विनम्रता एवं दास्यभाव के मूर्तिमंत प्रतीक हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी !

‘एक बार हम गोवा से पुणे की यात्रा कर रहे थे । उस समय सद्गुरु पिंगळेजी मेरे बगल में बैठे थे । सद्गुरु पिंगळेजी के प्रभाव से ‘स्टेयरिंग’ पर हाथ होने के समय मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ‘मैंने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरण पकडे हुए हैं ।’

सनातन के ४६ वें संत पू. भगवंत मेनरायजी की सेवा में रहते समय साधकों को सीखने मिले सूत्र एवं प्राप्त अनुभूतियां !

वर्ष २०१९ में पू. मेनरायजी जब रामनाथी आश्रम में थे, तब मुझे ‘उनके वस्त्र धोने और इस्तरी करने’ की सेवा मिली थी । तब पू. (श्रीमती) मेनरायजी एवं पू. मेनरायजी दोनों ही बीमार थे । उन्हें अधिकांश समय विश्राम ही करना पडता था ।