गुरुदेवजी के प्रति दृढ श्रद्धा, भाव, उत्तम नेतृत्व गुण एवं प्रेमभाव, इन गुणों से युक्त पुणे की श्रीमती मनीषा पाठक (आयु ४१ वर्ष) सनातन के १२३ वें समष्टि संतपद पर विराजमान !

यदि हम सभी का साधन केंद्रबिंदु केवल और केवल परम पूज्य गुरुदेव होंगे, तो हमारे दोष, अहं और हमारे प्रारब्ध के कारण भले ही कितने भी प्रतिकूल प्रसंग आएं, तब भी हम परम पूज्य गुरुदेवजी के चरण कभी भी नहीं छोड सकते ।

साधको, विभिन्न घटनाओं के विषय में मिलनेवाली पूर्वसूचनाएं तथा दिखाई देनेवाले दृश्यों के संदर्भ में निम्नांकित दृष्टिकोण ध्यान में लेकर साधना की दृष्टि से उनका लाभ उठाएं !

‘कुछ साधकों को जागृतावस्था में विभिन्न दृश्य दिखाई देते हैं तथा पूर्वसूचनाएं मिलती हैं । उनमें कुछ दृश्य अच्छे, तो कुछ अनिष्ट गतिविधियों से संबंधित होते हैं । इसमें साधक ‘अनिष्ट शक्तियां ऐसे दृश्य दिखा रही हैं अथवा पूर्वसूचनाएं दे रही हैं’, यह विचार कर उसकी अनदेखी न करें ।

सिखाने की अपेक्षा सीखने की वृत्ति रखने से अधिक लाभ होता है !

‘ईश्वर सर्वज्ञानी हैं । हमें उनके साथ एकरूप होना है । इसलिए हमारा निरंतर सीखने की स्थिति में रहना आवश्यक है । किसी भी क्षेत्र में ज्ञान अर्जित करना, यह कभी भी समाप्त न होनेवाली प्रक्रिया है । अध्यात्म तो अनंत का शास्त्र है ।

पू. भगवंत कुमार मेनराय के कक्ष में रखा हुआ तुलसी का पौधा पूरी तरह फला फूला होने के पश्चात भी उसके पत्ते नीचे की ओर झुके हुए हैं

‘तुलसी के पौधे अनेक स्थानों पर पाए जाते हैं । इन पौधों की ओर देखने के पश्चात हम प्रसन्न होते है; किंतु तुलसी के पौधे से निरंतर प्राणवायु तथा विष्णुतत्त्वमय चैतन्य की लहरें प्रक्षेपित होती हैं । इस प्रकार रामनाथी सनातन आश्रम में रहनेवाले संत पू. भगवंत कुमार मेनराय के निवास कक्ष में एक गमले में यह पौधा अच्छी तरह से फला फूला दिखाई दिया ।

भारतीय संस्कृति में मनुष्य के सर्वांगीण विकास की कुंजी ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

‘‘अमेरिका साक्षरता के साथ आर्थिक, औद्योगिक, तंत्रज्ञान आदि विकास में आगे है; परंतु विकास की सर्वांगीण दृष्टि नहीं थी । इस कारण आज वहां ६० से ७० प्रतिशत लोग मानसिक रोगों से ग्रस्त हैं । अपराध, व्यसनाधीनता, बलात्कार आदि घटनाएं वहां अत्यधिक हैं ।

हिन्दुओं पर हो रहे आघात रोकने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होना आवश्यक ! – सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ, धर्मप्रचारक संत, हिन्दू जनजागृति समिति

‘‘कालमहिमा के अनुसार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होकर रहेगी, परंतु सूर्यास्त के उपरांत अंधेरा दूर करने के लिए जिस प्रकार से एक दीपक भी अपना योगदान देता है, उसी प्रकार से हम हिन्दुओं को भी हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में प्रतिदिन न्यूनतम एक घंटा समय देने का संकल्प करना होगा’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने ‘साधना के आरंभिक काल में विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से कैसे तैयार किया ?’, इस विषय में श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी द्वारा चुने हुए क्षण मोती !

गुरुदेवजी के बताए अनुसार मैंने २ माह तक रसोईघर में सेवा की । मुझे उस सेवा से बहुत आनंद मिलने लगा । उस आनंद में मैं पहले जो संगीत साधना करती थी, वही भूल गई ।

कोटि-कोटि प्रणाम !

फरीदाबाद, हरियाणा की सनातन की ४५ वीं संत पू. श्रीमती (स्व.) सूरजकांता मेनरायजी की रथसप्तमी (२८ जनवरी २०२३) को तीसरी पुण्यतिथि है ।

सनातन के ७ वें संत पू. पद्माकर होनपजी (आयु ७४ वर्ष) का देहत्याग

विनम्रता, निरपेक्ष प्रीति जैसे अनेक दैवी गुणों से युक्त एवं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति अनन्य भाव रखनेवाले, रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम निवासी सनातन के ७ वें संत पू. पद्माकर होनपजी (आयु ७४ वर्ष) ने ३० अक्टूबर २०२२ को दोपहर ४.२७ बजे लंबी बीमारी के चलते देहत्याग किया ।