माणगांव (सिंधुदुर्ग) में महाराष्ट्र मंदिर ट्रस्ट सम्मेलन में ३७५ से अधिक मंदिर ट्रस्टियों ने भाग लिया !
माणगांव (सिंधुदुर्ग) – मंदिरों का सम्मान करने से समस्याओं का समाधान नहीं होगा । यदि आप वास्तव में मंदिरों की समस्याओं का समाधान चाहते हैं, तो मंदिर में आकर धर्म के लिए काम करते समय ‘मंदिर रक्षक’ के रूप में एक साथ आएं। हम एक साथ आएंगे तभी हिन्दुओं की आवाज सुनी जाएगी, इस प्रकार हिन्दुओं को संगठित होकर काम करने का आह्वान सावंतवाड़ी संस्थान के युवराज श्री लखमराजे भोसले ने किया । वह २१ फरवरी को परमहंस परिव्राजकाचार्य वासुदेवानंद सरस्वती टेम्बे स्वामी महाराज की जन्मस्थली माणगांव के श्री दत्त मंदिर न्यास के सभागृह में आयोजित महाराष्ट्र मंदिर-न्यास सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे ।
यह सम्मेलन महाराष्ट्र मंदिर महासंघ, श्री दत्त मंदिर न्यास और हिन्दू जनजागृति समिति के तत्वावधान में आयोजित किया गया था । सम्मेलन में ३७५ से अधिक मंदिर ट्रस्टियों, पुजारियों, पुरोहितों तथा मंदिर पक्षकारों ने भाग लिया ।
इस उद्घाटन सत्र के समय पूर्व धर्मदान आयुक्त श्री. दिलीप देशमुख, सनातन संस्था की धर्म प्रचारक सद्गुरु स्वाति खाडये, देवस्थान सेवा समिति (विदर्भ) के सचिव अधिवक्ता श्री. अनुप जयसवाल, सनातन संस्था के धर्म प्रचारक सद्गुरु सत्यवान कदम और महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के संयोजक श्री. सुनील घनवट उपस्थित थे । अधिवेशन का आरंभ ‘जय श्री राम’, ‘हर हर महादेव’, ‘सनातन हिन्दू धर्म की जय’ जैसी उद्घोषणाओं के साथ हुआ । इस बार सिंधुदुर्ग जिले सहित महाराष्ट्र के विभिन्न भागों से उपस्थित मंदिर ट्रस्टियों ने मंदिरों की समस्याओं, मंदिरों के प्रबंधन, ट्रस्टियों के कर्तव्यों, मंदिर ट्रस्टियों के संगठन आदि विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन दिया । इस अधिवेशन में भाग लेने वाले ट्रस्टियों ने मंदिरों के कार्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई । इसके लिए सेमिनार और ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से आगे कार्य की दृष्टि से कार्यक्रम निश्चित किया गया ।
लखमराजे भोसले ने कहा,
१. मन्दिरों में अनेक समस्याएं हैं; लेकिन इन समस्याओं के समाधान के लिए राजनेता आगे नहीं आ रहे हैं । हिन्दुओं को मंदिरों को राष्ट्रीयकृत करने तथा मंदिर मुद्दों को हल करने के लिए काम करना चाहिए।
२. युवा ही हिंदुत्व की शक्ति है । मंदिर की सुरक्षा के लिए युवाओं को पहल करनी चाहिए । मंदिर में प्रवेश करते समय भारतीय संस्कृति के अनुरूप कपड़े पहनने चाहिए ।
३. वक्फ बोर्ड तथा ईसाई मिशनरीज़ मजबूत हैं क्योंकि वे संगठित हैं । लेकिन हिन्दू मंदिरों के लिए संगठित नहीं होते ।
४. मंदिरों के ट्रस्टियों को महाराष्ट्र मंदिर-न्यास अधिवेशन के माध्यम से एक साथ आना चाहिए । सिंधुदुर्ग में मंदिरों के ट्रस्टियों को संगठित किया जाना चाहिए । इसके लिए तालुकों से संगठन होना चाहिए । हम मंदिर के ट्रस्टियों के सहयोग के लिए सावंतवाड़ी संस्थान की ओर से योगदान देंगे । हम इस कार्य का समर्थन करते हैं ।
सिंधुदुर्ग में पश्चिमी महाराष्ट्र देवस्थान के २७७ मंदिरों को मुक्त करा कर भक्तों को दो ! – सुनील घनवट, हिन्दू जनजागृति समिति
सिंधुदुर्ग में मंदिरों के लिए हिन्दू संघर्ष कर रहे हैं; लेकिन यह संघर्ष व्यक्तिगत स्तर पर जारी है । संकीर्ण मानसिकता ही हिंदुओं की समस्या है । जब देश भर के हिंदू सिंधुदुर्ग में मंदिरों के लिए आवाज उठाएंगे तो एक व्यापक संगठन द्वारा मंदिरों की समस्या का समाधान किया जाएगा । आपस में विवाद तथा अनादर के कारण सिंधुदुर्ग जिले में कई जगहों पर मंदिर बंद हैं । मंदिरों का इस प्रकार बंद रहना दुर्भाग्यपूर्ण है । हमें सतर्क रहना चाहिए ताकि हिंदू विरोधी ताकतें हमारे मतभेदों का लाभ न उठा सकें । वर्तमान में पश्चिमी महाराष्ट्र देवस्थान समिति के अंतर्गत सिंधुदुर्ग जिले में सैकड़ों मंदिर हैं; लेकिन पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति केवल मंदिरों में दान पेटियों से पैसे उठाने के अलावा कोई काम नहीं करती है । ‘आपका कर्तव्य और हमारा हक और अधिकार’ की भूमिका में रहने वाली ‘पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति’ नामक इस सफेद हाथी को भोजन क्यों ? इस समिति के अंतर्गत सिंधुदुर्ग में २७७ मंदिरों को मुक्त कराया जाना चाहिए तथा भक्तों को सौंपा जाना चाहिए ।
… मंदिर से होगी हिंदू राष्ट्र की स्थापना ! – सुनील घनवट, हिन्दू जनजागृति समितिअयोध्या में भगवान राम के मंदिर को लेकर पूरे देश ही नहीं बल्कि पूरी विश्व में उत्साह का वातावरण है । मंदिर निर्माण को लेकर भारत में हिन्दू संगठित हो रहे हैं । आगे चलकर देश में मंदिरों के निर्माण के माध्यम से हिन्दुओं को संगठित करके भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की जाएगी । जारांगे पाटिल नामक व्यक्ति के आंदोलन के कारण सरकार को आरक्षण पर निर्णय लेना पड़ा । सुनील घनवट ने प्रश्न उठाया कि यदि महाराष्ट्र के सभी मंदिरों के ट्रस्टी एक साथ आ जाएं तो क्या मंदिर की समस्याएं हल नहीं हो जाएंगी ? |
मंदिरों का विकास करना आस्थावानों का कर्तव्य है ! – दिलीप देशमुख, पूर्व चैरिटी कमिश्नर
भरत ने वनवास के समय भगवान श्री राम की ओर से अयोध्या पर शासन किया। उसी प्रकार भक्तों को सेवक बनकर मंदिरों का प्रबंधन करना चाहिए। श्रद्धालुओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि ‘भगवान स्वयं मंदिरों के स्वामी हैं।’ भक्तों को मंदिर की संपत्ति को हानि पहुंचाने का कोई अधिकार नहीं है । मंदिरों के बारे में कानूनी जानकारी रखने के लिए ट्रस्टियों को महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट का अध्ययन करना चाहिए । श्रद्धालुओं को मंदिर की स्थिति की जानकारी होनी चाहिए। श्रद्धालुओं के बीच विवाद के कारण मंदिर की भूमि दूसरों को हस्तांतरित की जा रही हैं । इसलिए, मंदिर की चल तथा अचल संपत्ति को संरक्षित करना ट्रस्टियों की दायित्व है ।
हम मंदिर संस्कृति को पुनर्जीवित करने का कार्य करना चाहते हैं ! – सद्गुरु स्वाति खाडये, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था
प्राचीन काल से ही मंदिर धार्मिक शिक्षा के केंद्र रहे हैं । धर्म एवं संस्कृति को जीवित रखने का कार्य समय-समय पर मंदिरों के माध्यम से किया जाता रहा । इसलिए हमारे विभिन्न शासकों ने भी मंदिर बनवाए । मन्दिर संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए हर प्रकार की सहायता दी गई । विज्ञान के युग में भी मंदिर के प्रति लोगों का आकर्षण महत्वपूर्ण है । मंदिर में आने वाले हिंदू समुदाय का जन्म से कर्म हिंदू बनने का महान परिवर्तन मंदिर के माध्यम से किया जा सकता है । मंदिर केवल धर्म स्थल नहीं हैं, वे एक संस्कृति हैं । इसलिए हमें मंदिर संस्कृति को पुनर्जीवित करने का कार्य करना होगा।
समस्याओं पर चर्चा के बाद कार्य उन्मुखी कार्यक्रम तय किया गया !
अधिवेशन में मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण, पंथवाद, वक्फ बोर्ड द्वारा मंदिर की भूमि को हड़पने का प्रयास, मंदिरों का सरकारीकरण, मंदिरों में अनुचित कपड़े पहनने आदि पर चर्चा की गई तथा इन समस्याओं के समाधान के लिए कार्रवाई कार्यक्रम निश्चित किए गए।
मंदिर की भूमि कूल कानून के अंतर्गत न चली जाए इसके लिए सतर्क रहना चाहिए ! – अनूप जयसवाल, सचिव, विदर्भ देवस्थान समिति
मंदिरों के रखरखाव तथा प्रबंधन के लिए विदर्भ देवस्थान समिति द्वारा अधिग्रहीत भूमि कूल अधिनियम के माध्यम से आदिवासियों को आवंटित की गई थी । हमने इस भूमि को मंदिर को वापस दिलाने के लिए महाराष्ट्र राजस्व न्यायाधिकरण तथा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। हमने कानूनी लड़ाई लड़कर मंदिर की भूमि वापस प्राप्त की।’ हम कूल एक्ट के माध्यम से खोई हुई १२०० एकड़ भूमि विदर्भ देवस्थान समिति को वापस दिलाने में सफल हुए हैं । राज्य में कई धर्मस्थलों की भूमि कूल एक्ट के माध्यम से दूसरे व्यक्तियों को हस्तांतरित कर दी गई हैं । राज्य में मंदिरों के सामने यह एक बड़ी समस्या है । ट्रस्टियों के बीच समन्वय की कमी के कारण मंदिर की संपत्ति का अवैध हस्तांतरण बढ़ गया है । इसे ध्यान में रखते हुए मंदिरों की तकनीकी जानकारी व्यवस्थित रखी जाए । मंदिर के सातबारा तथा संपत्ति कार्ड को अद्यतन करने के लिए समय की आवश्यकता है, साथ ही मंदिरों के प्रकरण ‘फास्ट ट्रैक कोर्ट’ पद्धति से चलाए जाने चाहिए ।
Over 375 temple trustees participate in Maharashtra Mandir Nyas Adhiveshan in Mangaon.
Set aside personal honours and come together as ‘Temple Protectors’ for the sake of Dharma and Temples – Lakhamaraje Bhosale, Yuvaraj of Sawantwadi Sansthan
Release 277 temples in Sindhudurg… pic.twitter.com/j6EcJIXboa
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 22, 2024
इस अधिवेशन का आरंभ शंखनाद से हुआ । प्रार्थनाओं तथा श्लोकों के बाद गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन किया गया। फिर वेदमूर्ति राजेंद्र भागवत तथा वेदमूर्ति प्रवीण म्हैसकर ने वेद पाठ किया। इसके बाद संतों का सम्मान तथा गणमान्य लोगों का अभिनंदन किया गया । हिन्दू जनजागृति समिति के प्रेरणास्रोत एवं सनातन संस्था के संस्थापक डॉ. सच्चिदानंद परब्रह्म जयंत आठवलेजी द्वारा मंदिर परिषद के लिए दिया गया संदेश सद्गुरु सत्यवान कदमजी ने पढ़ा । हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. राजेंद्र पाटिल ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया। श्री। सुनील घनवट ने मंदिर संघ के कार्यों की जानकारी दी। मंदिरों के उचित प्रबंधन, मंदिरों की समस्याओं तथा उनके विरुद्ध कानूनी उपायों पर एक परिसंवाद आयोजित किया गया । मंदिर महासंघ के आगे की कार्यप्रणाली का निर्धारण किया गया । उपस्थित ट्रस्टियों द्वारा मंदिर की विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया ।