फोंडा (गोवा) – मूल संभाजीनगर के और वर्तमान में फोंडा, गोवा में वास्तव्य कर रहे सनातन के साधक देह को प्रारब्ध पर छोडकर चित्त को चैतन्य से जोडनेवाले श्री. सत्यनारायण तिवारी (आयु ७४ वर्ष) २३ अप्रैल २०२३ को व्यष्टि संतपद पर विराजमान हुए । उनके रूप में सनातन के संतरत्नों की शृंखला में १२४ वें संतरत्न विराजमान हुए । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी ने उनके घर अनौपचारिक भेंट देकर श्री. तिवारीजी से वार्तालाप किया । उनके साथ हुए सहज संवाद से उनकी आंतरिक साधना का रहस्य ज्ञात होने पर उन्हें संत घोषित किया ।
पू. सत्यनारायण तिवारीजी गत २ वर्ष से बीमार हैं, इसलिए उन्हें सतत लेटे रहना पडता है । इसके साथ ही मस्तिष्क की बीमारी के कारण उन्हें विस्मृति भी होती है । ऐसी स्थिति में भी उन्होंने आंतरिक साधना के बल पर सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की कृपा से संतपद प्राप्त किया । यह संतसम्मान समारोह उनके निवासस्थान पर संपन्न हुआ । इस अवसर पर सनातन के ६८ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के साधक पशु चिकित्सक डॉ. अजय जोशी ने पू. तिवारीजी को पुष्पहार पहनाकर एवं श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने भेंटवस्तु देकर उन्हें सम्मानित किया । इस अवसर पर पू. तिवारीजी की पत्नी श्रीमती सविता तिवारी, कन्या होम्योपैथी डॉक्टर सुश्री (कु.) आरती तिवारी एवं सनातन के साधक उपस्थित थे । अकोला से पू. तिवारीजी की कनिष्ठ कन्या श्रीमती रासेश्वरी (भारती) लक्रस ने सचल-दूरभाष द्वारा इस समारोह का लाभ लिया ।