कारवार (कर्नाटक) के पंचशिल्पकार नंदा आचारी (गुरुजी) संतपद पर विराजमान !

आनंदित, उत्साही एवं भूख-प्यास भूलकर मूर्तिकला के साथ एकरूप श्री सिद्धिविनायक मूर्ति के शिल्पी श्री. नंदा आचारी गुरुजी !

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी अध्यात्म में ऐसा कीर्तिमान बनाएंगी, जिसे कोई तोड नहीं पाएगा ! – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

‘कोई ऐसा भी हो सकता है, जिनके विषय में सभी को घर जैसी आत्मीयता एवं आधार प्रतीत होता है तथा जो साधकों की व्यष्टि तथा समष्टि साधना की ही नहीं, पारिवारिक समस्याएं भी सुलझा सके, ऐसी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी इतनी अद्वितीय हैं !

सप्तर्षियों द्वारा नाडीपट्टिकाओं के वाचन के माध्यम से वर्णन की श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी में विद्यमान अवतारी देवीतत्त्व की महिमा !

अभी पृथ्वी पर तीन अवतार हैं, इसलिए देवादिकों की दृष्टि पृथ्वी की ओर होना

वाराणसी आश्रम के प्रति कृतज्ञभाव में रहनेवाले सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी

उत्तर भारत में प्रतिकूल परिस्थिति में भी धर्मप्रसार का कार्य अत्यंत लगन से करनेवाले, प्रेमभाव से हिन्दुत्वनिष्ठों से निकटता साधनेवाले एवं विनम्र वृत्ति के हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळजी २९.६.२०२२ को सद्गुरुपद पर विराजमान हुए ।

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी द्वारा लिए जा रहे दैवी ‘भाववृद्धि सत्संगों’ की सद्गुरु द्वारा वर्णित महिमा !

आश्विन अमावस्या (२५.९.२०२२) को श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी का जन्मदिवस है । इस उपलक्ष्य में…

१७ सितंबर : जोधपुर, राजस्थान की सनातन की ६३ वीं संत पू. (श्रीमती) सुशीला मोदीजी का ७२ वां जन्मदिवस !

कोटि-कोटि प्रणाम !

साधकों के आधारस्तंभ तथा धर्मकार्य की तीव्र लगन रखनेवाले सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ का आनंददायी सद्गुरु सम्मान समारोह !

उत्तर भारत में प्रतिकूल परिस्थिति होते हुए भी अत्यंत लगन से धर्मप्रसार का कार्य करनेवाले, हिन्दुत्वनिष्ठों को प्रेमभाव से अपनानेवाले, विनम्र वृत्ति के हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळ के सदगुरुपद पर विराजमान होने की आनंदवार्ता २९.६.२०२२ एक भावसमारोह में घोषित की गई ।

सनातन की साधिका स्व. (श्रीमती) प्रमिला रामदास केसरकरजी ने प्राप्त किया सनातन का १२१ वां संतपद एवं स्व. (श्रीमती) शालिनी प्रकाश मराठेजी ने १२२ वां संतपद !

‘मूल ठाणे के दंपति अधिवक्ता रामदास केसरकर एवं श्रीमती प्रमिला केसरकर २७ वर्ष पूर्व सनातन संस्था के संपर्क में आए और उन्होंने साधना आरंभ की । वर्ष २००८ में वे दोनों रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में साधना के लिए आए ।