परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
स्वतंत्रता के उपरांत भारत में लोकतंत्र के ७४ वर्षों का इतिहास देखें, तो लगता है, ‘अब राष्ट्र और धर्म के उत्कर्ष के लिए किसी भी भ्रष्ट और दुराचारी राजनीतिक दल का राज्य नहीं चाहिए, केवल रामराज्य ही चाहिए !
स्वतंत्रता के उपरांत भारत में लोकतंत्र के ७४ वर्षों का इतिहास देखें, तो लगता है, ‘अब राष्ट्र और धर्म के उत्कर्ष के लिए किसी भी भ्रष्ट और दुराचारी राजनीतिक दल का राज्य नहीं चाहिए, केवल रामराज्य ही चाहिए !
हिन्दू राष्ट्र के संविधान में श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीरामचरितमानस, मनुस्मृति सहित वेद एवं पुराणों के सूत्रों का भी समावेश होगा । हिन्दू राष्ट्र में गुरुकुल शिक्षा बंधनकारक होगी । इसमें ३ से ८ वर्ष की आयु के लडके एवं लडकियों को शिक्षा लेना बंधनकारक होगा । तदुपरांत ही उन्हें अन्य विद्यालयों में जाने की अनुमति होगी ।
भारत में हिन्दू राष्ट्रवाद नहीं, अपितु ‘इस्लामी राष्ट्रवाद’ गत ७४ वर्षाें से चिंता का विषय बना है ! ‘इस्लामी राष्ट्रवाद’ के कारण ही कश्मीर में हिन्दुओं का वंशसंहार कर, उन्हें वहां से भगा दिया गया, इस विषय में अन्सारी क्यों मुंह नहीं खोलते ?
गुजरात में भाजपा की सरकार होते हुए धर्मांध हिन्दुओं पर आक्रमण करने का दुस्साहस करते हैं, यह हिन्दुओं को अपेक्षित नहीं ! धर्मांध ईशनिंदा के प्रकरण में सीधे कानून हाथ में लेते हैं, जबकि बहुतांश जन्महिन्दू वैध मार्ग से भी सादा निषेध तक प्रविष्ट नहीं करते !
कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि किसी भी शिक्षा संस्था में शिक्षा को धर्म से दूर रखना चाहिए । यहां पढनेवाले विद्यार्थी हिजाब अथवा भगवा उपरना पहनकर न आएं । वे उनके धर्म का पालन करने के लिए विद्यालय में न आएं । विद्यालय ज्ञानमंदिर है तथा यहां शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से आना चाहिए ।
गोशाला की ओर से गायों के विषय में इस प्रकार की लापरवाही होती होगी, तो ऐसे संचालकों पर गुनाह प्रविष्ट कर उन्हें कारावास में डालना चाहिए ! साथ ही ऐसा मध्यप्रदेश के अन्य गोशालाओं में तो नहीं होता ? इस ओर देखना चाहिए !
धर्मसंसद में कथितरूप से आपत्तिजनक वक्तव्य देने के आधार पर उत्तराखंड की भाजपा सरकार हिन्दुओं के महंतों और नेताओं को गिरफ्तार कर कारागार में डाल देती है; परंतु पंजाब की कांग्रेस की सरकार हिन्दुओं के विरोध में दंगा कराने के लिए उकसानेवाले वक्तव्य देनेवालों को हाथ भी नहीं लगाती, इसे ध्यान में लीजिए !
सनातन के आश्रमों में समाज को हिन्दू धर्म के प्रति जागृत करने हेतु नियतकालिक प्रकाशित करना, ग्रंथों की निर्मिति करना, साथ ही दृश्यश्रव्य चक्रिकाएं (वीडियो सीडी) तैयार करना आदि सेवाएं संगणक की सहायता से की जाती हैं । इन सेवाओं के लिए A3 और A4 आकार की संगणकीय प्रतियां (जेरॉक्स) निकालनी पडती हैं ।
अमेरिकी समाज पर अभिव्यक्ति स्वतंत्रता एवं व्यक्ति स्वतंत्रता की बहुत दृढ पकड होते हुए भी गोल्डबर्ग के प्रसंग में कोई भी उनका पक्ष लेने नहीं आया । ऐसा क्यों हुआ ? ‘ज्यू का वंशविच्छेद, धार्मिक नहीं था, अपितु वांशिक था । इतना भी गोल्डबर्ग को कैसे पता नहीं ?’, ऐसा ही सुर अमेरिकी समाज के अनेक लोगों ने आलापा ।
भाषा जितनी अधिक शुद्ध होती है, उतनी ही चैतन्यमय होती है । इस नियम के अनुसार सनातन के साहित्य में शुद्ध हिन्दी का उपयोग किया जाता है । संस्कृतनिष्ठ हिन्दी का उपयोग किए जाने के कारण पाठकों को भाषा कठिन प्रतीत हो सकती है ।