जब तक देह में प्राण हैं, तब तक मठ-मंदिर तथा सनातन धर्म की रक्षा का व्रत लो ! – महंत सुधीरदासजी महाराज, कालाराम मंदिर, नाशिक

राज्‍य स्‍तरीय महाराष्ट्र मंदिर-न्‍यास परिषद ओझर (पुणे) में संपन्न !

महंत सुधीरदासजी महाराज

ओझर, पुणे (महाराष्ट्र) – ‘धर्म तथा हिन्‍दू राष्ट्र की स्‍थापना के लिए संघर्ष करें । छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे आदर्श हैं । उन्‍होंने हमें धर्म के लिए जूझने की वृत्ति दी । ८ लाख की सेना के साथ महाराष्ट्र में प्रवेश करनेवाला औरंगजेब मराठों से हार गया । ‘धर्म की रक्षा के लिए राम ने हमें भेजा है..’ इसके अनुसार हमारा जन्‍म धर्म की रक्षा के लिए हुआ है । मंत्र, देवता तथा सद्गुरु की कृपा प्राप्‍त करें तथा धर्म की रक्षा के लिए स्‍वयं को तैयार करें ।’ नाशिक के प्रसिद्ध श्री कालाराम मंदिर के महंत श्री. सुधीरदासजी महाराज ने महाराष्ट्र मंदिर-न्‍यास परिषद में आवाहन किया कि ‘जब तक देह में प्राण हैैं, तब तक मठ-मंदिरों तथा सनातन धर्म की रक्षा का संकल्‍प करें ।’ वे अष्टविनायकों में से एक, ओझर में ‘श्री विघ्‍नहर्ता गणपति मंदिर देवस्‍थान’ के श्री विघ्‍नहर्ता सांस्‍कृतिक भवन में २ दिसंबर से आयोजित २ दिवसीय राज्‍य स्‍तरीय ‘महाराष्ट्र मंदिर-न्‍यास परिषद’ के उद्घाटन के समय बोल रहे थे । मंदिरों की सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए श्री विघ्‍नहर्ता गणपति मंदिर, लेण्‍याद्री गणपति मंदिर, श्रीक्षेत्र भीमाशंकर मंदिर, हिन्‍दू जनजागृति समिति तथा महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के सहयोग से यह सम्‍मेलन आयोजित किया गया । इस सम्‍मेलन में ५५० मंदिरों के प्रतिनिधि, न्‍यासी तथा पुजारी सम्मिलित हुए । इसके साथ ही मंदिरों की सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए लडनेवाले हिन्‍दू समर्थक भी इस अवसर पर उपस्थित थे ।

मंदिर न्यास परिषद में उपस्थित संत एवं मान्यवर

जन्महिन्दुओं को कर्महिन्दू बनाने का कार्य मंदिरों के माध्यम से ही संभव ! – सद्गुरु स्वाती खाडयेजी, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था

सद्गुरु स्वाती खाडयेजी

प्राचीन काल से मंदिर धर्मशिक्षा के केंद्र रहे हैं । धर्म एवं संस्कृति जीवित रखने का कार्य समय-समय पर मंदिरों के माध्यम से हुआ है । इसलिए हमारे विविध शासकों ने भी मंदिर बनाए । आज के विज्ञानयुग में भी मंदिर की ओर लोगों का झुकाव लक्षणीय है । जन्महिन्दुओं को कर्महिन्दू बनाने का महत्कार्य केवल मंदिरों के माध्यम से ही हो सकता है ।

काशी-मथुरा मुक्त कर पुनः सनातन धर्म को सौंपने का समय आ गया है ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सर्वोच्च न्यायालय

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

‘काशी-मथुरा मुक्त करना, यह हिन्दुओं के अस्तित्व की लडाई है । ‘काशी-मथुरा मुक्त हों’, छत्रपति शिवाजी महाराजजी की ऐसी इच्छा थी । काशी-मथुरा मुक्त कर पुनः सनातन धर्म को सौंपने का समय आ गया है ।’ काशी विश्‍वेश्‍वर एवं मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि को इस्लामी अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए न्यायालयीन लडाई लडनेवाले सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैनजी ने ऐसा आवाहन किया ।

देवताओं का सम्मान न होने पर विज्ञान को भी पराजित होना पडता है ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

श्री. रमेश शिंदे

इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने कहा, ‘‘देवताओं का सम्मान न होने पर विज्ञान को भी पराजित होना पडता है । इसका ताजा उदाहरण है, उत्तराखंड में सुरंग में फंसे ४१ मजदूरों का सुरक्षितरूप से बाहर आना ! जब सुरंग निर्माण का काम चल रहा था, तब वहां के बाबा बौखनाथ नाग का मंदिर धराशायी कर दिया गया; परंतु ३ वर्ष बीतने के पश्चात भी उनकी पुनर्स्थापना नहीं हुई । ऑस्ट्रेलिया से आए सुरंग विशेषज्ञ डिक्स ने भी बाबा बौखनाथ नाग की शरण जाकर, उनसे प्रार्थना की, तब उन्हें काम प्रारंभ करने में सफलता मिली । अत: वैज्ञानिकों को भी भगवान की शरण जाना पडा । भारत के संविधान का अनुच्छेद २५ धार्मिक स्वतंत्रता और अनुच्छेद २६ धार्मिक व्यवहारों की व्यवस्था देखने की स्वतंत्रता देता है । सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मंदिरों के सरकारीकरण के विरोध में निर्णय देने के पश्चात भी राज्य सरकार हिन्दू मंदिरों का नियंत्रण अपने पास रखती हैं, इसलिए हमें सरकारीकरण के विरोध में चल रहे संघर्ष की गति बढानी होगी ।