम निम्नानुसार हैं –
अ. इस संसद में सम्मिलित होनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठों को ‘सदस्य’ कहा जाएगा ।
आ. संसद का कामकाज सुनिश्चित करने के लिए और सदस्यों से आचारसंहिता का पालन हो; इसके लिए ३ सदस्यों का एक सभापति मंडल गठित किया गया है । संसद का संचालन करने का दायित्व संचालक मंडल का होगा । ‘संसद में विषय कौन रखेगा ?’ और ‘उसके लिए समय कितना होगा ?’, इसका निर्णय सभापति मंडल करेगा ।
इ. जिन सदस्यों को संसद में विषय रखना है, वे अपना विषय और उसकी आवश्यकता का विवरण चिट्ठीपर लिखकर स्वीकृति के लिए सभापति मंडल को भेजने के लिए अधिवेशन समन्वय कक्ष को दें । सभापति की अनुमति के उपरांत पर व्यासपीठ के सामने के आरक्षित आसन पर बैठकर सभापति की अनुमति से सदस्य संसद में विषय रख सकेंगे ।
ई. सदस्य को सभापति द्वारा आवंटित की गई समयसीमा में ही अपना विषय पूर्ण करना आवश्यक है । समयसीमा समाप्त होने पर संसदीय सचिव सदस्य को सूचित करने के लिए घंटी बजाएगा । उसके उपरांत भी सदस्य विषय रखता रहा, तो उसे सभा की मर्यादा का उल्लंघन माना जाएगा । किसी विशेष परिस्थिति में सदस्य को विषय रखने के लिए अधिक समय आवंटित करने का निर्णय सभापति मंडल ले सकेगा ।
उ. किसी सदस्य को यदि संसद में रखे गए विचारों का खंडन करता हो, तो उसे उस विषय में सभापति मंडल से निवेदन कर उनसे अनुमति लेनी पडेगी ।
ऊ. संसद मे विषय रखते समय किसी को भी अपशब्द और असंसदीय शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए । ऐसा करना सभा की मर्यादाओं का उल्लंघन माना जाएगा । ऐसे भाषण को सभा के कामकाज से हटाने का अधिकार सभापति मंडल को होगा ।
ए. सदस्य संसद में विषय रखते समय व्यासपीठ के सामने बैठे हुए आसन से उठकर विषय रख सकता है ।
२. सभापति मंडल का स्वरूप
सभापति मंडल में सभापति, उपसभापति और सचिव का समावेश होगा ।
३. विशेष संसदीय समिती
विशेष संसदीय समिती (पार्लमेंटरी एक्स्पर्ट कमिटी) माननीय सदस्याों द्वारा उठाए गए सूत्रों पर आवश्यकता के अनुसार उनमें सुधार अथवा उनका खंडन करेगी । उसके लिए इस समिति के सदस्य अपने स्थान से उठकर सभापति की अनुमति से विषय रखेंगे । अन्य सदस् इस प्रकार से अनुमति नहीं मांग सकेंगे । अन्य सदस्यों को अपने सूत्रों को लिखकर देना अनिवार्य रहेगा ।