मानसम्मान को बाजू में रखकर धर्म तथा मंदिरों के लिए ‘मंदिर रक्षक’ के रूप में एकत्र आएं ! – लखमराजे भोसले, युवराज, सावंतवाडी संस्थान
माणगांव (सिंधुदुर्ग) में महाराष्ट्र मंदिर ट्रस्ट सम्मेलन में ३७५ से अधिक मंदिर ट्रस्टियों ने भाग लिया !
माणगांव (सिंधुदुर्ग) में महाराष्ट्र मंदिर ट्रस्ट सम्मेलन में ३७५ से अधिक मंदिर ट्रस्टियों ने भाग लिया !
मंदिरों की सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए श्री विघ्नहर्ता गणपति मंदिर, लेण्याद्री गणपति मंदिर, श्रीक्षेत्र भीमाशंकर मंदिर, हिन्दू जनजागृति समिति तथा महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के सहयोग से यह सम्मेलन आयोजित किया गया । इस सम्मेलन में ५५० मंदिरों के प्रतिनिधि, न्यासी तथा पुजारी सम्मिलित हुए ।
सनातन संस्था के प्रचारक सद्गुरु स्वाती खाड्येजी के करकमलों से वरिष्ठ लेखक एवं व्याख्याता श्री. दुर्गेश पारुलकर लिखित ग्रंथ ‘योगेश्वर श्रीकृष्ण’ का लोकार्पण हुआ ।
पू. सहस्रबुद्धेजी के जीवन में साधना के कारण हुए परिवर्तन, उनके द्वारा स्थिरता से सर्व कठिन प्रसंगों का सामना करना, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के प्रति उनकी श्रद्धा आदि प्रसंग सुनकर उपस्थित लोगों का भाव जागृत हुआ ।
मूल पुणे की तथा वर्तमान में वाई स्थित श्रीमती मालती नवनीतदास शहा (आयु ८३ वर्ष) सनातन की १२० वीं व्यष्टि संतपद पर विराजमान हुईं, सदगुरु स्वाती खाड्ये ने ४ अगस्त २०२२ को सभी को यह शुभ समाचार दिया । उपस्थित सभी ने इस समारोह के भावानंद को अनुभव किया ।
उपक्रमों के उपलक्ष्य में समाज के लोगों से संपर्क करने पर ऐसा ध्यान में आया है कि वे हमारी प्रतीक्षा ही कर रहे हैं । इसके विपरीत साधक समाज में जाकर अर्पण मांगने एवं प्रायोजक ढूंढने की सेवा के प्रति उदासीन हैं । साधकों में ‘प्रतिमा संजोना’, अहं का यह पहलू प्रबल होने से वे समाज में जाकर अर्पण मांगने में हिचकिचाते हैं ।