पुणे (महाराष्ट्र) – नम्र, परिपूर्ण सेवा की धुन रखनेवाले एवं सब पर पितृवत प्रेम करनेवाले सनातन के साधक श्री. अरविंद सहस्रबुद्धे (आयु ७६ वर्ष) सनातन के १२५ वें संत पद पर विराजमान हुए । एक अनौपचारिक कार्यक्रम में सनातन की धर्मप्रचारक सद्गुरु स्वाती खाडयेजी ने उनके व्यष्टि संतपद की आनंददायी घोषणा की । उसके पश्चात सद्गुरु स्वाती खाडयेजी ने पू. अरविंद सहस्रबुद्धेजी को शॉल, श्रीफल एवं भेंटवस्तु देकर उनका सत्कार किया । इस समारोह में पू. सहस्रबुद्धेजी की पत्नी श्रीमती मंगला सहस्रबुद्धे (आध्यात्मिक स्तर ६७ प्रतिशत), पुत्री श्रीमती अंजली बोडस, पू. (श्रीमती) मनीषा पाठक एवं पुणे के कुछ साधक उपस्थित थे ।
पू. सहस्रबुद्धेजी के जीवन में साधना के कारण हुए परिवर्तन, उनके द्वारा स्थिरता से सर्व कठिन प्रसंगों का सामना करना, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के प्रति उनकी श्रद्धा आदि प्रसंग सुनकर उपस्थित लोगों का भाव जागृत हुआ ।
ईश्वरपुर (सांगली, महाराष्ट्र) – प्रभु श्रीराम का अखंड नामजप कर उसके द्वारा अन्यों में नामजप की रुचि उत्पन्न करनेवाली एवं लगनपूर्वक व्यष्टि और समष्टि साधना करनेवाली ईश्वरपुर की श्रीमती वैशाली मुंगळे दादी को ७ जुलाई को सनातन की धर्मप्रचारक सद्गुरु स्वाती खाडयेजी ने ‘संत’ घोषित किया ।
उसके उपरांत सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने पू. मुंगळे दादी के संबंध में दिए हुए संदेश का वाचन किया एवं सद्गुरु स्वाती खाडयेजी ने उन्हें पुष्पहार तथा भेंटवस्तु अर्पित कर उनका सम्मान किया ।
पू. (श्रीमती) वैशाली मुंगळेदादी द्वारा दिया गया भावरूपी संदेश !
कोई भी सेवा एवं नामजप करते समय लगन, निरंतरता एवं मन की दृढता महत्त्वपूर्ण है । नामजप करते हुए सेवा करने से किसी भी बात एवं अनिष्ट शक्ति का भय नहीं लगता । वह गुरुदेवजी की आज्ञा का पालन होता है । ‘दिखे वह कर्तव्य एवं भोगूंगा वह प्रारब्ध’ इस प्रकार दिखना महत्त्वपूर्ण है । ‘गुरु ही मेरी चिंता करते हैं’, ऐसा लगना चाहिए । ‘आप ही देखिए’, ऐसा कहकर सबकुछ गुरुदेवजी को सौंप देना चाहिए ।