सनातन के आश्रम : रामराज्य की (हिन्दू राष्ट्र की) प्रतिकृति !

हिन्दू राष्ट्र के प्रेरणास्रोत सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के मार्गदर्शन में तैयार सनातन के आश्रमों में अनेक साधकों को चैतन्य, आनंद एवं शांति की अनुभूतियां होती हैं ।

सनातन के आश्रमों की छायाचित्रात्मक विशेषताएं !

सनातन के आश्रमों में विविध जाति-पंथों के साधक आनंद से आश्रमजीवन व्यतीत कर रहे हैं । यहां आध्यात्मिक प्रगति हेतु पोषक वातावरण होता है ।

चैतन्य का वर्षाव करनेवाली प.पू. भक्तराज महाराजजी की गाडी के विषय में हुई अनुभूतियां !

‘देवद आश्रम में प.पू. भक्तराज महाराज (प.पू. बाबा) द्वारा उपयोग में लाया ‘रथ’ (गाडी) है । प.पू. बाबा का रथ, देवद आश्रम के साधकों के लिए चैतन्य का वर्षाव ही है । प.पू. बाबा भले ही अब स्थूल से नहीं हैं, तब भी ‘वे रथ के माध्यम से स्थूल से भी हैं’, ऐसी अनुभूति अनेक साधकों को हो रही है ।

सात्त्विक उत्पादों से संबंधित सेवाओं के लिए साधकों की तुरंत आवश्यकता !

देवद (पनवेल) स्थित सनातन के आश्रम में सेवा का सुनहरा अवसर !

देवद (पनवेल) के सनातन आश्रम की तत्त्वनिष्ठ और पूरे मन से सेवा करनेवाली पू. (सुश्री (कु.)) रत्नमाला दळवी (आयु ४४ वर्ष) के सम्मान समारोह का भाववृत्तांत !

संतपद घोषित किए जाने पर मुझे परात्पर गुरुदेवजी और श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदाजी सिंगबाळ के अस्तित्व का अनुभव हो रहा था । –  पू. (सुश्री (कु.)) रत्नमालाजी

सनातन संस्था के आश्रमों में मिलनेवाले साधनारूपी संस्कारों के बल पर आदर्श दृष्टि से विकसित हो रहे युवा साधक एवं साधिकाएं !

‘भारतीय संस्कृति संस्कारों पर आधारित है; परंतु आज के कलियुग में नैतिक मूल्यों का पतन होने से संस्कार-मूल्य भी समाप्त हो चुके हैं । इसका परिणाम युवा पीढी पर दिखाई देता है । उसके कारण ‘उनका भविष्य संकट में है’, ऐसा कहना अनुचित नहीं है ।

सनातन के देवद आश्रम की सुश्री (कु.) रत्नमाला दळवी (आयु ४५ वर्ष) सनातन के ११८ वें समष्टि संतपद पर विराजमान !

     पनवेल (महाराष्ट्र) – तत्त्वनिष्ठा, आज्ञापालन, स्थिरता, नम्रता, अंतर्मुखता, समर्पणभाव से सेवा करना आदि अनेक गुणरत्नों का खजाना, मूलतः तिवरे (तालुका राजापुर, जिलहा रत्नागिरी) एवं वर्तमान में सनातन के देवद आश्रम में निवास कर रहीं सुश्री (कु.) रत्नमाला दळवी ६ मार्च को सनातन के ११८ वें समष्टि संतपद पर विराजमान हुईं । सनातन के … Read more

सनातन के आश्रम में वेद, पुराण एवं उपनिषद के अनुसार किया जानेवाला आचरण अनुकरणीय ! – प्रा. डॉ. रमाकांत शर्मा

प्रा. डॉ. रमाकांत शर्माजी, आयुर्वेद में एम.डी., पीएच.डी. होने के साथ-साथ एम.ए., एम.बी.ए. भी हैं । वे जयपुर के ‘नेशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद’ के सेवानिवृत्त प्राध्यापक हैं । उनकी आयुर्वेदीय औषधियों का उत्पादन करनेवाली ‘गौरव मैन्युफैक्चरिंग फार्मसी’ है । वे भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के भी सदस्य हैं ।